विदेश में बैठकर अपराधी झारखंड में आपराधिक गिरोह चला रहे हैं. ये अपराधी राज्य के अलग-अलग राज्य में आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिला रहे हैं. इन दिनों धनबाद पुलिस के लिए चुनौती बने प्रिंस खान और अमन साहू गिरोह के मयंक सिंह विदेश में रहकर झारखंड में अपने शूटर के माध्यम से आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिला रहे हैं. प्रिंस खान जहां शारजहां में रहकर तो वहीं अमन साहू गिरोह का मयंक सिंह सिंगापुर में रहकर गिरोह का संचालन कर रहा है, और हत्या रंगदारी जैसी घटनाओं को अंजाम दिलाकर पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ है. शारजहां में बैठा है वासेपुर का डॉन प्रिंस खान
धनबाद में गैंग्स आफ वासेपुर का आतंक है. प्रिंस खान इसी गैंग से ताल्लुक रखता है. अब यह धनबाद पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है. झारखंड पुलिस की टीम इसे गिरफ्तार करने का लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन अब यह जानकारी मिली है कि प्रिंस खान भारत से बाहर शारजहां में बैठकर अपना गैंग ऑपरेट कर रहा है और वहीं से धनबाद में हत्या तक करवा रहा है. हत्या, रंगदारी जैसे तीन दर्जन मामले प्रिंस खान पर दर्ज हैं. लगातार वह वीडियो जारी कर कारोबारियों को धमकी देता है और उनसे रंगदारी वसूलता है.
सिंगापुर में बैठकर मयंक सिंह दिला रहा आपराधिक घटनाओं को अंजाम
झारखंड में कई आपराधिक गिरोह सक्रिय हैं. लेकिन इन दिनों अन्य गिरोह की तुलना में अमन साहू गिरोह का उत्पात बढ़ा है. खासकर यह गिरोह राज्य के लातेहार, चतरा, रामगढ़, हजारीबाग और रांची के कोयलांचल क्षेत्र में उत्पात मचा रहा है. इस गिरोह के द्वारा घटना को अंजाम देने के बाद मयंक सिंह नाम का व्यक्ति घटना की जिम्मेवारी भी लेता है. अमन साहू के जेल में बंद होने के बावजूद उसके गिरोह की सक्रियता कम नहीं हुई है. अमन साहू जेल से ही अपने गिरोह को चला रहा है. जानकारी के मुताबिक मयंक इन दिनों सिंगापुर में बैठकर एक के बाद एक अपराधिक घटनाएं को अंजाम दे रहा है.
इंटरनेट से आई कॉल को पुलिस ट्रेस करने में नाकाम रही है
झारखंड के अलग-अलग जिलों में इन दिनों अपराधियों के द्वारा इंटरनेट कॉल के जरिए कारोबारी को फोन कर रंगदारी और जान से मारने की धमकी दी जा रही है. इंटरनेट के जरिए किए जाने वाले कॉल में वर्चुअल नंबर का यूज किया जाता है. इसे आसानी से ट्रेस नहीं किया जा सकता है. बिना सिम कार्ड के इस्तेमाल के होने वाली कॉल को वर्चुअल कॉल कहा जाता है. इसके लिए मोबाइल की भी जरूरत नहीं होती है और न ही सिम कार्ड की. सिमकार्ड का इस्तेमाल न होने से पुलिस टावर लोकेशन सहित अन्य जानकारी ट्रेस करने में नाकाम रह जाती है. राजधानी रांची में कई लोगों को धमकियां मिली है. जिसे ट्रेस करने में पुलिस नाकाम रही.