भाजपा का नहीं बचा कोई हमदर्द
तो अब आदिवासियों की सरकार बनी है इनका दर्द

झारखण्ड
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जनजातीय समाज अपनी सभ्यता, संस्कृति और परंपरा को भौतिकवादी युग ‘में बचाने में संघर्षरत है। ऐसे में इस कार्यक्रम से जनजाति वर्ग को एक ऊर्जा मिलेगी और वे अपनी सभ्यता एवं संस्कृति को अक्षुण्ण रख सकेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज प्रकृति के आसपास रहता है। उनके खेत खलिहान, पशु और वनोपज ही इनका धन है। झारखंड सरकार वनोपज में एमएसपी देकर ऐसे समुदाय को मदद कर रही है। जो देश और राज्य का विकास हो सकता है। देश और राज्य आगे बढ़ेगा। ग्रामीणों की क्रय शक्ति बढ़ाने और देश के वंचित, पिछड़ों, गरीबों के उत्थान की दिशा में कार्य होना चाहिये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड की आदिवासी समुदाय की बच्चियां खेल के क्षेत्र में अपना जौहर दिखा रही हैं। हॉकी की राष्ट्रीय टीम में झारखंड की सात बच्चियां शामिल हुईं। यह सभी एक ही जिला से आतीं हैं। राज्य सरकार झारखंड में खेल की संभावनाओं को देखते राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं की मेजबानी कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा सरकार ने जनजातीय समाज के होनहार और प्रतिभाशाली बच्चों को सौ प्रतिशत अनुदान पर यूके भेजकर उच्च शिक्षा ग्रहण करने का अवसर प्रदान किया है। छह बच्चों को चयनित कर हम उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेजने में सफल रहे हैं।
झारखंड में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खराब प्रदर्शन के बाद आदिवासियों में पार्टी की स्वीकार्यता को लेकर बहस छिड़ी हुई है. झारखंड में 26 सीटें ऐसी हैं जो आदिवासी बहुल हैं और कुल 81 सीटों वाली विधानसभा में 28 सीटें अनुसूचित जनजाति (STS) के लिए आरक्षित हैं.
बीजेपी ने 2014 में यहां 11 एसटी सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार आदिवासी बहुल सीटों पर बीजेपी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा. इस चुनाव में वह सिर्फ दो सीटों पर सिमट गई.
इंडिया टुडे की डाटा इंटेलीजेंस यूनिट (DIU) ने झारखंड विधानसभा चुनाव परिणाम का विश्लेषण किया है. इस दौरान यह पाया गया कि आदिवासी समाज, , बीजेपी से दूरी बना रहा है.
सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के सीनियर फेलो नीलांजन सरकार का मानना है कि स्थानीय मुद्दे आदिवासियों के लिए प्रासंगिक हैं. ये राज्य विधानसभा चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिससे उनकी वोटिंग प्राथमिकताएं प्रभावित होती हैं.
वे कहते हैं, “राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले चुनावों के मुद्दे अलग-अलग होते हैं. स्थानीय मुद्दों के चुनाव में झारखंड आदिवासी क्षेत्र में बीजेपी की बड़ी हार हुई. बीजेपी ने भूमि अधिकार के नियमों में बदलाव का प्रयास किया जो आदिवासियों की जमीन के अधिग्रहण को आसान बना देगा. इसे आदिवासी समुदाय ने पसंद नहीं किया।
बंधु तिर्की ने कहा कि बीजेपी आदिवासी लोगों का इस्तेमाल करती है. पार्टी आदिवासियों को ऊपर उठते हुए नहीं देख सकती. वह आदिवासियों को लॉलीपॉप देने का काम करती है. कुछ लोगों को पद देकर बहलाने का काम करती है. उन्होंने कहा कि बीजेपी ईडी जांच कराए उसमें कोई दिक्कत नहीं है लेकिन, आदिवासियों का अपमान करना गलत है.

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