झारखंड के किसानों की योजना का किसानों को डायरेक्ट लाभ हो : हेमंत सोरेन

राज-नीति
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कार्मिक प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग द्वारा आयोजित कार्यकर्म में मुख्यमंत्री ने कहा की झारखंड विविधताओं का राज्य है और यहां विविधता हर जगह दिखाई देती है , दूसरे राज्यों की तुलना में झारखंड में विविधता कुछ ज्यादा ही है , यहां जमीन के नीचे खनिज है तो जमीन के ऊपर प्राकृतिक सुंदरता है , यहां लोगो के रंग रूप रहन सहन में हर जगह विविधता पाई जाती है I भाषा को लेकर यहां विविधता सबसे ज्यादा है , जिसके वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है , 20 वर्षो में पहले जब किसी योजना को लाया जाता था तो उस योजना को घर घर तक पहुंचाने के लिए कोई कदम नहीं लिया जाता था , जिससे यहां के लोगो को सरकार द्वारा लाई गई योजनाओं का लाभ ही नही मिल पाता था , क्योंकि यहां के ब्लॉक और पंचायत या फिर जिला स्तर के जो पदाधिकारी होते थे वे यहां के सुदूरवर्ती गांव के भाषाओं को जानते ही नहीं है , पदाधिकारी या तो हिंदी जानते है या फिर इंग्लिश जानते है वही कई ग्रामीण छेत्र ऐसे है जहां के ग्रामीण अंग्रेजी तो दूर हिंदी भी नही जानते थे , वे अपनी क्षेत्रीय भाषा को ही जानते है , जिससे पदाधिकारी उनकी भाषा को नहीं समझ पाते थे और ग्रामीण पदाधिकारियों की भाषा को नहीं समझ पाते थे , और इस परेशानी का हल निकलते थे मिडिल मैन , जो की एक तरह का दलाल होता है I ये दलाल ग्रामीणों का खूब शोषण करते थे , एक काम को करने के लिए हजारों हजार ग्रामीणों से ठग लेते थे लेकिन फिर भी योजनाएं ग्रामीणों तक नहीं पहुंच पाती थी I बस इसी बात को ध्यान में रखते हुए हेमंत सरकार ने सबसे पहले मिडिल मैन को हटाया और योजनाओं को डायरेक्ट ग्रामीणों और लाभुको तक पहुंचाने का संकल्प लिया I जैसे सर्वजन पेंशन योजना को ही ले ले , इस योजना के तहत बीडीओ ने बताया कि सर्वजन योजना के तहत 60 प्लस उम्र वाले सभी महिला पुरुष को आच्छादित करना है। सभी आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका एवं बीएलओ अपने अपने क्षेत्र में घर-घर जाकर 60 से अधिक उम्र वाले महिला पुरुष का सर्वे कार्य दो दिन में पूरा कर कार्यालय को सूची उपलब्ध कराए, जिससे वैसे लोगों का समय पर फार्म भरा जा सके। और उन्हें योजना का लाभ मिल सके I

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ब्लॉक स्तर के सभी पदाधिकारियों को एक तरह से नसीहत भी दे दी , कहा की अब आपको बाबू बनकर नहीं रहना है , काम करना है , और काम करने के लिए आपको ग्राउंड जीरो में उतरना पड़ेगा , सुदूरवर्ती गांव गांव में जाकर लोगो तक योजनाओं की जानकारी देना होगा , अब यह बहाना नहीं चलेगा की नक्सली एरिया है की खतरनाक एरिया है , मुख्यमंत्री ने कहा की जब मैं भी मुख्यमंत्री नही था , मेरे पास कोई सिक्योरिटी नही रहती थी तब भी मैं गांव गांव जाता था , मुझे तो कभी कोई नक्सली नही मिला , आपको गांव वालो से ऐसा समन्वय बनाना होगा तभी गांव गांव के स्तर पर योजनाएं धरातल पर आ पाएगी और गरीब दलित आदिवासी और पिछड़े लोगो को उनका अधिकार मिल पाएगा I

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