रांची : इसमें कोई शक नहीं कि पिछड़े राज्यों में शामिल झारखंड में विस्थापन एक गंभीर समस्या है. राज्य कई वर्षों से विस्थापन की समस्या को झेल रहा है. वर्षों से हो रहे खनन कार्य के कारण गरीब, आदिवासी-मूलवासी लोग विस्थापित होते रहे हैं. लेकिन, आज तक केंद्र सरकार की ओर से कोई राहत या मुआवजा पीड़ित परिवार को मिला है. कमोवेश यही स्थिति विस्थापित कैदियों की मौत और आपदा या सड़क दुर्घटना से से मरने वाले लोगों के परिजनों को लेकर भी है. राज्य की वर्तमान हेमंत सोरेन सरकार ऐसे पीड़ित परिवारों के दर्द को बांटने का काम करेगी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्वंय व्यक्तिगत रूचि लेते हुए परिजनों के दर्द को बांटने का फैसला किया है.
भाजपा के जनप्रतिनिधि भी मानते हैं कि केंद्र सरकार मुआवजा नहीं देती
ऐसा नहीं है कि मुख्यमंत्री या कोयलांचल से आने वाले भाजपा जनप्रतिनधि इस बात से वाकिफ नहीं है कि विस्थापित आज किसी हाल से गुजर रहे हैं. बाघमारा से भाजपा विधायक ढुल्लू महतो ने भी स्वंय मानसून सत्र 2021 के दौरान सदन में कहा था कि केंद्र सरकार की सार्वजनिक इकाई झारखंड के कोयलांचल में लोगों की जमीन खनन के लिए ले लेती है, लेकिन जमीन का मुआवजा नहीं देती. जिसके जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि झाऱखंड का कोल इंडिया लिमिटेड पर डेढ़ लाख करोड़ रुपये का बकाया है और कंपनी राज्य सरकार को उसका भुगतान नहीं कर पा रही है. बहुत बार रिमाइंडर भेजने पर राज्य सरकार को सिर्फ 300 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जो कुल बकाए के सामने कुछ भी नहीं है.
रैयतों को अधिग्रहित जमीन वापस करने वाली झाऱखंड के इतिहास की पहली सरकार – ‘हेमंत सोरेन सरकार’
बजट सत्र 2022 में फिर से मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के विस्थापितों की समस्या के समाधान को लेकर उनकी सरकार शीघ्र बेहतर उपाय करेगी. जल्द ही राज्य में विस्थान एवं पुनर्वास आयोग या कोई अन्य माध्यम से इस समस्या का समाधान किया जाएगा. बता दें कि हेमंत सोरेन सरकार की झारखंड के इतिहास की पहली सरकार बनी है, जिसने पहली बार रैयतों को अधिग्रहित जमीन वापस करने का काम किया था.
हेमंत की घोषणा – भूमि अधिग्रहण नीति – 2013 में सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य के आधार पर होगा मुआवजा का भुगतान
आपकी योजना – आपकी सरकार – आपके द्वार कार्यक्रम को लेकर बुधवार को चतरा पहुंचे मुख्यमंत्री ने केंद्रीय उपक्रम सेंट्रल कोल फील्ड लिमिटेड का नाम लिए बिना ही फिर से सख्त चेतावनी दे दी. रैयतों के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा. कंपनियों को 2013 की केंद्र सरकार की नीति के अनुरूप मुआवजे का भुगतान करना होगा. सीएम ने कहा कि वैसे इलाके जहां खनन कार्य के लिए जमीन का अधिग्रहण हो चुका है या हो रहा है अथवा होना है और जिसमें विस्थापितों को अबतक मुआवजा नहीं मिला है, उन सभी मामलों में भूमि अधिग्रहण नीति – 2013 में सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य के आधार पर मुआवजा का भुगतान होगा.
पहली बार विचाराधीन कैदियों को मुआवजा देने की हुई पहल.
विस्थापितों को मुआवजा देने पर जोर देने के साथ मुख्यमंत्री ने विचाराधीन कैदियों की मौत के मामले में परिजनों को मुआवजा देने का सख्त निर्देश दिया है. निर्देश के बाद उनके नियंत्रण वाले गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी किया है. यह निर्देश राज्य के अलग-अलग जिलों में विचाराधीन कैदियों की मौत के मामले में मुआवजा को लेकर है.
जैसे –
• रांची में जेल में बंद सुनील सिंह जिसकी मौत हो चुकी है, के पिता रामपाल सिंह को चार लाख मुआवजा मिलेगा.
• बोकारो के फुसरो के बसंत कुमार गुप्ता जो विचाराधीन कैदी थे, की मौत उनकी पत्नी डोली गुप्ता को 3 लाख मुआवजा मिलेगा.
• गिरिडीह जिला के भी एक पीड़िता राखी देवी को एक लाख का मुआवजा मिलेगा.
*अब आपदा से मौत मामले में चार लाख रूपए तक का मुआवजा.*
आपदा से हुई मौत को लेकर भी हेमंत सोरेन सरकार ने मिलने वाली मुआवजा राशि में बड़ा बदलाव किया है. महत्वाकांक्षी ‘आपकी योजना, आपकी सरकार, आपके द्वार’ कार्यक्रम के दूसरे चरण के शुभांरभ को लेकर बीते दिनों गिरीडीह पहुंचे हेमंत सोरेन ने घोषणा कर दी कि अब किसी आपदा में मृत्यु होने पर मृतक के परिजनों को चार लाख रुपये मुआवजा मिलेगा. अर्थात सर्पदंश, बिच्छू के काटने, हाथी के रौंदने, तालाब में डूबने पर एक समान चार लाख मुआवजा दिया जायेगा.
पहली सरकार जो सरकार दुर्घटना में हुई मौत पर देगी मुआवजा.
अगर सड़क दुर्घटना में किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो परिजनों को एक लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा. झारखंड संभवतः पहला राज्य है, जहां पर सड़क हादसों में हुई मौत के लिए सरकार मुआवजा देगी. हालांकि यह नियम सड़क हादसे में मौत होने पर ही लागू होगा यानी घायलों को मुआवजा नहीं दिया जाएगा.