राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने झारखंड के डीजीपी, रांची डीसी और एसएसपी को समन भेजा है| दरअसल पीएलएफआई के में एरिया कमांडर पुनई उरांव के एनकाउंटर पर कई सवाल खड़े किए हैं। 15 दिसंबर तक आयोग ने इन्हें समय दिया है और इस पूरे मामले की जांच रिपोर्ट डीजीपी, रांची डीसी और एसएसपी से मांगी है।बताया जा रहा है की इस मामले को लेकर लंबे समय तक जांच चली थी।
पुनई उरांव के परिजनों ने एनकाउंटर पर सवाल खड़े किये थे।
इस मामले की जाच डेढ़ साल तक चली उसके बाद सीआईडी ने माना था कि यह पुलिस मुठभेड़ फर्जी नहीं था। आयोग के समक्ष यह मामला अब भी लंबित है। अब राष्ट्रीय मानवाधिकार इस मामले पर ने अपनी जांच आगे बढ़ाने के लिए रिपोर्ट मांगी है। 22 दिसंबर 2020 नगड़ी थाना क्षेत्र के चेटे जंगल में पुलिस ने मुठभेड़ में उग्रवादी पुनई उरांव को मार गिराया था। इस नक्सली पर सरकार ने दो लाख रुपए का इनाम भी घोषित कर रखा था। विभिन्न थानों में पुनई उरांव के खिलाफ 14 आपराधिक मामले दर्ज थे। गुप्त सूचना सुचना मिलने पर पुलिस ने रांची-खूंटी बॉर्डर के लोधमा से सटे जंगली इलाके में पुनई का दस्ता कैंप कर रहा है। सूचना पर एसएसपी ने नगड़ी थाने की टीम, क्यूआरटी और स्पेशल टीम को लगाया। एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा के नेतृत्व में टीम लोधमा के लिए निकली और जैसे ही गांव के सिंहपुर के पास टीम पहुंची, नक्सलियों ने फायरिंग शुरू कर दी।
पुलिस ने उग्रवादियों को सरेंडर करने के लिए कहा लेकिन उग्रवादी ताबड़तोड़ फायरिंग करते रहे। पुलिस की टीम ने भी जवाबी फायरिंग शुरू कर दी। इस दौरान दोनों ओर से दर्जनों राउंड फायरिंग हुई। इस फायरिंग में पुनई उरांव को ढेर कर दिया गया था और पुलिस को बड़ी सफलता मिली थी|