हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचईसी) के पूर्व सीएमडी अभिजीत घोष ने कंपनी को योजनाबद्ध तरीके से करोड़ों का नुकसान पहुंचाया है. अपने चहेते अफसरों के साथ मिल कर कंपनी की परिसंपत्तियों को नुकसान पहुंचाया है. इतना ही नहीं, सीएमडी पद छोड़ने से पहले अभिजीत घोष ने 28 करोड़ रुपए का बंदरबांट किया. इस बंदरबांट में एचईसी दिल्ली साइट ऑफिस के तत्कालीन अफसर नवीन कुमार ने अहम भूमिका निभाई. अफसरों की एक टीम ने मिल कर 28 करोड़ का घोटाला कर लिया. घोटाले को अंजाम तक पहुंचाने के लिए अभिजीत घोष ने अहम भूमिका निभाई. सीएमडी के पावन का जम कर दुरूपयोग किया. कंपनी की आर्थिक स्थिति सुधारने के नाम पर कागजी योजना बना कर करोड़ों का गोलमाल किया. यह खुलासा सीबीआई जांच में हुआ है.
सीबीआई की विशेष टीम एचईसी मुख्यालय आई थी
एचईसी कंपनी के पांच अफसरों से सीबीआई पूछताछ करेगी. जून 2023 में सीबीआई की विशेष टीम एचईसी मुख्यालय आई थी. मुख्यालय में पदस्थापित कई अफसरों से सीबीआई ने पूछताछ की थी. तत्कालीन सीएमडी अभिजीत घोष के कार्यकाल में हुए राशि आवंटन, जमीन आवंटन आदि से संबंधित संचिकाओं को सीबीआई अपने साथ ले गई थी. सीबीआई ने जांच में पाया है कि आर्थिक संकट के दौर से गुजर रही कंपनी को चंद अफसरों ने मिलकर करोड़ों का नुकसान पहुंचाया. कंपनी के पास जब पैसे नहीं थे, तब अफसरों ने सामान्य इंजीनयरिंग सुविधा केंद्र खोलने के नाम पर आवंटित राशि 28 करोड़ का घोटाला कर लिया. राशि हड़पने के लिए अफसरों ने सीईएफसी प्रथम फाउंडेशन के तत्वावधान में एचईसी द्वारा एक सामान्य इंजीनियरिंग सुविधा केंद्र खोला.
मंत्रालय का दिखाने के लिए आधे अधूरे केंद्र का कर दिया उद्घाटन
सीबीआई जांच में पता चला है कि एचईसी अफसरों ने भारी उद्योग मंत्रालय और सार्वजनिक उद्यम विभाग को अधूरी जानकारी देकर 16 करोड़ का आर्थिक सहायोग ले लिया. आर्थिक संकट के दौर से गुजर रही कंपनी के खाते से तत्कालीन सीएमडी ने 8 करोड़ रुपए भी केंद्र के लिए निर्गत कर दिया. एचईसी अफसरों ने राशि हड़पने की नियत से इंजीनियरिंग सुविधा केंद्र का स्थान बदल दिया. मंत्रालय को अफसरों ने बताया था कि हटिया स्थित निफ्ट में केंद्र का संचालन होगा. केंद्र सरकार से जब राशि निर्गत हुई, तो अफसरों ने निफ्ट के बजाए एचईसी मुख्यालय भवन के चौथे तल पर केंद्र संचालन की कार्रवाई शुरू कर दी. खर्च और संचालित केंद्र दिखाने के लिए तत्कालीन सीएमडी अभिजीत घोष ने 23 नवंबर 2017 को आपाधापी में केंद्र का उद्घाटन कर दिया. मुख्यालय में इंजीनियरिंग केंद्र के कार्यालय सुंदरीकरण के नाम पर लाखों रुपए खर्च कर दिए. जनरेटर सहित दर्जनभर पानी टंकी आदि की खरीदारी भी हुई. रिटायरमेंट से कुछ दिन पहले श्री घोष ने केंद्र का उद्घाटन किया था, उनके रिटायरमेंट के कुछ ही दिनों बाद केंद्र के जिम्मेवार भी अचानक गायब हो गए. वर्तमान में केंद्र के लिए खरीदे गए कई उपकरण मुख्यालय में लावारिश हालत में पड़े हुए हैं.
जमीन आवंटन के खेल में भी अभिजीत घोष आरोपी
एचईसी ने निजी कंपनियों को अपने 9 भवन और जमीन लीज पर दे रखी है. इन भवनों का आवंटन वर्ष 2016 से 2018 के बीच हुआ है. आवंटन के इस खेल में एचईसी के अफसरों ने करोड़ों रुपए की कमाई की है. यह शिकायत सेंट्रल विजिलेंस ऑफिस, दिल्ली को मिली थी. एचईसी के पूर्व सीवीओ दीपक कुमार ने भी प्रबंधन द्वारा लीज में गड़बड़ी की जानकारी दी थी. एचईसी के तत्कालीन सीएमडी अभिजीत घोष के कार्यकाल में सभी भवन लीज पर पर दिए गए थे. लीज पर दिए गए भवनों में अतिरिक्त निर्माण नहीं करना था. मगर ज्यादातर कंपनियों ने तत्कालीन सीएमडी अभिजीत घोष और प्रबंधन के अन्य अफसरों के साथ मिलकर अतिरिक्त निर्माण भी किया और लीज की शर्तों की अनदेखी भी की. इस मामले की जांच सीवीसी ने की, तो उसमें भी पूर्व सीएमडी अभिजीत घोष को दोषी ठहराया है.