जिले का नाम है खूंटी. मुख्यमंत्री के प्रयासों से यह जिला कई कार्यों को लेकर उपलब्धि की नयी गाथा लिखा रहा है

झारखण्ड
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Ranchi : 12 सितंबर 2007 का दिन. यह दिन था झाऱखंड के एक नए जिले के निर्माण का. भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली खूंटी जिला, जिसे इस दिन रांची से अलग करके नया जिला बनाया गया. जिले के बने हुए 15 साल बीत चुके हैं. इन सालों में खूंटी जिले की चर्चा तीन ही तरह से होती रही.
पहला – नक्सलियों के गढ़ के कारण. यह जिला अपराधियों और नक्सलियों का गढ़ माना जाता था. नक्सली संगठनों की जिलों में हुकूमत चलती थी.
दूसरा – अफीम की खेती को लेकर.
तीसरा – मनरेगा में हुए भ्रष्टाचार को लेकर. बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बीते दिनों अपने रिपोर्ट में कहा है कि आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल को खूंटी में विकास परियोजनाओं में मनरेगा के काम के लिए बांटे गए पैसों में से पांच फीसदी कमीशन मिला था.

विकास का गाथा लिखने का श्रेय सीएम की दूरदर्शी सोच और जिला प्रशासन को.

आज खूंटी जिला विकास की एक नयी गाथा को लिख रहा है. इस गाथा को लिखने का श्रेय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की दूरदर्शी सोच और जिला प्रशासन द्वारा ईमानदारी से किए गए कामों को जाता है. आज जिले में विकास को लेकर कई योजनाओं का संचालन हो रहा है. महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही है. पेयजल संरक्षण के लिए चलाये योजनाओं का सम्मानित किया जा रहा है. युवा खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष प्रयास किये गए हैं.

बोरी बांध योजना को केंद्र सरकार से मिला पुरस्कार

जिले में जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए बोरी बांध योजना की पहल की गयी. मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिला प्रशासन और सेवा वेलफेयर सोसायटी द्वारा यह पहल हुई. अगस्त 2020 को बोरी बांध के मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया. केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय द्वारा खूंटी के बोरी बांध मॉडल को राष्ट्रीय जल शक्ति पुरस्कार दिया गया. मुख्यमंत्री का पद ग्रहण करने के महज कुछ माह बाद ही जिले को सम्मानित किया जाना काफी अच्छा था.

जल्द ही खूंटी बन जाएगा ड्रैगन फूट कैपिटल.

खूंटी जिले में पोषक तत्वों से भरपूर ड्रैगन फ्रूट की खेती को पिछले कुछ महिनों से काफी बढ़ावा दिया गया है. ऐसा करने के पीछे का उद्देश्य जिले में हो रही अफीम की खेती के विकल्प का खोजना है. इससे किसानों को अच्छा मुनाफा हो रहा है. फिलहाल जिले के तोरपा के तुरीगड़ा, कर्रा के कांटी पोढ़ाटोली, खूंटी के बेलांगी और गुटजोरा, मुरहू के हेठगोवा और इठ्ठे तथा अड़की प्रखंड के बिरबांकी में ड्रैगन फ्रूट की खेती की जा रही है. जिला प्रशासन का टारगेट खूंटी को ड्रैगन फ्रूट कैपिटल बनाने है. इसके लिए हर घर ड्रैगन फ्रूट अभियान चलाया जा रहा है.

खिलाड़ियों को किया जा रहा प्रोत्साहित,.

जिले के युवा खिलाड़ियो को प्रोत्साहित करने के लिए सीएम हेमंत सोरेन के निर्देश पर जिले में दो स्टेडियम की सौगात दी गयी.
पहला – मौजूद एस्ट्रो टर्फ के पुराने स्टेडियम का कायाकल्प कर नए सिरे से नई एस्ट्रोटर्फ बनाया गया है. इसपर करीब करीब 8 करोड़ रुपए खर्च किए गए.
दूसरा – भगवान बिरसा मुंडा कॉलेज में हॉकी टर्फ मैदान बनाया गया है. इसपर करीब 8.5 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं. हाल ही में इस स्टेडियम को एफआइएच फील्ड सर्टिफिकेट प्राप्त हो गया है. यह सर्टिफिकेट मैदान की सभी गुणवत्ता को परखने के बाद प्रदान किया जाता है, ताकि खिलाड़ियों की सुरक्षा, संसाधन सुनिश्चित हो सके. साथ ही, अंतरराष्ट्रीय स्तर के मैच का आयोजन मापदंडों में खरा उतर सके. उम्मीद है कि मुख्यमंत्री के प्रयास से जल्द ही स्टेडियम में अंतरराष्ट्रीय स्तर का मैच भी आयोजित हो.

गेंदा फूल के निर्माण से जुड़कर महिला किसानों ने किया अपना विकास

जिले के किसान विशेषकर महिलाएं आज गेंदा फूल उपजाने और उसे बाजार तक पहुंचाने में काफी आगे बढ़ चली है. इन महिलांओं के उपजाए गेंदा फूल की मार पिछले दिनों दीपावली पर खूब हुई. यहां किसानों ने रांची के अलावा अन्य जिलों में गेंदा फूल बेच कर करीब तीन करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार किया है. इस काम में जिला प्रशासन को पूरा सहयोग मिला. आज इस काम में करीब 1200 महिला किसान लगी है. इन लोगों ने करीब 24 लाख गेंदा फूलों की लड़ी तैयार की.

खूंटी पहला जिला, जहां खोला गया है किसान पाठशाला.

पिछले दिनों जिला का दौरा कर मुख्यमंत्री ने कर्रा प्रखंड के लोयंकेल गांव में 25 एकड़ में फैली किसान पाठशाला का उद्घाटन किया. उन्होंने कहा कि जल्द ही राज्य में 100 और ऐसे किसान पाठशाला खोले जाएंगे.
किसान पाठशाला में किसानों को हर तरह से प्रशिक्षित किया जाएगा. किसानों को बताया जाएगा कि बदलते मौसम में वे किन नए फसलों यथा ड्रैगन फ्रूट, स्ट्रॉबेरी समेत अन्य फसलों की वैज्ञानिक तरिके से खेती कर अपनी आय बढ़ा सकते हैं.

लाह से जुड़कर महिलाओं ने बनायी तरक्की की सीढ़ियां.

जिला प्रशासन के सहयोग से खूंटी की महिलाएं आज लाह उत्पाद से कई तरह के उत्पाद को बनाकर बेच रही है. इससे महिलाओं का आर्थिक उत्थान हो रहा है. इस काम में जिले के सिलादोन वन धन विकास समिति से महिलाओं प्रशिक्षण मिल रहा है. करीब 500 महिलाएं इस समिति से जुड़कर काम कर रही हैं. एक बैच में तीस महिलाओं को 40 दिन की ट्रेनिंग मिलती है. बदले में हर दिन 300 रुपए भी मिलते हैं.

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