झारखंड बस ओनर्स एसोसिएशन के सचिव दीपक ओझा ने कहा कि ट्रांसपोर्टरों की हालत पिछले डेढ़ साल से खस्ता है और उसी में झारखंड सरकार के द्वारा रोड परमिट से लेकर सारे दस्तावेजों का फीस दुगना कर दिया गया और हमारे राज्य के माननीय ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर चंपई सोरेन जी एक बार भी विचार नहीं किया कि जो परमिट पहले 6000 का बनता था अब उसी परमिट का दाम 9000 कर दिया गया । राज्य में चाहे बस ओनर हो, या मालवाहक टेंपो के मालिक हो या टैक्सी के मालिक हो सब की स्थिति करोना काल में खस्ता हो गई है लोग बैंकों की ईएमआई तक नहीं दे पा रहे हैं और जहां दूसरी तरफ पिछले मार्च 2020 से सारे स्कूल बंद है सारी स्कूल बस खड़ी हैं और ना जाने कब खुलेगी अभी इस मार से बस ओनर्स उभर नहीं पा रहे हैं तब तक यह दूसरी मार झेलनी पड़ेगी।
माननीय मंत्री जी कभी ट्रांसपोर्टरों के बारे में कुछ सोचते नहीं है लेकिन जब बात जेब खाली करवाने की हो तो फरमान निकाल देते हैं। ट्रांसपोर्ट सेक्टर ही एक ऐसा बिजनेस है जहां हम लोग सरकार को टैक्स पहले देते हैं और कमाते बाद में हैं ऐसे में अगर सरकार हम लोग के बारे में विचार नहीं करती है और इस बिल पर फिर से पूर्ण विचार नहीं करती है तो मजबूरन सारे ऑनर्स को रोड पर उतरना पड़ेगा। सबसे बड़ी दुखद बात यह है कि सरकार पिछले 16 महीनों में कभी हमारी हाल जानने की कोशिश नहीं की ना ही कोई पैकेज ट्रांसपोर्टरों को मिला पर हमको रोड पर लाने के लिए पूरी कोशिश की जा रही है।
