मुस्लिम मामले पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का अनुपालन कराए केंद्र सरकार: एस अली।

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दिल्ली: अल्पसंख्यक (मुस्लिम) समुदाय के धार्मिक स्थल एवं मकान, दुकान ढहाए जाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का अनुपालन उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, असम, दिल्ली आदि राज्यों से करवाने की मांग को लेकर आमया संगठन ने केन्द्रीय गृहमंत्री, केन्द्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को दिल्ली कार्यालय में मांग पत्र दिया।

संगठन के केन्द्रीय अध्यक्ष एस अली ने बताया कि देश के उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, असम, दिल्ली आदि राज्यों में मुस्लिम समुदाय के मकान, दुकान, धार्मिक स्थल को अवैध, अतिक्रमण या नक्शा पास नही करने के आरोप में या किसी अन्य आरोप में बुलडोजर द्वारा गिराने के मामले लगातार आ रहे है, जबकि बहुसंख्यक समुदाय के बहुत सारे मकान, होटल, अस्पताल, स्कूल, फार्म हाउस, सरकारी भवन कार्यालय या धार्मिक स्थल आदि भी बिना नक्शा पास के या अतिक्रमण में होते है परंतु अधिक्तर मामलों में उनपर कार्रवाई नही होती है।
अंग्रेजी मैग्जीन फ्रंटलाइन की रिपोर्ट अनुसार पिछले कुछ वर्षों में 1.5 लाख से ज्यादा घर बुलडोजर द्वारा गिराया गया है इनमें अधिकांश घर मुस्लिम और हाशिये पर पड़े लोगों के थे।
दूसरे तरफ उतर प्रदेश व अन्य राज्यों में जिला कोर्ट याचिका दायर कर आदेश लाकर वर्षों पुराने मुस्लिम धार्मिक स्थलों का सर्वे आदि के नामपर विवाद उत्पन्न किये जा रहें है

इसप्रकार के मामलों में राज्यों के संवैधानिक पद पर बैठें कुछ लोग व सरकारी अधिकारी का रवैये अल्पसंख्यक समुदाय के मामलों पर सही नही होता वो बिना सुनवाई के सीधे कार्रवाई करते है, जबकि भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 में दिए समानता के अधिकार, अनुच्छेद 21 में दिए गए जीवन जीने के अधिकार, अनुच्छेद 25, 26, 27, 28 में धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार. धार्मिक मामलों के प्रबंधन का अधिकार. निर्माण व रखरखाव. प्रचार प्रसार आदि करने का अधिकार हर भारतीय नागरिक को देता है।
धार्मिक स्थलों के मामले पर प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट ने भी धार्मिक स्थल को संरक्षित एवं सुरक्षित किया जिसपर माननीय सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रहा है और सुप्रीम कोर्ट ने देश के अदालतों को सर्वे करने या अहम आदेश देने पर रोक लगा रखा है।

वहीं तोडफोड और ढहाए जाने के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइन जारी कर पालन का निर्देश दिया है-

(1) मकान मलिक को एडवांस नोटिस दिए बिना कोई भी इमारत नही गिराया जाए और नोटिस इमारत के सही जगहा चिपकाना होगा।
(2) शो काॅज नोटिस 15 दिन पहले देना होगा इसमे इमारत गिराने की वजह और सुनवाई की तारिख जरूर देना होगा।
(3) तीन महीने में डिजिटल पोर्टल बनाएं जहां ऐसे नोटिस की डिटेल्स और इमारत पर चिपकाए जाने की तारिख बताई जाए।
(4) नोटिस जारी किए जाने के तुरंत बाद ई-मेल से कलेक्टर और डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को भेजा जाए ताकि बैक डेटिंग कार्रवाई रोका जा सके।
(5) व्यक्तिगत सुनवाई करते हुए इमारत मालिक के बयानों को रिकाॅड किया जाए।
(6) आदेश में यह बताना जरूरी है कि इमारत या निर्माण गिराये जाने का कदम जरूरी क्यों है, यह भी बताएं कि क्या इमारत ढहाना ही आखरी रास्ता है।
(7) आदेश जारी होने के 15 मिनट तक इसे लागू नही किया जाएगा ताकि मालिक को अवैध निर्माण हटाने का वक्त मिल सके ।
(8) वही निर्माण गिराया जाएगा जो अवैध है और जिसे ढहाया जाना ही एक रास्ता है।
(9) गाइडलाइन तोड़ने पर कोर्ट की अवमानना का केस या अन्य कानूनी कदम सबंधित अधिकारी पर चलेगा या अन्य कानूनी कदम उठाए जाएगें।
(10) सबंधित अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया जाएगा, उसे गिराए गए इमारत को दोबार निर्माण कराना होगा।

उसके बावजूद उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड असम, राजस्थान, दिल्ली आदि राज्यों में अल्पसंख्यक (मुस्लिम) समुदाय के मकान, दुकान और धार्मिक स्थलों को अवैध/अतिक्रमण बिना नक्शा या अन्य आरोप में ढहाने का कार्य जारी है, जिसके कारण भारतीय मुस्लिम समुदाय में निराशा और क्षोभ है।

इस दौरान आमया संगठन केन्द्रीय प्रभारी जियाउद्दीन अंसारी, फिरोज अंसारी शामिल ।

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