देश का प्रत्येक सनातनी कोर्ट और सरकार के समक्ष मथुरा में कृष्ण मंदिर निर्माण की मांग करे. वे साल 2007 से अयोध्या में राम मंदिर व मथुरा में कृष्ण मंदिर निर्माण की मांग श्रीमद् भागवत कथा के दौरान उठाते रहे हैं. ये बातें श्रीमद् भागवत पुराण के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने कही. शुक्रवार को दीपू सिंघानिया के आवास पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने ये बातें कही. देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि 22 जनवरी को रामलला के मंदिर का शुभारंभ हो जाएगा. इसके बाद मथुरा में कृष्ण मंदिर निर्माण के लिए वे कुछ बड़ा कदम उठाएंगे. कहा कि 1670 ईस्वी में औरंगजेब ने मथुरा के कृष्ण मंदिर से विग्रह को उखाड़ कर जामा मस्जिद की सीढ़ियों में गाड़ दिया था. विधर्मी उस पर चढ़कर मस्जिद में जाते हैं. इस मामले पर कोई भी भाईचारे की बात नहीं करता दिखाई देता है. देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि भागवत कथा के माध्यम से पिछले 27 वर्षों से सनातनियों को जगाने व उनकी आवाज उठाने का कार्य कर रहे हैं. मैकाले ने भारत में पाश्चात्य संस्कृति को फैलाने का काम किया : देवकीनंदन
देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि मैकाले ने पूरे भारत में पाश्चात्य संस्कृति को फैलाने का काम किया है. इसके कारण भारत में सनातन संस्कृति खत्म हो रही है. अधिकतर सनातनी अपनी संस्कृति को इग्नोर कर रहे हैं. ना तो सनातनियों के मस्तक पर तिलक है, ना सर पर शिखा और ना ही हाथों में कलावा है. माता-पिता अपने को मॉडर्न बताकर अपने संतानों को खराब कर रहे हैं. माता-पिता व गुरुजनों को पैर छूने की आदत ही सनातन संस्कृति है. हिंदू राष्ट्र यानी रामराज्य घोषित होने से सभी भारतीय शांति से रह सकेंगे. हिंदू राष्ट्र के माध्यम से रामराज्य की कल्पना करना चाहिए. रामराज्य में धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, प्राणियों में सद्भावना हो और विश्व का कल्याण हो का नारा गूंजता है. सनातनी अपना ही नहीं, पूरे विश्व के कल्याण का भाव रखते हैं. मंदिरों में चढ़ावे की राशि से प्रत्येक जिले में बने 5-5 गुरूकुल बने : देवकीनंदन ठाकुर
देवकीनंदन ठाकुर ने सवाल खड़ा किया कि आजादी के बाद मंदिरों में सनातनियों के चढ़ाए पैसों को सरकार ने क्यों कब्जे में किया? आखिर उस राशि से किस मजहब के लोगों का कल्याण हो रहा है? कहा कि मंदिरों में चढ़ावे की राशि से प्रत्येक जिले में पांच-पांच गुरुकुल की स्थापना होना चाहिए. जाति की बात कहकर वोटो के ध्रुवीकरण के प्रयास करने वाले नेताओं को चुनाव लड़ने के अधिकार को छीन लेने की आवश्यकता है. ऐसे नेता गलत मानसिकता के साथ काम कर रहे हैं. कोई नेता रामायण जला रहा है तो कोई वेद. कोई ब्राह्मण को गाली देता है तो कोई देवी-देवताओं के बारे में गलत बोलता है. सनातनी इसे कैसे सहन कर सकता है. जाति की बात करना देश और नेताओं के लिए घातक सिद्ध होगा. नेता तो ऐसा होना चाहिए जो लोकप्रिय काम करे ताकि भारत में रहने वाले सभी अपनी जाति को भूल जाएं. कहा कि धर्मों रक्षति रक्षत: जो व्यक्ति धर्म व समाज की रक्षा नहीं करेगा तो आने वाली पीढ़ी की भी रक्षा नहीं कर सकता. देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि श्रेष्ठ कर्म ही सबसे बड़ा धर्म है.