*सीएम हेमंत सोरेन को मिली राहत से भारतीय न्यायपालिका में फिर बढ़ा लोगों का भरोसा, रघुवर-निशिकांत जी जरूर सोचे, देश में लोकतंत्र अभी जिंदा है.*
*भाजपा कम प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के प्रवक्ता एवं अपनी पत्नी के नाम पर सरकारी तंत्र का दुरुपोयग करने वाले निशिकांत दूबे और भ्रष्टाचार का आरोप झेल रहे रघुवर दास को अपनी कार्यशैली पर मंथन जरूर करना चाहिए.*
*बड़ा सवाल – जिस याचिकाकर्ता ने आपसी रंजिश के तहत मुख्यमंत्री के खिलाफ पीआईएल की, जिसके वकील को बंगाल पुलिस ने 50 लाख नकदी से पकड़ा, उसपर कौन करेगा भरोसा.*
रांची : झारखंड के राजनीतिक इतिहास में बुधवार का दिन काफी महत्वपूर्ण बन गया. ऐसा इसलिए क्योंकि जिस भाजपा और इनके चहेते (रघुवर दास, निशिकांत दूबे, बाबूलाल मरांडी सरीखे नेताओं सहित जनहित याचिका करने वाले) प्रदेश के युवा व लोकप्रिय नेता हेमंत सोरेन पर अनर्गल आरोप लगाकर उनकी सदस्यता रद्द करने की मांग करते फिर रहे हैं, उन्हें भारतीय न्यायपालिका से करारा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट के दिए फैसले के बाद जहां लोकप्रिय युवा मंत्री हेमंत सोरेन को जीत मिली है, वहीं, भारतीय न्यायपालिका पर लोगों का भरोसा एक बार फिर से कायम हुआ है. सुप्रीम कोर्ट के दिये फैसले के बाद भाजपा नेताओं को यह जरूर सोचना चाहिए कि देश में लोकतंत्र अभी भी जिंदा है.
*हेमंत सोरेन से केस मामलों में झारखंड हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने लगायी रोक*
दरअसल शेल कंपनियों में निवेश और गलत तरीके से माइनिंग लीज लेने के आरोपों से संबंधित याचिका पर देश के शीर्ष न्यायालय ने बुधवार को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अंतरिम राहत दी है. उच्चतम न्यायालय ने शेल कंपनी, माइनिंग लीज से संबंधित केस मामलों में झारखंड हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई पर रोक लगा दी है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और झारखंड सरकार ने झारखंड हाईकोर्ट में इस मामले से संबंधित पीआईएल की सुनवाई पर रोक लगाने की मांग को लेकर शीर्ष न्यायालय में एसएलपी (स्पेशल लीव पिटिशन) दायर की थी.
*याचिकाकर्ता करने वाले का उद्देश्य भयादोहन करना, उसके वकील तो एक्सटॉर्शन की 50 लाख रुपये के साथ हुए गिरफ्तार*
मिली राहत के बाद अब प्रदेश की राजनीति और आम लोगों के जहन में एक बड़ा सवाल बनता जा रहा है कि जिस व्यक्ति ने आपसी रंजिश के तहत श्री सोरेन के खिलाफ पीआईएल की. जिसके वकील को बंगाल पुलिस ने 50 लाख नकदी के साथ गिरफ्तार किया, उसपर आखिर भरोसा कौन करेगा. बता दें कि बुधवार की सुनवाई में हेमंत सोरेन की तरफ से पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भी झारखंड हाईकोर्ट में दाखिल पीआईएल की मेंटेनेबिल्टी पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि सीएम हेमंत सोरेन और उनके करीबियों पर आरोप लगाते हुए जिस शिव शंकर शर्मा की तरफ से पीआईएल की गयी है, उसका उद्देश्य केवल भयादोहन करना है. कपिल सिब्बल ने कहा, याचिकाकर्ता के पिता की सोरेन परिवार के साथ पुरानी रंजिश रही है. उससे भी बड़ी बात है कि पीआईएल याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव कुमार को कोलकाता पुलिस ने एक्सटॉर्शन की 50 लाख रुपये की राशि के साथ गिरफ्तार किया गया है.
*रघुवर दास जी, जब आपकी कार्यशैली की जांच रिपोर्ट सामने आएगी, तो जनता को सच्चाई का पता चल जाएगा*.
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस साल फरवरी माह में हेमंत सोरेन पर अपने पद का दुरुपयोग करने और खुद को एक खनन पट्टा से फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया था. फरवरी के बाद करीब छह माह बीतने को है, लेकिन आरोप की एक भी सच्चाई सामने नहीं आयी. रघुवर दास को एक बार अपनी कार्यशैली पर बात करनी चाहिए. आखिर किस तरह उनके मुख्यमंत्री काल में झारखंड को ऊपर से नीचे तक लूटा गया. किस तरह से मोमेंटम घोटाला हुआ. किसी तरह कभी उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी रहे सरयू राय लगातार उनपर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे हैं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तो उनके कई कार्यशैली को लेकर जांच का निर्देश दिए हैं. जांच की रिपोर्ट जब सामने आएगी, तो शायद रघुवर दास की असली कार्यशैली को जनता जान लेगी.
*गोड्डा सांसद ने जिस तरह अपनी पत्नी के लिए सरकारी तंत्र का दुरुपयोग किया,, शायद ही वैसा कोई राजनेता करें.*
उसी तरह गोड्डा सांसद निशिकांत दूबे आए दिन सोरेन परिवार पर हमला बोलते रहे हैं. निशिकांत दूबे भाजपा नेता से ज्यादा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के प्रवक्ता की तरह काम कर रहे हैं. लेकिन उन्हें अपने गिरेबान में जरूर झांकना चाहिए. उन्हें सोचना चाहिए कि किस तरह विष्णुकांत झा नामक व्यक्ति ने आपकी पत्नी अनामिका गौतम पर आरोप लगाया था कि देवघर में एक जमीन की बिक्री सिर्फ तीन करोड़ रुपये में की गई, जबकि सरकार की ओर से निर्धारित दर से इसकी कीमत करीब 19 करोड़ रुपये आंकी गयी. जमीन खरीद मामले में आपकी पत्नीस को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया. यानी सरकारी तंत्र का दुरुपयोग आप करें और आरोप किसी आरोप पर लगाए, यह समझ से परे है.