29 साल बीत गए बाबरी ध्वंस को, अब कोई काला दिवस नहीं

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छह दिसम्बर 1992 की घटना को बीते 29 साल बीत चुके हैं। आज यानी 6 दिसंबर देश के इतिहास में बेहद ही खास है। आज ही के दिन अयोध्या में लाखों कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद को ढहा दिया था। पांच दिसंबर की सुबह ही अयोध्या में बाबरी मस्जिद (babri masjid) के पास कारसेवक पहुंचने शुरू हो गए थे। अगले दिन भीड़ उग्र हो गई औऱ शाम को 5 बचकर पांच मिनट में बाबरी मस्जिद जमींदोज हो गई।

एक अनुमान है कि उस दिन 1.5 लाख से ज्यादा कारसेवक (kar sevaks in ayodhya) वहां मौजूद थे और सिर्फ 5 घंटे में ही भीड़ ने बाबरी का ढ़ांचा (babri masjid black day) गिरा दिया था। इस घटना के तुरंत बाद देशभर में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे जिनमें 2 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में 49 लोग आरोपी बन गए थे जिनमें लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, चंपत राय, कमलेश त्रिपाठी जैसे भाजपा और विहिप के नेताओं के नाम भी थे। ये मामला कम से कम 28 सालों तक कोर्ट में चला। इसके बाद 2020 में सितंबर महीने में लखनऊ की सीबीआई कोर्ट ने सभी आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। फैसले के वक्त 49 में से कम 32 आरोपी ही बचे थे जबकि 17 आरोपियों का निधन हो गया था। 1853: हिंदुओं का आरोप- मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई। पहला हिंदू-मुस्लिम संघर्ष हुआ।

1859: ब्रिटिश सरकार ने विवादित भूमि को बांटकर आंतरिक और बाहरी परिसर बनाए।

1885: कानूनी लड़ाई शुरू हुई। महंत रघुबर दास ने राम मंदिर निर्माण के लिए इजाजत मांगी।

1949: 23 दिसंबर को लगभग 50 हिंदुओं ने मस्जिद के केंद्रीय स्थल में भगवान राम की मूर्ति रखी।

1950: 16 जनवरी को एक अपील में मूर्ति को विवादित स्थल से हटाने से न्यायिक रोक की मांग।

1950: 5 दिसंबर को राम की मूर्ति रखने के लिए कोर्ट में केस किया गया।

1959: 17 दिसंबर को निर्मोही अखाड़ा ने विवादित स्थल के लिए मुकदमा दायर किया। 1961: 18 दिसंबर को सुन्नी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मालिकाना हक के लिए केस किया।

1984: विश्व हिंदू परिषद विशाल मंदिर निर्माण और मंदिर के ताले खोलने के लिए अभियान शुरू।

1986: 1 फरवरी फैजावाद जिला अदालत ने विवादित स्थल में हिंदुओं को पूजा की अनुमति दे दी।

1989: जून में भारतीय जनता पार्टी ने मंदिर आंदोलन में वीएचपी का समर्थन किया।

1989: 1 जुलाई को मामले में पांचवा मुकदमा दाखिल हुआ।

1989: नवंबर 9 को बाबरी के नजदीक शिलान्यास की परमीशन दी गई।

1990: 25 सितंबर को लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक रथ यात्रा की। 1990: नवंबर में आडवाणी गिरफ्तार। भाजपा ने वीपी सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया।

1991: अक्टूबर में कल्याण सिंह सरकार ने विवादित क्षेत्र को कब्जे में ले लिया।

1992: 6 दिसंबर को कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद को ढहा दिया। एक अस्थाई मंदिर बनाया गया।

बात इकबाल अंसारी की
iqbal ansari ayodhya
इकबाल अंसारी बाबरी मस्जिद के सबसे पुराने पक्षकार रहे हाशिम अंसारी के बेटे हैं। हाशिम अंसारी ने वर्ष 1949 से 2016 तक मस्जिद की पैरवी की थी। पिता की मौत के बाद इकबाल अंसारी ने बतौर पक्षकार बाबरी मस्जिद की कानूनी लड़ाई लड़ी। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का आदर करते हुए उन्होंने मामले को आगे न बढ़ाने का निर्णय लिया और अपने इस फैसले पर वह आज भी अडिग हैं।

इकबाल अंसारी (iqbal ansari ayodhya) का कहना है कि न्यायालय से निर्णय आने के बाद अब इस मुद्दे के लिए कोई जगह नहीं है, हमें अब काला दिवस भी नहीं मनाना है और न ही कोई विरोध करना है। इकबाल अंसारी ने कहा कि सुप्रीमकोर्ट ने मस्जिद के लिए जो जमीन दी है, उसे सुन्नी वक्फ बोर्ड सेन्ट्रल बोर्ड को उपलब्ध करा दी गई है। उत्तर प्रदेशमनोरंजनराज्यदेशटेकबिज़नेसएस्ट्रोखेलवीडियोफोटो स्टोरीज़
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Babri Masjid Demolition: 29 साल बीत गए बाबरी ध्वंस को, अब कोई काला दिवस नहीं
Babri Masjid Demolition : आज यानी 6 दिसंबर देश के इतिहास में बेहद ही खास है। आज ही के दिन अयोध्या में लाखों कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद को ढहा दिया था।
Newstrack : Network
By : Vidushi Mishra
Update: 2022-12-06 03:17 GMT
babri masjid
बाबरी मस्जिद विध्वंस (फोटो- सोशल मीडिया)



Babri Masjid Demolition : छह दिसम्बर 1992 की घटना को बीते 29 साल बीत चुके हैं। आज यानी 6 दिसंबर देश के इतिहास में बेहद ही खास है। आज ही के दिन अयोध्या में लाखों कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद को ढहा दिया था। पांच दिसंबर की सुबह ही अयोध्या में बाबरी मस्जिद (babri masjid) के पास कारसेवक पहुंचने शुरू हो गए थे। अगले दिन भीड़ उग्र हो गई औऱ शाम को 5 बचकर पांच मिनट में बाबरी मस्जिद जमींदोज हो गई।

एक अनुमान है कि उस दिन 1.5 लाख से ज्यादा कारसेवक (kar sevaks in ayodhya) वहां मौजूद थे और सिर्फ 5 घंटे में ही भीड़ ने बाबरी का ढ़ांचा (babri masjid black day) गिरा दिया था। इस घटना के तुरंत बाद देशभर में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे जिनमें 2 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे।


बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में 49 लोग आरोपी बन गए थे जिनमें लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, चंपत राय, कमलेश त्रिपाठी जैसे भाजपा और विहिप के नेताओं के नाम भी थे। ये मामला कम से कम 28 सालों तक कोर्ट में चला। इसके बाद 2020 में सितंबर महीने में लखनऊ की सीबीआई कोर्ट ने सभी आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। फैसले के वक्त 49 में से कम 32 आरोपी ही बचे थे जबकि 17 आरोपियों का निधन हो गया था।


बाबरी विवाद की कहानी

babri masjid history
1528: अयोध्या में बाबर ने एक ऐसी जगह मस्जिद का निर्माण कराया जिसे हिंदू राम जन्म भूमि मानते हैं।


1853: हिंदुओं का आरोप- मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई। पहला हिंदू-मुस्लिम संघर्ष हुआ।

1859: ब्रिटिश सरकार ने विवादित भूमि को बांटकर आंतरिक और बाहरी परिसर बनाए।

1885: कानूनी लड़ाई शुरू हुई। महंत रघुबर दास ने राम मंदिर निर्माण के लिए इजाजत मांगी।

1949: 23 दिसंबर को लगभग 50 हिंदुओं ने मस्जिद के केंद्रीय स्थल में भगवान राम की मूर्ति रखी।

1950: 16 जनवरी को एक अपील में मूर्ति को विवादित स्थल से हटाने से न्यायिक रोक की मांग।

1950: 5 दिसंबर को राम की मूर्ति रखने के लिए कोर्ट में केस किया गया।

1959: 17 दिसंबर को निर्मोही अखाड़ा ने विवादित स्थल के लिए मुकदमा दायर किया।


1961: 18 दिसंबर को सुन्नी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मालिकाना हक के लिए केस किया।

1984: विश्व हिंदू परिषद विशाल मंदिर निर्माण और मंदिर के ताले खोलने के लिए अभियान शुरू।

1986: 1 फरवरी फैजावाद जिला अदालत ने विवादित स्थल में हिंदुओं को पूजा की अनुमति दे दी।

1989: जून में भारतीय जनता पार्टी ने मंदिर आंदोलन में वीएचपी का समर्थन किया।

1989: 1 जुलाई को मामले में पांचवा मुकदमा दाखिल हुआ।

1989: नवंबर 9 को बाबरी के नजदीक शिलान्यास की परमीशन दी गई।

1990: 25 सितंबर को लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक रथ यात्रा की।


1990: नवंबर में आडवाणी गिरफ्तार। भाजपा ने वीपी सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया।

1991: अक्टूबर में कल्याण सिंह सरकार ने विवादित क्षेत्र को कब्जे में ले लिया।

1992: 6 दिसंबर को कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद को ढहा दिया। एक अस्थाई मंदिर बनाया गया।

बात इकबाल अंसारी की
iqbal ansari ayodhya
इकबाल अंसारी बाबरी मस्जिद के सबसे पुराने पक्षकार रहे हाशिम अंसारी के बेटे हैं। हाशिम अंसारी ने वर्ष 1949 से 2016 तक मस्जिद की पैरवी की थी। पिता की मौत के बाद इकबाल अंसारी ने बतौर पक्षकार बाबरी मस्जिद की कानूनी लड़ाई लड़ी। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का आदर करते हुए उन्होंने मामले को आगे न बढ़ाने का निर्णय लिया और अपने इस फैसले पर वह आज भी अडिग हैं।

इकबाल अंसारी (iqbal ansari ayodhya) का कहना है कि न्यायालय से निर्णय आने के बाद अब इस मुद्दे के लिए कोई जगह नहीं है, हमें अब काला दिवस भी नहीं मनाना है और न ही कोई विरोध करना है। इकबाल अंसारी ने कहा कि सुप्रीमकोर्ट ने मस्जिद के लिए जो जमीन दी है, उसे सुन्नी वक्फ बोर्ड सेन्ट्रल बोर्ड को उपलब्ध करा दी गई है।

इकबाल अंसारी (फोटो- सोशल मीडिया)
इकबाल अंसारी (फोटो- सोशल मीडिया)
ऐसे में अब इस मुद्दे को लेकर पक्षकारों का कोई लेना देना नहीं है। पुर्नविचार याचिका के सवाल पर उन्होंने कहा कि कुछ लोग जो इस कमेटी में नहीं है, वे यह मसला उछाल देते हैं। वैसे अब लोगों को मंदिर मस्जिद छोड़कर विकास की बात करनी चाहिए। सियासी लोग भी विकास को बात करें तो बेहतर होगा।

उन्होंने कहा कि कोर्ट से जो भी निर्णय आया है, उससे हम संतुष्ट हैं। इस मामले को अब आगे नहीं खींचना चाहते हैं। इकबाल अंसारी कहते हैं कि अब 6 दिसंबर को काला दिवस मनाने की जरूरत नहीं है और न ही ऐसा कुछ करना चाहिए। हिंदुस्तान में मंदिर और मस्जिद के नाम पर अब कोई बखेड़ा नहीं खड़ा होना चाहिए।

सबसे लम्बे समय तक कम करने वाला आयोग
बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए बनी परिस्थितियों की जांच करने के लिए लिब्रहान आयोग का गठन किया गया। ये आयोग भी अपने आप में एक रिकॉर्ड है क्योंकि विभिन्न सरकारों द्वारा 48 बार अतिरिक्त समय की मंजूरी पाने वाला, भारतीय इतिहास में सबसे लंबे समय तक काम करनेवाला यह आयोग था। इसके बाद दोनों नेता राम कथा कुंज के लिए रवाना हो गए। यह वह इमारत है जो विवादित ढांचे के सामने थी, जहां वरिष्ठ नेताओं के लिए एक मंच का निर्माण किया गया था। दोपहर में एक किशोर कार सेवक कूद कर गुंबद के ऊपर पहुंच गया और उसने बाहरी घेरे को तोड़ देने का संकेत दिया।

रिपोर्ट कहती है कि इस समय आडवाणी, जोशी और विजय राजे सिंधिया ने कार सेवकों से उतर आने का औपचारिक अनुरोध किया। लेकिन पवित्र स्थान के गर्भगृह में नहीं जाने या ढांचे को न तोड़ने की कार सेवकों से कोई अपील नहीं की गयी थी।

इस घटना के 16 साल से भी अधिक समय के बाद 30 जून 2009 को लिब्राहन आयोग ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। लिब्रहान रिपोर्ट ने मस्जिद ध्वंस की सिलसिलेवार घटनाओं के टुकड़ों कों एक साथ गूंथा था।

रिपोर्ट के अनुसार, 6 दिसंबर को सुबह लालकृष्ण आडवाणी और अन्य लोगों ने विनय कटियार के घर पर मुलाकात की। इसके बाद वे विवादित ढांचे के लिए रवाना हुए। आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और कटियार पूजा की वेदी पर पहुंचे, जहां प्रतीकात्मक रूप से कार सेवा होनी थी। फिर आडवाणी और जोशी ने अगले 20 मिनट तक तैयारियों का निरीक्षण किया।

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