हजारीबाग के महज 20 फीसदी प्राइवेट नर्सिंग होम के पास ही फायर बिग्रेड से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) मिला है. धनबाद के हाजरा नर्सिंग होम में हुए भीषण अग्निकांड के बाद भी हजारीबाग में स्वास्थ्य विभाग की नींद नहीं टूटी है. हजारीबाग शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल का एनओसी भी फेल है. अभी एनओसी के लिए अप्लाई किया गया है. यह बात “शुभम संदेश” नहीं अस्पताल अधीक्षक डॉ विनोद कुमार खुद कह रहे हैं. इससे भी अधिक खतरेवाली बात यह है कि सदर अस्पताल या शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के कई पुराने भवनों में अग्निशमन नहीं लगा है. सर्जिकल और आईसीयू के दूसरे तल्ले पर न पानी छिड़काव की व्यवस्था है और न आग बुझाने का यंत्र लगा है. भगवान न करे कोई घटना हो, लेकिन अगर अग्निकांड जैसा कोई हादसा हो गया, तो सरकारी और प्राइवेट अस्पताल भगवान भरोसे संचालित हैं. हजारीबाग जिले में करीब सौ प्राइवेट नर्सिंग होम और दो दर्जन सरकारी अस्पताल हैं. इन भवनों में अग्निशमन यंत्र लगाना सरकारी प्रावधान के तहत अनिवार्य है. इसके बावजूद इस ओर से स्वास्थ्य महकमा पूरी तरह लापरवाह है.
ऑनलाइन डिमांड दिखाकर ले लिया नर्सिंग होम चलाने का सर्टिफिकेट
सिविल सर्जन डॉ सरयू प्रसाद सिंह ने बताया कि कई नर्सिंग होम के संचालन के लिए इसलिए सर्टिफिकेट दे दिया कि संचालकों ने अग्निशमन यंत्र की खरीदारी का ऑनलाइन डिमांड पेपर प्रस्तुत किया था. हालांकि वर्षों बीत गए, अब तक कई नर्सिंग होम में अग्निशमन यंत्र ऑनलाइन नहीं पहुंचे. इसकी कभी छानबीन नहीं की गई. लाइसेंस मिलने के बाद भी अग्निशमन यंत्र की खरीदारी नहीं की गई.
नर्सिंग होम को भेजे गये हैं पत्र : सिविल सर्जन
सिविल सर्जन ने बताया कि जिले के सभी नर्सिंग होम को पत्र भेजे गये हैं. इसमें तीन सप्ताह की मोहलत दी गई है कि अग्निशमन यंत्र लगा लें, अन्यथा कार्रवाई की जाएगी. इस पत्र के बाद से नर्सिंग होम के संचालकों में हड़कंप मच गया है. कोई फायर बिग्रेड के दफ्तर में दौड़ लगा रहे हैं, तो कोई पैरवी तलाश रहे हैं. अब वहां भी लेन-देन के खेल की चर्चा नर्सिंग होम के संचालक कर रहे हैं.
