जिन कार्यों को 20 वर्ष तक शासन करने वाली भाजपा सरकार को बहुत पहले पूरा कर करने में असफल रही, उसे हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में भी सरकार ने मात्र ढाई वर्ष के शासन में पूरा करने का भरसक प्रयास किया है।
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा 2019 के चुनाव में राज्यवासियों के लिए वादों को एक – एक कर पूरा करने कार्य कर रही है। अगर महामारी का वह दो वर्ष से अधिक का दौर नहीं आता तो, हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में बनी गठबंधन की सरकार संभवतः उन सभी वादों को निभा देती, जिसका सरोकार राज्य की जनता से है। इस कार्य में सिर्फ कोरोना संक्रमण का दौर ही सरकार के कार्य को प्रभावित नहीं किया, बल्कि सत्ता खो चुकी भाजपा की सरकार ने भी सरकार को केंद्र में बैठी भाजपा सरकार द्वारा नाहक परेशान किया गया।
*युवाओं के अधिकार के लिए आगे आई सरकार*
चुनाव के दौरान हेमन्त सोरेन ने युवाओं से वादा किया था कि सरकार गठन बाद राज्य के विभिन्न खाली पड़े सरकारी पदों पर झारखण्डी युवाओं नियुक्ति की जायेगी। इस कार्य को मुख्यमंत्री ने बखूबी अंजाम दिया। जेपीएससी की बहुप्रशिक्षित परीक्षा फल प्रकाशित कराया। यही नहीं 7वीं से लेकर 10वीं तक की परीक्षा एक साथ आयोजित हुई और रिकॉर्ड समय में परीक्षा परिणाम आया एवं नियुक्ति भी हुई। नौकरी के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने के लिए अभ्यर्थियों को झारखण्ड लोक सेवा आयोग (JPSC), कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) एवं अन्य राज्यस्तरीय प्रतियोगी परीक्षाओं के का परीक्षा शुल्क में भारी कमी की ताकि गरीब युवाओं को भी परीक्षा में शामिल होने का अवसर प्राप्त हो। यही नहीं परीक्षा केंद्रों की संख्या में भी बढ़ोतरी की गई। अब लगातार नियुक्ति में आ रही अड़चनों को दूर करने हेतु नियुक्ति नियमवलियों में संशोधन किया जा रहा है, जिससे नियुक्ति की प्रक्रिया सरल की जा सके।
*उच्च शिक्षा का मिल रहा अवसर*
हालांकि यह सरकार के चुनावी वादों में शामिल नहीं था बावजूद इसके हेमन्त सरकार ने वंचित समाज के 25 प्रतिभाशाली युवाओं को विदेशों में उच्च शिक्षा का अवसर प्रदान किया। मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीए छात्रवृत्ति योजना के जरिए ग्रेट ब्रिटेन के यूनिवर्सिटीज में निःशुल्क पढ़ाई करने का अवसर प्रदान किया। इस कड़ी को मजबूत करते हुए यूके की सरकार से समझौता कर वंचित समाज के पांच युवाओं को छात्रवृत्ति देने की योजना शुरू की।
*स्वरोजगार और रोजगार के भी खोले द्वार*
यह बात स्पष्ट है कि सरकार बनने के उपरांत सत्ता में बैठी सरकार सिर्फ चुनावी यादों तक ही सीमित नहीं रही। हेमन्त सोरेन ने सिर्फ सरकारी नियुक्तियों पर ही ध्यान केंद्रित नहीं किया बल्कि स्वरोजगार और हुनरमंद युवाओं के प्रति भी संवेदनशील रहे। युवाओं को स्वरोजगार प्राप्त हो, इसके लिए मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना शुरू की। योजना से करीब 3500 युवाओं को अबतक लाभ प्राप्त हुआ है। वहीं हुनरमंद बन रहे युवाओं को रोजगार के अवसर मिले। मुख्यमंत्री ने ओरमांझी में एक साथ दो हजार युवाओं को वस्त्र उद्योग के रोजगार उपलब्ध कराया। इसमें 90 प्रतिशत स्थानीय युवा शामिल थे। साथ ही, सरकार के कौशल कॉलेज से प्रशिक्षित युवाओं और नर्सिंग कॉलेज से प्रशिक्षित युवतियों को देश और विदेश में रोजगार मिला।
*स्थानीय को मिलने लगा अधिकार, सरकारी कर्मी हुए खुशहाल*
हेमन्त के नेतृत्व में सरकार ने अपने वादे के अनुसार, 25 करोड़ रूपये तक के सरकारी कार्यों की निविदा सिर्फ स्थानीय लोगों को देने का कानून बनाया। यही नहीं स्थानीय रोजगार अधिकार कानून बना कर राज्य के निजी क्षेत्रों में 75 प्रतिशत नौकरियाँ स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित हुआ। पाँच वर्षों तक उपयोग में नहीं लायी गई, अधिगृहित भूमि रैयतों हजारीबाग के बड़कागांव और सारयकेला में वापस कराई गई। ऐसा पहली बार हुआ। पुरानी पेंशन योजना बहाल की कर सरकारी कर्मियों के चेहरे पर मुस्कान बिखेर दी। पर्व त्योहार एवं अन्य विषम परिस्थितियों में राज्य के लोगों की सुरक्षा हेतु मुस्तैद रहने वाले सभी पुलिसकर्मियों को वर्ष में 13 महीने का वेतन देने और रगुवार काल में घटायी गई छुट्टियों को निरस्त कर दिया।
अब सरकार को लगातार विचलित कर रही भाजपा खुद हेमन्त सरकार द्वारा लिए जा रहे जनहित के निर्णय से विचलित हो गई है। अपना आधार खिसकता देख सरकार को डराने के प्रयास में जुटी है, लेकिन हेमन्त सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार तटस्थ होकर ऐतिहासिक निर्णय राज्य और जनहित में ले रही है।
