झारखंड में हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली महागठबंधन की सरकार ने 1000 दिन पूरे कर लिए हैं। इन 1000 दिनों के कामकाज में हेमंत सोरेन ने कई अहम फैसले लिए है। इन कार्यों से सीएम हेमंत सोरेन के खाते में कई उपलब्धियां आई, तो विवाद भी कुछ कम नहीं रहे।
इस समय, हेमंत उन कुछ विपक्षी नेताओं में से हैं, जिन्होंने साबित कर दिया है कि भाजपा को राजनीतिक रूप से मात दी जा सकती है और वह भी अपने अपेक्षाकृत छोटे राजनीतिक करियर की सबसे बड़ी चुनौती के बीच, हेमंत ने एक दुर्लभ निडरता दिखाई और लंबे समय से चले आ रहे विवादास्पद मुद्दों को समाप्त करने के लिए जन-समर्थक नीतियों की एक श्रृंखला शुरू की। हम नहीं जानते कि 2024 में क्या होगा, लेकिन अब तक, झामुमो ने निश्चित रूप से आदिवासियों, मूलवासियों, सरकारी कर्मचारियों, पुलिस कर्मियों और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के बीच अपना वोट आधार बढ़ाया है
हेमंत सरकार अपने कार्यकाल में झारखंड की नई औद्योगिक नीति, झारखंड की नई खेल नीति, झारखंड की नई पर्यटन नीति,1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू करने को लेकर कैबिनेट से प्रस्ताव पास करना, ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था,KCC को स्वीकृति,सरकारी कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम, आंगनबाड़ी सेविकाओं के मानदेय में वृद्धि, सभी के लिए राशन कार्ड एवं 10 रुपये में धोती साड़ी लूंगी योजना,झारखंड में ट्राइबल यूनिवर्सिटी,प्राइवेट सेक्टर में स्थानीयों के 75 फीसदी आरक्षण,15 लाख हरा राशन कार्ड,100 यूनिट फ्री बिजली,आंगनबाड़ी सेविका और सहायिकाओं की 30 साल पुरानी मांग पूरी मुख्यमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (CMEGP),गरीबों को 10 लीटर पेट्रोल पर ₹25 प्रति लीटर की सब्सिडी इत्यादि योजनाएं लागू की.1000 दिन के कार्यकाल में सीएम हेमंत सोरेन एक के बाद एक अपने दावों को पूरा करते गए और साबित कर दिया कि हेमंत सरकार जो कहती है वो करती है.
