रामगढ़ जिला प्रशासन, झारखंड ने आपदा और स्वास्थ्य आपातकाल प्रबंधन में एक अनोखी पहल की है। उपायुक्त फ़ैज़ अहमद (IAS) के नेतृत्व में ज़िले के एक लाख नागरिकों को CPR और प्राथमिक उपचार (First Aid) की ट्रेनिंग दी गई है। यह देश का सबसे बड़ा “लोगों से लोगों के लिए” आपातकालीन चिकित्सा सहायता अभियान माना जा रहा है।
यह प्रशिक्षण स्कूलों से लेकर खदानों तक हर जगह चलाया जा रहा है। मक़सद यह है कि दुर्घटना या आपदा के समय पीड़ित को अस्पताल पहुँचने से पहले “गोल्डन ऑवर” में ही ज़रूरी मदद मिल सके। विशेषज्ञ बताते हैं कि हृदय गति रुकने या गंभीर चोट लगने के मामलों में शुरुआती 3–5 मिनट में सही CPR और फर्स्ट-एड मिलने से मृत्यु दर को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
जिला प्रशासन की योजना है कि आने वाले समय में दो लाख से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया जाए, ताकि हर परिवार और हर मोहल्ले में कम से कम एक ऐसा व्यक्ति मौजूद रहे जो आपदा या हादसे की स्थिति में तत्काल सहायता दे सके।
इस पहल से कई बड़े फायदे सामने आएंगे—
सड़क व खनन दुर्घटनाओं में तुरंत मदद
एंबुलेंस व डॉक्टर पहुँचने से पहले जान बचाने की संभावना बढ़ेगी
स्कूल-कॉलेज और पंचायत स्तर पर सुरक्षा-संस्कृति मजबूत होगी
महिला और युवाओं की भागीदारी से समुदाय में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी
बाढ़, आग या भूस्खलन जैसी आपदाओं में प्रशिक्षित “पहला प्रत्युत्तर” (First Responder) का मजबूत नेटवर्क तैयार होगा
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की “आपदा मित्र योजना” को रामगढ़ ने जिस बड़े पैमाने पर लागू किया है, वह पूरे देश के लिए एक आदर्श मॉडल बन सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इसे नियमित ड्रिल और आधुनिक तकनीक से जोड़ा जाए तो रामगढ़ भारत का पहला जिला बन सकता है जहाँ आम लोग भी “जीवनरक्षक” बनकर खड़े हों।
