झारखंड में जल- जंगल और जमीन हमेशा से ही हमारे जीने का जरिया रहा है। लेकिन, सदियों से चली आ रही ये व्यवस्था अन्धाधुन्ध विकास और शहरीकरण की दौड़ में पीछे छूटती जा रही है। आज हरे -भरे पेड़ों से आच्छादित जंगल की जगह कंक्रीट के जंगल ने ले ली है। इसका सीधा असर हमारे पर्यावरण पर पड़ रहा है। प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है। अगर हम अब भी नहीं चेते तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने को तैयार रहना होगा। आज जरूर इस बात की है कि पर्यावरण संरक्षण की खातिर ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने के अभियान का हम हिस्सा बनें और पेड़ों को बचने का संकल्प लें। सभी के सहयोग और भागीदारी से प्राकृतिक व्यवस्था को संरक्षित मानव जीवन को सुरक्षित रख सकते हैं। मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन आज वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की ओर से भारतीय कृषि जैव प्रौद्योगिकी संस्थान, गढ़खटंगा , रांची में आयोजित 75 वां वन महोत्सव- 2024 को संबोधित करते हुए ये बातें कही। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।
जीवन शैली में लाना होगा बदलाव, पेड़ों से करनी होगी दोस्ती
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज जिस तरह से पर्यावरण संरक्षण को चुनौती मिल रही है, वह मनुष्य, जीव- जंतु और पूरी प्राकृतिक व्यवस्था के अस्तित्व पर खतरा बनता जा रहा है। ऐसे में हमें तय करना है कि हम प्रकृति के साथ मिलकर अथवा प्रकृति से छेड़छाड़ कर विकास के रास्ते पर आगे बढ़ें। अगर प्रकृति के साथ चलना है तो हमें अपनी जीवन शैली में बदलाव लाना होगा । पेड़ों से दोस्ती करनी होगी और उन्हें बचाने की जिम्मेदारी निभानी होगी । उन्होंने लोगों से कहा कि वे घर बनाते हैं तो उससे पहले वहां एक पेड़ जरूर लगाएं। अगर हर व्यक्ति पेड़ लगाने और पेड़ बचाने की ठान ले तो निश्चित तौर पर हम पर्यावरण को संरक्षित रख पाएंगे।
एक दिन में बदलाव नहीं आ सकता, लेकिन शुरुआत तो होनी चाहिए
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज प्राकृतिक असंतुलन और पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ की वजह से बाढ़ और सुखाड़ जैसे कई प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है। मौसम चक्र में बदलाव से कृषि प्रभावित हो रही है। ऐसे में जरूरत इस बात की है कि प्राकृतिक व्यवस्था का कम से कम नुकसान कैसे हो, इस दिशा में हम सभी आगे बढ़े। इसके लिए जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं , ताकि प्राकृतिक व्यवस्था को जो नुकसान हो चुका है, उसकी थोड़ी सी भी भरपाई हो सके ।
हम सभी वन महोत्सव का हिस्सा बने
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक ऐसा भी वक्त था, जब झारखंड जैसे प्रदेश में वन महोत्सव मनाने की कोई जरूरत नहीं थी। पूरा राज्य हरे-भरे पेड़ों से आच्छादित था। चारों तरफ जंगल ही जंगल दिखते थे। लेकिन, विकास की रफ्तार जैसे-जैसे बढ़ती गई, जंगल सिमटते चले गए और इसका सीधा असर पर्यावरण पर पड़ा। यही वजह है कि आज वन महोत्सव मनाने की एक परंपरा की शुरुआत हुई, जो आज भी चली आ रही है । यह समय की भी मांग है कि हम सभी वन महोत्सव का हिस्सा बनें और ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने की मुहिम में अपनी भागीदारी निभाएं।
सालों भर वृक्षारोपण का अभियान चलना चाहिए
मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि पेड़ लगाने का अभियान सिर्फ बारिश के मौसम तक सिमट कर नहीं रहना चाहिए। जाड़ा, गर्मी और बरसात हर मौसम में उस मौसम के अनुकूल पेड़ लगाने की मुहिम चलनी चाहिए। पेड़ लगाने का सतत अभियान कभी नहीं रुकना चाहिए।
वन समिति के सदस्य सम्मानित, कॉफी टेबल बुक का लोकार्पण
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर वनों के संवर्धन और विकास के क्षेत्र में बेहतर योगदान करने वाले वन समिति के सदस्यों को पुरस्कार राशि देकर सम्मानित किया। इस मौके पर उन्होंने वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के कॉफी टेबल बुक का भी लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री ने भारतीय कृषि जैव प्रौद्योगिकी संस्थान आने वाले लोगों को परिसर का भ्रमण करने हेतु चार लाभुकों को बैट्री ऑपरेटेड ऑटो प्रदान किया।
*_वन महोत्सव में कृषि मंत्री श्रीमती दीपिका पांडेय सिंह, विधायक श्री राजेश कच्छप, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव श्री अविनाश कुमार, वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की प्रधान सचिव श्रीमती वंदना दादेल, प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री संजय श्रीवास्तव एवं वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के कई वरीय अधिकारी उपस्थित थे।