झारखंड का एजुकेशन डिपार्टमेंट शिक्षा की पुरानी व्यवस्था से निकलकर अब डिजिटल युग के साथ तेजी से कदम मिलाने लगा है. डिजिटल युग में अब सरकारी स्कूलों के क्लास भी स्मार्ट होंगे. अटेंडेंस और असाइनमेंट जैसी चीजों को ऑनलाइन करने के बाद अब शिक्षा विभाग बच्चों की पढ़ाई की भी ऑनलाइन व्यवस्था करने जा रहा है. इसके लिए जे-गुरुजी एप तैयार किया गया है. प्ले स्टोर पर इस एप को फ्री में डाउनलोड करने के बाद बच्चों की क्लास मोबाइल में भी उपलब्ध होगी और सरकारी स्कूलों के बच्चे डिजिटल पढ़ाई करेंगे.
सीएम 16 अक्टूबर को लॉन्च करेंगे एप
सरकार ने प्राइवेट स्कूलों की तरह सरकारी स्कूलों में भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए जुलाई माह में स्कूल ऑफ एक्सीलेंस शुरू किया था. वहीं अब जे-गुरुजी एप की मदद से बच्चों को शिक्षा से ऑनलाइन जोड़ने की पहल शुरू की गयी है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस एप को 16 अक्टूबर को लॉन्च करेंगे.
ऑडियो-वीडियो माध्यम से पढ़ेंगे बच्चे
जे-गुरुजी एप से बच्चे स्कूल में डिजिटल माध्यम से तो पढ़ाई कर ही सकेंगे, स्कूल के बाद घर में भी वे मोबाइल से ऑडियो-वीडियो माध्यम से पढ़ पायेंगे. ऑनलाइन क्लास का चलन कोरोना काल में शुरू हुआ. सभी प्राइवेट स्कूलों ने इसे अपनाया. अभी भी लंबी छुट्टियां होने पर बच्चों को स्कूल से ऑनलाइन क्लास दिया जाता है, लेकिन सरकारी स्कूलों में संसाधनों की कमी के कारण ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था नहीं हो पायी थी. अब हर घर में स्मार्टफोन उपलब्ध है. इसे ध्यान में रखते हुए शिक्षा विभाग ने एप के जरिये सरकारी स्कूल के छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाने की योजना बनायी है.
क्या है जे-गुरुजी एप
जे-गुरुजी एप में कई फीचर्स हैं. एप में बच्चों की पढ़ाई का मूल्यांकन करने की भी व्यवस्था है. गलत उत्तर की व्याख्या करने और सही उत्तर देने की भी व्यवस्था की गयी है. नई तकनीक के साथ शुरू होने वाली शिक्षा को लेकर सरकारी स्कूलों में तैयारी शुरू कर दी गयी है. ऐप में ऐसी व्यवस्था की गयी है, जिससे बच्चों को सेल्फ स्टडी करने में कोई परेशानी नहीं होगी.
मुख्य बातें
- – सरकारी स्कूलों के बच्चे भी करेंगे ऑनलाइन पढ़ाई
- – स्कूल के बाद घर में ऑडियो-वीडियो माध्यम से कर सकेंगे पढ़ाई
- – स्मार्ट फोन के प्ले स्टोर से बिल्कुल फ्री डाउनलोड होगा एप
- – पढ़ाई के साथ बच्चों के दिये उत्तर का भी होगा मुल्यांकन
- – एप का इस्तेमाल करने के लिए उसमें रजिस्ट्रेशन करना होगा
- – एप में हर स्कूल के लिए अलग-अलग कोड होगा
- – स्कूल, शिक्षक और मैनेजमेंट के लिए अलग-अलग लॉगिन और पासवर्ड होगा