मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में खतियानी जोहार यात्रा का पहला चरण पलामू से शुरू हुआ, तो दूसरा चरण 17 जनवरी से कोडरमा से शुरू होने जा रहा है। यात्रा का कार्यक्रम तय करने से पहले झामुमो ने पार्टी की लाभ-हानि, राजनीतिक परिस्थिति और जमीनी सच्चाई को केंद्र में रखा है।
दूसरे चरण की शुरुआत कोडरमा से इसलिए हो रही है कि इस संसदीय सीट पर झामुमो की पैनी नजर है। वैसे भाजपा के जेपी वर्मा को पार्टी में लाकर झामुमो ने पहले ही संकेत दे दि जहां कमजोर है, वहां सबसे अधिक ज इसीलिए अमित शाह की चुनावी सभा चाईबासा से शुरू हुई। झामुमो भी इसी राह पर चल पड़ा है।
कोडरमा के राजनीतिक हालात
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यहां से अन्नपूर्णा देवी को अपना उम्मीदवार बनाया था। झारखंड विकास मोर्चा की कंघी लेकर बाबूलाल मरांडी मैदान में उतरे थे। उन्हें इस चुनाव में झामुमो और कांग्रेस का भी समर्थन था, इसके बावजूद अन्नपूर्णा देवी ने भारी अंतर से बाबूलाल मरांडी को पराजित किया।
अन्नपूर्णा को जहां 753016 मत मिले थे, बाबूलाल मरांडी मात्र 297416 मत हासिल कर सके थे। अब कोडरमा सीट का राजनीतिक परिदृश्य पूरी तरह बदल गया है। बाबूलाल मरांडी अपनी पार्टी झाविमो का भाजपा में विलय कर चुके हैं। वहीं, पिछली बार भारी जीत हासिल करनेवाली और वर्तमान में मोदी मंत्रिमंडल की सदस् का कोडरमा से टिकट शायद पहले ही सुरक्षित है।
इस लिहाज से कोडरमा सीट से जहां झामुमो-कांग्रेस को एक अदद उम्मीदवार की तलाश है, वहीं लोकसभा चुनाव लड़ने की स्थिति में बाबूलाल मरांडी को भी दूसरी किसी सीट की। वैसे अभी से राजनीतिक हलके में बाबूलाल मरांडी के दुमका शिफ्ट होने की चर्चा भी शुरू हो गई है।
कोडरमा संसदीय क्षेत्र में यादव और कोयरी समुदाय की बहुलता है। इसीलिए अलग संसदीय क्षेत्र बनने के बाद कोयरी जाति से आनेवाले रीतलाल प्रसाद वर्मा ने पहली बार कोडरमा सीट से अपनी जीत दर्ज की थी। अन्नपूर्णा की जीत में भी उनकी जाति के अलावा भाजपा के कैडर वोटरों का योगदान था । इसलिए झामुमो को भी इन्हीं जातियों से उम्मीदवार चाहिए। जेपी वर्मा इसी जाति से आते हैं और रीतलाल प्रसाद वर्मा के भतीजे भी हैं, इसलिए झामुमो ने उन्हें पार्टी में शामिल कराया।
पलामू से यात्रा का पहला चरण भी इसीलिए हुआ
पलामू से खतियान जोहार यात्रा पहला चरण इसलिए शुरू हुआ, क्योंकि इस प्रमंडल में झामुमो सबसे अधिक कमजोर है। यहां झामुमो सांगठनिक स्तर पर बहुत मजबूत नहीं है। हेमंत सोरेन की यात्रा का दूसरा चरण कोडरमा से शुरू करने का कारण भी यही है।