झारखंड में अब भी कुपोषण एक गंभीर मसला है. 5 साल तक की आयु के 40 फीसदी बच्चे इसकी चपेट में हैं. झारखंड सरकार ने इसके लिए राज्यभर के गांव-गांव में आंगनबाड़ी केंद्र खोले जाने की इच्छा जाहिर की है. इसके लिए केंद्र से मदद भी मांगी है. होटल बीएनआर चाणक्य, रांची में शनिवार को आकांक्षी जिलों की जोनल मीटिंग में महिला, बाल विकास एवं कल्याण मंत्री जोबा मांझी ने केंद्र से इसपर पहल करने की अपील की.
केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ मुजापारा महेन्द्र भाई (महिला एवं बाल विकास मंत्रालय) से आग्रह करते हुए कहा कि राज्य के 6 जिलों में केंद्र के सहयोग से 10388 पोषण सखियों की नियुक्ति 2017 में की गयी थी.
पर एक सीमित अवधि तक ही उनसे सेवा ली गयी. फिलहाल राज्य सरकार ने उनके लिए बकाया मानदेय आवंटित कर दिया है पर उनकी आवश्यकता राज्य के सभी जिलों में है. ऐसे में चौबीसों जिलों में उन्हें रखे जाने में केंद्र सहयोग दे.
राज्य के गांव-गांव में आंगनबाड़ी केंद्र खोले जाने का लक्ष्य है. इसके लिए भी केंद्र पिछला बकाया देते हुए सहयोग करे. बैठक में नीति आयोग द्वारा आकांक्षी जिलों के संबंध में प्रस्तुतिकरण दिया गया. इसमें महिलाओं, बच्चों के संबंध में वर्तमान स्थिति तथा केंद्र, राज्य के स्तर से किये जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी दी गयी. कार्यक्रम में महिला, बाल विकास मंत्रालय के सचिव इंदेवार पांडेय, मंत्रालय की संयुक्त सचिव तृप्ति गुरहा, नीति आयोग के प्रतिनिधि, समाज कल्याण विभाग (झारखंड) के निदेशक ए दोड्डे, ओड़िसा और छत्तीसगढ़ के पदाधिकारी, रांची डीसी छवि रंजन, गुमला डीसी सुशांत गौरव समेत कई प्रशासनिक पदाधिकारी और अन्य भी उपस्थित थे.