90 लाख जनजातीय लोगों के संस्कृति को बचा रही झारखंड सरकार

झारखण्ड
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90 लाख जनजातीय लोगों के संस्कृति को बचा रही झारखंड सरकार, साहूकारों और महाजनों से मुक्ति दिलाने वाले पहले मुख्यमंत्री होंगे हेमंत सोरेन.

अबतक पांच आदिवासी राजनेताओं ने संभाली राज्य की बागोडोर, जनजातीय समाज के लिए सही मायने में काम तो हेमंत सोरेन ही कर रहे.

• हेमंत सोरेन की पहल पर सरना और मसना स्थल को संरक्षित करने का संकल्प ले रहे जनजातीय समाज के लोग.
• जनजातीय समुदाय के पवित्र स्थल जैसे – सरना, जाहेरस्थान, हड़गड़ी, मसना का एक योजना बनाकर इनका सरकार करेगी संरक्षण एवं विकास
• जनजातीय बच्चों वाले एकलव्य विद्यालयों में हेमंत सरकार बनाएगी मल्टीपर्पस ऑडिटोरियम, ताकि उनके संस्कृति पर कार्यक्रम हो सके.
• जनजातीय लोगों को महाजनों और साहूकारों से मुक्ति दिलाने के लिए राज्य सरकार बनाने जा रही सख्त कानून.
• निजी कार्यक्रमों में कर्ज नहीं लेना पड़े, इसके लिए सामूहिक भोज के लिए 100 किलो चावल और 10 किलो दाल मुफ्त देगी सरकार.

रांची : झारखंड राज्य बनने के 22 सालों में अब तक जनजातीय समाज के पांच राजनेताओं ने मुख्यमंत्री का पद संभाला है. इसमें तो भाजपा से बाबूलाल मरांडी और अर्जुन मुंडा, झामुमो से शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन और कांग्रेस के समर्थन से मधु कोड़ा (निर्दलीय) शामिल हैं. प्रदेश के 90 लाख जनजातीय समाज और इनके संस्कृति के संरक्षण के हित में जितना काम वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कर रहे हैं, शायद उतना काम उपरोक्त मुख्यमंत्रियों से किसी ने किया हो. हेमंत सोरेन जानते हैं कि प्राचीनतम व्यवस्थाओं में एक आदिवासी समाज आज की भौतिकवादी युग में सामंजस्य नहीं बना पा रहा है. समाज के युवक-युवती आज अपनी संस्कृति को सही तरीके से जान नहीं पा रहे हैं. अगर इनका संरक्षण नहीं किया गया, तो इन्हें विलुप्त होने से भी कोई नहीं बचा सकेगा. इसके लिए हेमंत सोरेन नेतृत्व वाली सरकार राज्य सरकार आदिवासी समाज की परंपरा और कला- संस्कृति को संरक्षित करने का हर संभव प्रयास कर रही है. इसी प्रयास का उदाहरण है – राजधानी रांची के सिरोमटोली सरना स्थल का 5 करोड़ रुपए की लागत से सौंदर्यीकरण काम. मुख्यमंत्री की सलाह पर आज सरना और मसना स्थल को संरक्षित करने के लिए जनजातीय समाज के लोग संकल्प ले रहे हैं.

योजना बनाकर होगा सरना, मसना, जाहेरस्थान, हड़गड़ी का संरक्षण एवं विकास.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि उनकी सरकार राज्य की सभी सरना, मसना, जाहेरस्थान, हड़गड़ी का संरक्षण एवं विकास करने का संकल्प ले चुकी है. ऐसा करने का उद्देश्य आनेवाली पीढ़ी भी इसके ऐतिहासिक महत्व से भलीभांति वाकिफ करना है. बीते दिनों ही सरकार ने जनजातीय समुदाय के पवित्र स्थल जैसे – सरना, जाहेरस्थान, हड़गड़ी, मसना को एक योजना के तहत संरक्षित और विकसित करने का फैसला किया है. जैसे –
• सरना, मसना, जाहेरस्थान, हड़गड़ी स्थल खतियान में झारखंड या बिहार सरकार दर्ज है तो संरक्षण एवं विकास के लिए उस जमीन को भूमि हस्तांतरण अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग, रांची को की जाएगी.
• यदि खतियान में किस्म जंगल-झाड़ी दर्ज है तो इस भूमि को वन विभाग को दिया जाएगा.
• यदि यह स्थल रैयती भूमि पर हैं तो भूमि अधिग्रहण एक्ट 2013 के तहत इनका अधिग्रहण किया जायेगा.

जनजातीय संस्कृति के लिए 15 जिलों के एकलव्य स्कूलों में बनेगा मल्टीपर्पस ऑडिटोरियम

जनजातीय संरक्षण को लेकर हेमंत सरकार ने एकलव्य विद्यालयों में मल्टीपर्पस ऑडिटोरियम बनाने का फैसला किया है. इसका उद्देश्य जनजातीय संस्कृति पर कार्यक्रम करने के लिए आसानी से जगह दिलाना है. राज्य के चार प्रमंडल संथाल परगना, उत्तरी छोटानगपुर, पलामू और कोल्हान के कुल 15 जिलों में बने आवासीय विद्यालयों में यह मल्टीपर्पस ऑडिटोरियम खोला जाएगा. प्रत्येक की क्षमता 500 – 500 छात्रों की होगी. इसपर हेमंत सरकार कुल 31.16 करोड़ रुपए (31,16,87,360 करोड़ रुपए) खर्च करेगी. इसका उद्देश्य स्कूलों ऑडिटोरियम में खेलकूद, जनजातीय समाज के सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देना है. जिन प्रमंडलों के जिलों में इसे बनाया जाएगा, उसमें शामिल हैं.
• संथाल परगना – पाकुड़, दुमका, गोड्डा, साहेबगंज.
• उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल – गिरिडीह, चतरा, रामगढ़, बोकारो और हजारीबाग.
• पलामू प्रमंडल – गढ़वा, पलामू और लातेहार.
• कोल्हान प्रमंडल – सरायकेला, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिम सिंहभूम.

साहूकारों और महाजनों से मुक्ति दिलाने वाले पहले मुख्यमंत्री बनेंगे हेमंत सोरेन.

जनजातीय समाज के लिए हेमंत सरकार कई अन्य कामों पर भी काम कर रही है. इसमें सबसे प्रमुख है.
• जनजातीय लोगों को महाजनों और साहूकारों से मुक्ति दिलाना. इसके लिए हेमंत सरकार जल्द ही ऐसा सख्त कानून बनाने जा रही है, ताकि महाजनों और साहूकारों से लिया गया कर्ज नहीं लौटना पड़े.
• मुख्यमंत्री खुद जनजातीय समाज से आते हैं. वे जानते हैं कि एक जनजातीय व्यक्ति आर्थिक तंगी की वजह से नीजि कार्यक्रमों (शादी विवाह, मृत्यु जैसे) में कर्ज लेता है. इसलिए उन्होंने फैसला किया है कि किसी कार्यक्रम में कर्ज नहीं लेना पड़े, इस जनजातीय परिवारों को राज्य सरकार सामूहिक भोज के लिए 100 किलो चावल और 10 किलो दाल मुफ्त में देगी.
• इसी तरह जनजातीय संस्कृति को सभी लोगों तक पहुंचाने (विशेषकर इस वर्ग के युवक-युवतियों को) के लिए हर साल झारखंड में नौ अगस्त को जनजातीय महोत्सव आयोजित किया जाएगा.

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