सरकार की योजनाएं रफ्तार पकड़ रही है मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए सभी लोगों को धन्यवाद दिया। कार्यक्रम के नाम से ही पता चलता है कि सरकार क्या करना चाहती है। अब एक बार फिर कार्यक्रम अपनी रफ्तार पकड़ रहा है। सरकार ने इस कार्यक्रम को मिशन मोड में लिया है। गांव- गांव में शिविर लगाये जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा, आपको याद होगा पिछले साल भी हम लोगों ने एक कार्यक्रम प्रारंभ किया था। आपकी सरकार आपके द्वारा कार्यक्रम सफल रहा था 35 लाख आवेदन प्राप्त हुए थे कई शिकायतें थीं हमने 99 प्रतिशत शिकायतों को दूर करने की कोशिश की । झारखंड की जो बनावट है, यहां के जो गांव हैं वो कई जगहों पर हैं, कई जगहों पर पदाधिकारी जानें से घबराते थे। कई जगहों पर सरकार की नजर सरकार की आवाज नहीं जाती थी। सरकार अब सबसे अंतिम में खड़े व्यक्ति तक शुरूआत की। झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार 29 दिसंबर को अपने कार्यकाल का तीन साल पूरा करने जा रही है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी सरकार के 3 वर्ष पूरे होने पर कई उपलब्धियां गिनाईं और विपक्ष के आरोपों का जवाब दिया. उन्होंने दावा किया कि उनकी सरकार ने अपने कार्यकाल में आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों के कल्याण के लिए कई काम किए हैं. उन्होंने 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता नीति को भी अपनी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक कहा.
हेमंत सोरेन ने आदिवासी, पिछड़े और दलितों का आरक्षण बढ़ाने और 1932 खतियान आधारित स्थानीयता नीति संबंधी विधेयकों को लेकर विपक्ष के सवालों पर कहा, हेमंत सोरेन पर बाहरी-भीतरी और आदिवासियों की राजनीति करने का आरोप लगता है, लेकिन हमारी राज्य के हर वर्ग के अधिकार और हक को सुरक्षित रखने के लिए मजबूत प्रहरी लगाने की मंशा है. क्या ये आदिवासी राजनीति का नमूना है.
झारखंड हाई कोर्ट में नियोजन नीति रद्द होने के बाद नियुक्ति और नियोजन के रास्ते बंद हुए हैं? इस सवाल पर हेमंत सोरेन ने कहा, कोर्ट ने नियोजन को निरस्त किया है. उसका कानूनी आकलन करें.. नौजवानों का भविष्य खराब ना हो, उनकी भी हमें चिंता है. आरक्षित लोग, बिना स्थानीयता नीति या नियोजन नीति के भी सुरक्षित हैं. नियोजन और नियुक्तियों में बाहरी लोग कम-से-कम आएं, इस पर विचार करेंगे.
हेमंत सोरेने ने कहा, कुछ अधिकार और हक राज्य के स्थानीय लोगों को ही मिलने चाहिए. थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नौकरियों में भी राज्य के बाहर से लोग आने लगें तो इससे बड़ा दुर्भाग्य उस राज्य के लिए क्या हो सकता है. कानून में गरीब आदिवासी, दलित, पिछड़ों को चुननेवाले कौन हैं? कितने जजेज हैं आदिवासी, दलित और पिछड़े वर्ग से हैं, ये भी बता दीजिए.
मुख्यमंत्री ने आगे कहा, जेल में कितने आदिवासी, पिछड़े और दलित बंद हैं? संविधान में उन्हें शक्तियां दी गई हैं. उन्हें संरक्षित किया गया है. इसके बावजूद, वे आगे बढ़ नहीं पा रहे हैं. इसके पीछे की वजह है? इसीलिए हमने बिल को 9वीं अनुसूची में डालने को कहा ताकि ऐसे खुराफाती लोग कोर्ट में जाकर चुनौती न दे पाएं, उस पर और सुरक्षा कवच लगे.
3 सालों के दौरान केंद्र सरकार का राज्य के प्रति रवैया कैसा रहा? इस सवाल पर हेमंत सोरेन ने कहा, झारखंड और बिहार, देश के सबसे पिछड़े राज्यों में से हैं. जीएसटी (कंपनसेशन) के लिए 5 साल का पीरियड बढ़ाया जाए. बिजली का बकाया, कई अन्य राज्यों का भी है, लेकिन उनकी बिजली क्यों नहीं कटती, हमारी क्यों कट जाती है?
ईडी, आईटी और सीबीआई जैसी जांच एजेंसियों की कार्रवाई के सवाल पर हेमंत सोरेन ने कहा, जांच एजेंसियों का Conviction rate 0.5 फीसदी है. जांच एजेंसियां विपक्षियों के ऊपर ज्यादा सक्रिय पक्ष पर कितनी कार्रवाई हुई ? बोलने की जरूरत नहीं, सब कुछ स्पष्ट रूप से दिखता है. शुतुरमुर्ग जैसे सिर छुपा लेने से शरीर नहीं दिखता ? जहां अरबों- खरबों का घोटाला हो रहा. बैंकों के हजारों करोड़ रूपये लेकर चंपत हो जा रहे हैं, उन पैसों का अता- पता नहीं. भगवान जाने..15 लाख करोड़ रूपए कब आएंगे. यहां चवन्नी-अठन्नी ढूंढने में लगे हुए हैं. राज्य में 100-200 छापों से क्या मिला. कुछ पैसे कहीं-कहीं मिले. पता चला कि बीजेपी के लोग हैं तो उन्हें छोड़ दिया।
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दिया. एजेंसियां ईमानदारी से काम करें तो हमें आपत्ति नहीं, लेकिन गलत तरीकों पर हमारी भी आपत्ति है.
सरकार गिरने के विपक्ष के सवालों पर हेमंत सोरेन ने कहा, विपक्षियों को लगता है कि हमारी सरकार 5 वर्ष नहीं, बल्कि 5 दिन की हो. सुबह उठते ही उन्हें लगता है कि सरकार गिर पड़ी और ढोल-नगाड़ों के साथ नाच रहे हों. उनकी खबरें पढ़ना बंद कर दिया है. इससे अच्छा है कि चाचा चौधरी की कॉमिक्स पढ़कर आनंदित हों. उनकी किश्ती प्रधानमंत्री और गृह मंत्री अमित शाह के भरोसे है.मुख्यमंत्री ने कहा, पूर्वी क्षेत्र के मुख्यमंत्रियों की बैठक में गृह मंत्री अमित शाह से पंजाब और बिहार रेजीमेंट्स की तरह आदिवासी रेजीमेंट्स के गठन की मांग की है ताकि आदिवासियों को सम्मान मिले. इनका इतिहास संघर्षशील रहा है.
बूढ़ा पहाड़ की तरह राज्य के विभिन्न क्षेत्र नक्सलमुक्त हो चुके हैं ? इस पर हेमंत सोरेन ने कहा, बूढ़ा पहाड़ की नक्सल से मुक्ति के लिए micro level पर होमवर्क किया. किसी बूढ़ा पहाड़ खुद जाऊंगा. नक्सलियों का मनोबल टूट कर बिखर चुका है. हमारा प्रयास है कि ये टुकड़े दोबारा ना जुड़े. इन टुकड़ों के लिए सरकार की पॉलिसी है. वे समाज की मुख्य धारा में आएं. आपके साथ सरकार सम्मान के साथ पेश आएगी.
हेमंत सोरेन ने कहा, महिलाओं का उत्पीड़न मेरे लिए ही नहीं, देश के लिए चिंता का विषय है. कई वर्षों से महिलाओं का उत्पीड़न होता आ रहा है. वर्तमान में चेहरा बदला हुआ है और घृणात्मक उत्पीड़न हो रहा है.
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पहली बार खेल नीति बनने से खिलाड़ियों को सीधी नियुक्ति मिल रही है. खेल के मैदान तैयार हो रहे हैं. राष्ट्रीय टीम के कप्तान की भूमिका में राज्य के बच्चे हैं. गुमनामी की जिंदगी जीने वाले बच्चे-बच्चियां अब खूबसूरत फूल की तरह दिख रहे हैं.
नए साल में चुनाव आयोग की ओर से गवर्नर को मिला लिफाफा खुलेगा? इस पर हेमंत सोरेन ने कहा, अब थक गए, और भूल भी गए हैं कि ऐसा भी कुछ हुआ था. आश्चर्य और सस्पेंस की बात है कि पत्र आया है या नहीं, राजभवन ही बता सकता है. मैंने पहले ही हाथ जोड़ कर आग्रह किया है कि अगर मैं गुनाहगार हूं तो सजा दो. अगर गुनाहगार नहीं तो आशीर्वाद दो ।
