मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने प्रवर्तन निदेशालय कार्यालय जाने के पूर्व आज अपने आवास पर मीडिया को संबोधित किया।

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मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने प्रवर्तन निदेशालय कार्यालय जाने के पूर्व आज अपने आवास पर मीडिया को संबोधित किया। अपने दस मिनट के इस संबोधन में उन्होंने राज्यपाल की गतिविधियों, विपक्ष की राजनीति, केन्द्रीय एजेंसियों के कार्यों पर सवाल उठाए। उन्होंने अपने संबोधन में एक बार फिर कहा कि उन पर जो आरोप लगाये गये हैं, वो निराधार है, फिर भी वे प्रवर्तन निदेशालय जायेंगे और उनसे भी पूछेंगे कि वे बताये कि आखिर ये कार्रवाई करने की पीछे की वजह क्या है?

हेमन्त सोरेन ने कहा कि आज वे प्रवर्तन निदेशालय के कार्यालय जा रहे हैं, क्योंकि उन्हें प्रवर्तन निदेशालय की ओर से समन जारी हुआ है। यह समन अवैध खनन की जांच कर रही ईडी की ओर से संबंधित है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में उन्होंने भी एक पत्र ईडी को भेजा हैं, जिसकी प्रति पत्रकारों को भी उपलब्ध करा दी जायेगी। उन्होंने कहा कि बताया जा रहा है कि साहेबगंज जिले में एक हजार करोड़ का घोटाला हुआ है।

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि सालाना भी अगर हम देखें, पूरे राज्य में स्टोन चिप्स से एक हजार रुपये की भी आमदनी नहीं होती, इसका आधार कैसे बना, ये समझ से परे हैं, और एक हजार रुपये करोड़ का घोटाला करने के लिए, कितने करोड़ों का खनन होगा, उनका ट्रांसपोटेशन कैसे होगा, और जो विगत दो साल को हम देखे, जब से एजेंसी जांच कर रही हैं, जो आरोप लगे हैं, वो कहीं से भी संभव प्रतीत नहीं होता। उन्हें लगता है कि कही न कही एजेसियों को पूरी विस्तृत जांच पड़ताल करने के उपरांत ही किसी ठोस निर्णय पर ठोस आरोप लगाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि आज मैं राज्य का मुख्यमंत्री हूं, एक संवैधानिक पद पर हूं, जिस तरह से हमलोगों के खिलाफ कार्रवाई हो रही हैं, ऐसा लग रहा है कि हमलोग देश छोड़कर भागनेवाले लोग है। मेरा जो राजनीतिक इतिहास हैं, मुझे नहीं लगता, व्यापारियों को छोड़ कोई राजनीतिक दल के नेता देश छोड़कर भागे हो। आज कहीं न कहीं ऐसे कार्रवाई से राज्य में एक संशय की स्थिति उत्पन्न होती है, यह कार्यपालिका को निरंकुश करने का माध्यम भी बन सकता है, सरकार को अस्थिर करने का एक षडयंत्र भी कहा जा सकता है, कहा जाय तो जो विपक्ष है, वो सरकार बनने के बाद से ही सरकार गिराने के षडयंत्र में लगे हुए थे और ये षडयंत्र की पनडूब्बी, जो पानी में डूब-डूब कर काम रहा था, आज उस पनडूब्बी को बाहर लाने का प्रयास किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि चुनाव आयोग महीनों पहले अपना मंतव्य दे चुका है, लेकिन राज्यपाल ने उस लिफाफे को आज तक नहीं खोला, हमें लगता है कि वे भी किसी समय का इंतजार कर रहे थे, और आपने सुना होगा कि दूसरा मंतव्य चुनाव आयोग से इन्होंने मांगा, जो बिल्कुल अंसवैधानिक था। जब हमने चुनाव आयोग से इसकी जानकारी मांगी तो पता चला कि इन्होंने कोई दूसरा मंतव्य मांगा ही नहीं।

लेकिन खबरों में जरुर आता हैं, उनका बयान खूब चलता है, राज्य में पटाखे बम फूटने की बात आती है, इधर इनका बयान आता है और ईडी की कार्रवाई में तेजी आ जाती है, सत्तापक्ष के विधायकों पर इन्कम टैक्स/ईडी के के छापे पड़ने शुरु हो जाते हैं, मुझे जानकारी हैं और भी कई सत्तापक्ष के विधायकों पर छापेमारी करने की योजना बना रहे हैं। ये कहीं न कहीं बताता है कि राज्यपाल भी राजनीति से प्रेरित है, जिसे हम कहते है कि ये संवैधानिक पद पर हैं, इस पद पर रहनेवाला पार्टी से संबंध नहीं रखता है, निष्पक्ष विचार रखता है, पर हमें नहीं लगता कि ऐसे कार्यकलाप से कि वो ऐसे षडयंत्रकारी राजनीति को संरक्षण नहीं दे रहे हैं।

उन्होंने कहा कि जब हमारी सरकार के कार्यकाल में राजस्व की बढ़ोत्तरी होती है, बड़े पैमाने पर कार्रवाई होती है। लेकिन विपक्ष की सरकार का भी कार्यकाल देखे, कार्रवाई में भी धीमी, राजस्व में भी कमी और उसके बावजूद हम ने जो एक लंबी लकीरें खींची है, उससे कहीं न कहीं जो सरकार की छवि हैं, उसका जनमानस पर प्रभाव पड़ा है। विपक्ष को ऐहसास हो चुका है कि वे राजनीतिक हाशिये पर जा चुके हैं।

उन्होंने कहा कि इस देश का लोकतंत्र का सम्मान होना चाहिए और जो लोकतंत्र के अंदर काम करनेवाले लोग हैं, उन्हें भी निष्पक्ष तरीके से अपना काम करना चाहिए, मैं पुछूंगा ईडी से कि आखिर ये कार्रवाई करने के पीछे वजह क्या हैं। अगर गिट्टी बालू ही राजस्व का सबसे बड़ा जरिया हैं, तो मैं कह रहा हूं कि क्यों नहीं भारत सरकार इसे मेजर मिनरल में रख लेती हैं, और कोयला-लोहा आदि संसाधनों को माइनर मिनरल में कर इसे राज्य सरकार को दे देती है।

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