हाल ए वन विभागः 57 नर्सरी में उगाए गए 57.17 लाख पौधे, नहीं बिके 31 लाख

jharkhand News न्यूज़
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झारखंड का वन विभाग एक पहेली बनकर रह गया है . कभी अंडमान से झारखंड हाथी नहीं पहुंच पाता है, तो कभी कुनकी हाथी बीच रास्ते से ही गायब हो जाता है. यही हाल पौधों का भी है. पौधों की उत्तरजीविता का भी वन विभाग को पता नहीं है. वन विभाग कभी कहता है कि पांच फीसदी पौधे मर जाते है, तो कभी 18 से 20 फीसदी पौधे मर जाते हैं. खुद वन विभाग के आंकड़े बता रहे हैं कि राज्य के 57 नर्सरियों में 57.17 लाख पौधे उगाए गए, लेकिन 3096727 पौधों की बिक्री नहीं हुई. नर्सरी मैनेजमेंट में वन विभाग का सालाना बजट लगभग 50 करोड़ रुपए का होता है. जिसमें मजदूरी लेकर पौधों का रखरखाव भी शामिल है. साल भर पौधों की बिक्री नहीं होने पर पौधों की उत्तरजीविता पर वन विभाग के पास कोई स्पष्ट जवाब नहीं है.

नौ नर्सरियों में एक भी पौधे की बिक्री नहीं

पांच जिले के नौ नर्सरियों में 8.17 लाख पौधे उगाए गए, लेकिन इन नर्सरियों से एक भी पौधे की बिक्री नहीं हुई. जामा और दुमका नर्सरी में 50-50 हजार, मसलिया, काठीकुंड, रामगढ़ः(दुमका), जामा वन, जामताड़ा और नीमडीह में एक-एक लाख पौधे उगाए गए. वहीं राजधानी के रांची के नामकुम नर्सरी में 117455 पौधे उगाए गए, लेकिन इस सभी जगह पौधो का कोई खरीदार नहीं मिला.

इन नर्सरियों में शत-प्रतिशत पौधों की बिक्री

बालूमाथ, सिमरिया, बरही, रामगढ़ वन, रामगढ़ टू, पतरातू, गोविंदपुर, तोपचांची, टुंडी,बहरागोड़ा, चाकुलिया, घाटशिला और डुमरिया की नर्सरी से शत-प्रतिशत पौधों की बिक्री हुई है.

क्या है वन विभाग की योजना

वन विभाग की योजना कम कीमत में पौधा बेचकर लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरुक करने का है. इस कारण छोटे पौधों की

कीमत प्रति पौधा पांच रुपए रखी गई है. जबकि अपग्रेटेड बड़े पौधों की कीमत प्रति पौधा 15 रुपए रखी गई है. इसके बावजूद वन विभाग को कोई खरीदार नहीं मिल रहा. वन विभाग की नर्सरियों में औसतन फलदार सहित 35 प्रजाति के पौधे उगाए जाते हैं.

जांच की आंच में है वन विभाग

पौधों की खराब क्वालिटी और इसकी उत्तरजीविता को लेकर वन विभाग जांच की आंच में है. बिरसा हरित ग्राम योजना में प्रति एकड़ 3.56 लाख रुपये खर्च करके पौधे लगाये गये, लेकिन कुल पौधों में से 41 प्रतिशत तक मर गये. बीमारू पौधों की आपूर्ति और रखरखाव की कमी इसका मुख्य कारण बताया जा रहा है. साहिबगंज और पाकुड़ में 40 से 41 प्रतिशत तक पौधे मर गये. दुमका और धनबाद में 16 से 20 प्रतिशत पौधे मर गये.

इन नर्सरियों में पौधे ही नहीं उगाए गए

नवाडीह, मरकच्चो, सतगांवा, लातेहार, सेन्हा, तेनुघाट, कुडू, गोमिया, बेंगाबाद, चैनपुर, जमुआ, पेटरवार, बगोदर, सरिय़ा, जरीडीह, मोहनपुर, रायडीह, तोरपा, सिल्ली, सिमडेगा, नवाडीह, देवगर रेंज वन, देवघर रेंज टू, कुरडेग, देवीपुर, मधुपुर, रंका, दारू, विष्णुगढ़ और चंदवारा,

वर्जन

अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक संजीव साहू के अनुसार वन विभाग के स्थायी पौधशाला में मौजूद पौधों को लेकर आमजन में जागरुकता की कमी है. इसके लिए विभाग की ओर से लोगों को जागरुक किया जा रहा है, ताकि लोग वन विभाग के ही नर्सरी से पौधा ले सकें. पौधशाला में स्टॉक रखना पड़ता है ताकि वह अगले साल भी काम आ सके.

अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक संजीव साहू के अनुसार वन विभाग के स्थायी पौधशाला में मौजूद पौधों को लेकर आमजन में जागरुकता की कमी है. इसके लिए विभाग की ओर से लोगों को जागरुक किया जा रहा है, ताकि लोग वन विभाग के ही नर्सरी से पौधा ले सकें. पौधशाला में स्टॉक रखना पड़ता है ताकि वह अगले साल भी काम आ सके.

इन नर्सरी में कितने पौधे उगाए, कितनी खपत और कितने नहीं बिके

नर्सरी कितने उगाए कितना खपत कितने नहीं बिके

जामताड़ा 100000 4639 95361

घाघरा 103908 28951 74957

चैनपुर 100046 91011 9035

मनोहरपुर 102711 31020 71091

कटकंमसांडी 117790 99367 18423

गुमला कोईनारा 123923 96204 27719

सिसई 100089 30221 69869

गम्हरिया 100000 0000 100000

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