बाबूलाल मरांडी जी अब झारखंड की राजनीति में अपनी प्रासंगिकता बचाने के लिए बेबुनियाद आरोपों का सहारा ले रहे हैं। डीजीपी पद पर नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर हेमंत सोरेन सरकार पर सवाल उठाने से पहले उन्हें अपनी पार्टी के अंदर झांककर देख लेना चाहिए।
◆ झारखंड में आज जिन मुद्दों पर मरांडी जी शोर मचा रहे हैं, वे उन्हीं के शासनकाल की देन हैं। तब के भ्रष्टाचार और नौकरशाही के खेल ने ही आज प्रशासनिक व्यवस्था को इस स्थिति में ला खड़ा किया है। लेकिन, माननीय मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन के दमदार नेतृत्व में राज्य का सही दिशा में विकास हुआ है। आज हर वर्ग के चेहरे पर मुस्कान देखने को मिल रही है।
◆ यह बयान हास्यास्पद है, क्या बाबूलाल जी खुद को इतना हताश और भ्रमित मान चुके हैं कि अब बिना किसी आधार के ऐसी बातें कह रहे हैं? अगर उनके पास कोई ठोस प्रमाण है, तो सामने लाएं, वरना झूठ बोलकर जनता को गुमराह करने की साजिश बंद करें।
◆ संविधान और सुप्रीम कोर्ट का हवाला देने से पहले मरांडी जी ये भी बताएं कि उन्होंने अपने शासनकाल में कितनी बार सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन किया था। कितने संवैधानिक पदों को अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया था।
◆ हेमंत सोरेन सरकार पर उंगली उठाने से पहले बाबूलाल मरांडी जी को ये समझ लेना चाहिए कि जनता अब सब कुछ देख रही है। झारखंड के लोग अब उनके दोहरे चरित्र और सस्ती राजनीति के झांसे में आने वाले नहीं हैं। जिसका परिणाम पिछले चुनाव में हार के रूप में भाजपा को देखने मिल चुका है।
◆ हेमंत सोरेन जी के नेतृत्व में राज्य विकास और पारदर्शिता की दिशा में आगे बढ़ रहा है। और मरांडी जी, अगर आपको झारखंड की फिक्र है, तो झूठ फैलाने के बजाय रचनात्मक सुझाव दीजिए। लेकिन हाँ, इसके लिए ज़मीन पर आकर सच्चाई का सामना करना पड़ेगा।
