“बरसात की बौछारों के बीच जमीनी हकीकत जानने पहुंचे इरफान अंसारी — अफसरों में हड़कंप!”
“मंत्री नहीं, मसीहा बनकर पहुँचे डॉ. इरफान अंसारी — रिम्स में किया औचक निरीक्षण, व्यवस्थाओं की ली नब्ज”
“रिम्स में अचानक पहुँचे ‘जनता के डॉक्टर’ — अफसरों के उड़े होश, मरीजों के खिले चेहरे!”
“अगर ऐसे मंत्री हों, तो सिस्टम सुधरने से कोई नहीं रोक सकता — इरफान अंसारी का ‘नायक’ अंदाज़!”
आज झारखंड की राजधानी रांची में कुछ ऐसा नज़ारा देखने को मिला, जिसने न सिर्फ रिम्स अस्पताल प्रशासन को चौकन्ना कर दिया, बल्कि आम जनता के दिलों में भी विश्वास की एक नई किरण जगा दी। *झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी अचानक रिम्स पहुँचे — बिना किसी सरकारी सूचना, बिना किसी तामझाम, और बिना किसी पूर्व योजना के।
उनके साथ थे खिजरी विधायक राजेश कच्छप और युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव राजेश सिन्हा सनी। *जैसे ही मंत्री जी अस्पताल परिसर में दाखिल हुए, अफसरों में हड़कंप मच गया।* कुछ फोन घनघनाए, कुछ दौड़ पड़े और कुछ के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ़ दिखीं।
डॉक्टर इरफान अंसारी नायक नहीं, पर ‘नायक’ जैसी शैली में रिम्स पहुंचे थे — जनता की नब्ज टटोलने और व्यवस्थाओं की सच्चाई परखने।
मंत्री जी सीधे वार्डों की तरफ बढ़े।आम जनता की तरह मरीजों के पास जाकर उनकी परेशानी पूछी। बुज़ुर्गों और बच्चों से हाल-चाल लिया,महिलाओं से सुविधाओं की जानकारी ली।* उन्होंने हर स्टाफ से संवाद किया — डॉक्टर, नर्स, सफाईकर्मी — किसी को छोड़ा नहीं।
“मैं यहां नेता बनने नहीं, जनता का सेवक बनकर आया हूँ। देखना चाहता था कि ज़मीनी हकीकत क्या है। मुझे यह देखकर खुशी हुई कि अधिकतर जगहों पर लोग अपना काम ईमानदारी से कर रहे हैं।”
निरीक्षण के दौरान मंत्री जी ने माना कि *रिम्स जैसे संस्थान में मरीजों का फ्लो बहुत ज़्यादा है और कुछ वार्डों में बेड की कमी है। उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द ही अतिरिक्त बेड की व्यवस्था की जाएगी* और रिम्स के विस्तार पर तेजी से काम होगा।
मंत्री जी का यह निरीक्षण अब चर्चा का विषय बन गया है। सोशल मीडिया पर लोग उनकी जमकर तारीफ कर रहे हैं।
कमेंट्स की भरमार है:
“ऐसे मंत्री हर राज्य को मिलें”,
“आज पहली बार लगा कोई मंत्री जनता का सच में भला चाहता है”
नायक की तरह ‘धरातल पर उतरकर काम’ करने वाले नेता की नई पहचान
डॉ. इरफान अंसारी का यह दौरा केवल औचक निरीक्षण नहीं था — यह था जनता को यह दिखाने का प्रयास कि नेता सिर्फ घोषणाएं नहीं करते, वे ज़मीन पर भी उतरते हैं, आँखों में आँखें डालकर सच देखते हैं और बदलाव की शुरुआत वहीं से करते हैं जहां दर्द सबसे ज्यादा होता है — अस्पताल के वार्डों से।
