झारखंड में बाल श्रम उन्मूलन की दिशा में ऐतिहासिक पहल — 2025-2030 कार्य योजना पर अंतर्राज्यीय सम्मेलन का सफल आयोजन

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ILO और बाल कल्याण संघ के साझा प्रयास से, झारखंड सरकार के सहयोग से बनी बाल श्रम उन्मूलन कार्य योजना

रांची, 26 जून 2025:
झारखंड राज्य ने बाल श्रम जैसी गंभीर सामाजिक चुनौती के विरुद्ध एक निर्णायक कदम उठाते हुए राजधानी रांची के होटल मैरियट बॉय कोर्टयार्ड में 2025-2030 की समेकित कार्य योजना को लेकर एक भव्य अंतर्राज्यीय सम्मेलन का आयोजन किया। यह आयोजन बाल कल्याण संघ और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के संयुक्त तत्वावधान में, झारखंड सरकार के श्रम नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग के सक्रिय सहयोग से संपन्न हुआ।
सम्मेलन का प्रमुख उद्देश्य झारखंड को वर्ष 2030 तक पूर्णतः बाल श्रम मुक्त राज्य बनाने हेतु नवीन एवं समन्वित कार्य योजना को अंतिम रूप देना था। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए पड़ोसी राज्यों के विशेषज्ञों, अधिकारियों, बाल हितधारकों एवं विभागीय प्रतिनिधियों के साथ रणनीतिक विचार-विमर्श एवं सामूहिक प्रतिबद्धता का यह एक महत्वपूर्ण मंच सिद्ध हुआ।
इस ऐतिहासिक अवसर पर झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़ सहित देश के अनेक राज्यों से आए बाल संरक्षण विशेषज्ञों, समाजसेवियों, सरकारी पदाधिकारियों, बाल कल्याण समितियों, जिला बाल संरक्षण इकाइयों, गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों सहित कुल 250 से अधिक प्रतिभागियों ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराई।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं स्वागत गीत के साथ अत्यंत गरिमामय वातावरण में हुआ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री जितेन्द्र कुमार सिंह (IAS), सचिव – श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग, झारखंड सरकार ने अपने प्रेरणादायक वक्तव्य में कहा:
झारखंड ने बाल श्रम के खिलाफ ऐतिहासिक प्रगति की है। जनगणना 2011 के अनुसार, जहां देश में बाल श्रम में 66% की गिरावट दर्ज की गई, वहीं झारखंड ने 78% की अद्वितीय गिरावट हासिल की। यह सफलता सामूहिक प्रयासों, नीति-निर्माताओं की दूरदृष्टि और जमीनी कार्यकर्ताओं की निष्ठा का प्रतिफल है।
उन्होंने बाल कल्याण संघ की भूमिका को प्रेरक, सराहनीय और अनुकरणीय बताते हुए संस्था के सचिव श्री संजय कुमार की कुशल नेतृत्व क्षमता और समर्पण की खुले मन से प्रशंसा की। साथ ही उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इतनी कम समय में कार्य योजना को वर्तमान परिवेश के अनुरूप अद्यतन कर प्रस्तुत करना अत्यंत सराहनीय कार्य है।
उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यह कार्य योजना नई नहीं बल्कि पूर्ववर्ती कार्य योजना का अद्यतन  जो अब आधुनिक संदर्भों, सामाजिक चुनौतियों और विभागीय अनुभवों के अनुरूप रूपांतरित की गई है।
ILO साउथ एशिया की निदेशक सुश्री मिचीको मियामोतो ने बाल श्रम की समस्या को वैश्विक समस्या करार देते हुए कहा बाल श्रम की जड़ें गहराई में हैं  गरीबी, असमानता और शिक्षा की कमी इस समस्या को पोषित करते हैं। कोविड-19 महामारी के बाद विश्व भर में बाल श्रमिकों की संख्या में चिंताजनक वृद्धि दर्ज की गई है। अब समय आ गया है कि हम पुनर्वास के साथ-साथ इन बच्चों के लिए संवेदनशील, सुरक्षित और सशक्त भविष्य सुनिश्चित करें।
उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही में ILO द्वारा जारी वैश्विक डेटा इस चुनौती को और स्पष्ट करता है और यह सम्मेलन उस दिशा में एक दृढ़ वैश्विक प्रतिबद्धता का प्रतीक है। साथ ही एक समस्या है कि जो बाल श्रमिक है उनके माता पिता  कुछ काम नहीं करते हैं इसके वजह से उनके बच्चे बाल श्रमिक  करते हैं।हमे सभी को  मिल कर काम  करने की आवश्यकता है।
बाल कल्याण संघ के संस्थापक  संजय मिश्रा ने झारखंड सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए कहा कि हेमंत सरकार ने बाल हितों की रक्षा को राज्य की प्राथमिकता में सम्मिलित किया है। राज्य सरकार के बहुस्तरीय प्रयासों के परिणामस्वरूप न केवल बाल श्रम, बल्कि बाल विवाह और मानव तस्करी जैसी कुप्रथाओं के खिलाफ सशक्त व्यवस्था विकसित हुई है। कोविड संकट के दौरान दिल्ली जैसे महानगरों से 507 बच्चियों को सुरक्षित रेस्क्यू कर उनके परिजनों को सौंपा जाना सरकार की संवेदनशीलता का सशक्त प्रमाण है। उन्होंने आगे कहा कि यह सम्मेलन केवल एक विचार-मंच नहीं, बल्कि एक दीर्घकालिक संकल्प है – “हमारा लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक झारखंड को बाल श्रम मुक्त राज्य घोषित किया जा सके। कार्य योजना के माध्यम से सभी विभागों, पंचायत स्तर से लेकर राज्य स्तर तक की भागीदारी सुनिश्चित की गई है। कार्यक्रम के समापन में विभिन्न राज्यों के बाल हितधारकों ने अपने अनुभव, चुनौतियाँ और समाधान साझा किए। । कई पैनल सत्र के आयोजन के बाद सम्मेलन धन्यवाद ज्ञापन के साथ सम्पन्न हुआ।।

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