सनातन धर्म में पितृपक्ष का खास महत्व होता है. इस समय लोग अपने पूर्वजों के मोक्ष के लिए पिंडदान व तर्पण करते हैं. मोक्ष नगरी गया में पिंडदान करने का अलग महत्व है. यहां देश-विदेश से लोग आते हैं और अपने पूर्वजों के लिए पिंडदान करते हैं. यूक्रेन की यूलिया जीटो मेरास स्काई के बाद जर्मनी से भी 12 लोग (11 महिलाएं और एक पुरुष) गया आये और संगत घाट पर पूरे विधि विधान के साथ अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया. इस दौरान सभी पांरपरिक लिबाज में नजर आयें. विदेशी महिलाएं साड़ी तो पुरूष ने सफेद धोती पहनकर पिंडदान किया, पिंडदान करने के बाद सभी विष्णुपद मंदिर गये, जहां उन्होंने श्री विष्णुचरण पर पिंड अर्पित कर दिवंगत हो चुके अपने सगे संबंधियों के मोक्ष की कामना की.
यूक्रेन की यूलिया ने भी माता-पिता के मोक्ष के लिए किया था पिंडदान
बता दें कि पिछले दिनों यूक्रेन की रहने वाली यूलिया जीटो मेरास स्काई भी गया पहुंची थी. यूलिया ने रूस के साथ युद्ध में मारे गये अपने माता-पिता, सेना के जवानों, आम लोगों और रसिया में मारे गये सभी लोगों के मोक्ष के लिए पिंडदान किया था. आचार्य लोकनाथ गौड़ ने यूलिया को पूरी विधि विधान से कर्मकांड कराया था. यूलिया पेशे से साइकोलॉजिस्ट हैं और यूक्रेन में रहकर ऑनलाइन चीन और दूसरे देशों के लिए काम करती हैं.