मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि हमने जब से सत्ता संभाली है, यहां के आदिवासी और मूलवासियों की भलाई के लिए काम किया है। हमारी लड़ाई यहां के लोगों को उनकी पहचान दिलाने के लिए है। मुख्मंत्री ने लातेहार में सोमवार को खतियानी जोहार यात्रा में उक्त बातें कहीं। मुख्यमंत्री ने खतियानी जोहार यात्रा निकाली है।
विपक्ष पर निशाना साधते हुए सीएम ने कहा कि डबल इंजन की सरकार ने कई सालों तक राज्य को लूटा है। उन्होंने कहा कि जो भी नीतियां राज्य सरकार बनाती हैं, उन्हें असंवैधानिक बताया जाता है। हमने राज्य में खतियान आधारित नियोजन नीति बनाई। इसे भी असंवैधानिक बता राज्यपाल ने लौटा दिया। राज्य की वर्तमान सरकार आदिवासी, मूलवासी, जल, जंगल, जमीन को बचाने का काम कर रही है। जिसके कारण विपक्षी दलों को परेशानी हो रही है। सीएम ने कहा कि बूढ़ा पहाड़ में छह माह में सभी आदिवासियों व मूलवासी लोगों को हर योजना का लाभ दिया जाएगा। यहां सभी प्रकार की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करा दी जाएंगी।
देश का सबसे बड़ा घोटाला हुआ मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान की केंद्र सरकार के व्यापारिक मित्रों ने देश का सबसे बड़ा घोटाला किया है। इस घोटाले के कारण देश के कई बड़े सरकारी संस्थान कंगाल होने की कगार पर पहुंच गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार गरीबों, दलितों, आदिवासिया के लिए काम कर रही है। हमने गरीबों के बच्चों को ऊंची शिक्षा देने के लिए मुफ्त शिक्षा नीति की योजना बनाई है। यदि कोई बच्चा विदेश में पढ़ाई करना चाहे तो उसका खर्च सरकार उठाने को तैयार है। विपक्ष मुद्दाविहीन हो गया है और सरकार को षड्यंत्र कर गिराना चाह रहा है।
योजनाओं को सामने रखा. सीएम हेमंत ने कहा कि भाजपा ने राज्य अलग होने के बाद 20 वर्ष में 18 वर्ष से ज्यादा समय तक राज किया, पर झारखंडियों को पहचान नहीं दिला पाये. भाजपा ने सिर्फ जाति, धर्म, हिंदू मुस्लिम के नाम पर लोगों को लड़ाया है और लड़ा रही है, पर हमारी सरकार ने झारखंडियों के लिए खतियान आधारित पहचान दिलाने का काम किया है.
हेमंत ने कहा कि राज्य के युवाओं को न रोजगार के लिए चिंता करनी है और न बच्चों को भविष्य की पढ़ाई के लिए. सरकार सभी के लिए व्यवस्था कर रही है.
सीएम सोरेन ने कहा कि राज्य अलग हुए 20 वर्ष बीतने के बाद भी कौन मूलवासी है, इसकी पहचान नहीं हुई. यही वजह है कि मूलवासी के हक और अधिकार की लूट-खसोट हुई. खतियानी जोहार का मतलब ही हमारी पहचान है. भारत में हम झारखंडी कैसे हैं इसकी पहचान जरूरी है. इसे ध्यान में रखते हुए 1932 का खतियान लागू किया गया है. कुछ अधिकार विशुद्ध रूप से राज्यवासियों का है. कई राज्य अपनी पहचान के लिए कानून बना चुके हैं, तो हम क्या न करें. कहा कि जो खतियानी वहीं झारखंडी है. थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नौकरी सौ प्रतिशत स्थानीय को मिले यह नियम हमने बनाया है।