रामगढ़ विधानसभा सीट आजसू पार्टी के लिए परंपरागत सीट रही है। आजसू पार्टी के चंद्रप्रकाश चौधरी इस सीट से लगातार तीन पर चुनाव में विजयी रहे। 2019 के लोकसभा चुनाव में गिरिडीह से सांसद बन जाने के कारण विधानसभा सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया था। जिसके बाद दिसंबर 2019 के चुनाव में उनकी पत्नी सुनीता चौधरी को आजसू पार्टी ने उम्मीदवार बनाया, लेकिन कांग्रेस की ममता देवी ने जीत हासिल की। इस बीच हजारीबाग की अदालत ने एक अपराधिक मामले में ममता देवी को सजा सुनाई। जिसके कारण उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द हो गई। अब 27 फरवरी को उपचुनाव और 2 मार्च को मतगणना की तिथि निर्धारित की गई हैं।
झारखंड विधानसभा चुनाव-2019 के बाद प्रदेश में 4 उपचुनाव हो चुके हैं। बेरमो, दुमका, मधुपुर और मांडर विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में महागठबंधन ने बाजी मारी। हालांकि, यह सच है कि उपचुनाव से पूर्व भी ये सीटें महागठबंधन के खाते में ही थी लेकिन यहां बीजेपी पूरी ताकत से लड़ी थी । शीर्ष नेताओं ने जमकर रैलियां और जनसभाएं की। मांडर उपचुनाव में तो दीपक प्रकाश, बाबूलाल मरांडी, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, अन्नपूर्णा देवी और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने जनसंपर्क अभियान तक चलाया। मांडर उपचुनाव से ठीक पहले बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मोरहाबादी मैदान में आदिवासी विश्वास रैली की लेकिन किसी भी उपचुनाव में अपेक्षित परिणाम नहीं मिला। महागठबंधन चुनौतियां देता रहा। बीजेपी, सरकार पर हमलावर रही। भ्रष्टाचार से लेकर कानून व्यवस्था और बेरोजगारी तक का मुद्दा उठाया लेकिन हेमंत सरकार हर आरोप का काट निकालती रही।
बेरमो से मांडर तक बीजेपी की चुनौतियां झारखंड में नई हेमंत सरकार के गठन के बाद पहला उपचुनाव बेरमो में हुआ। यहां से विधायक रहे कांग्रे ऐप पर पढ़ें वरिष्ठ नेता राजेंद्र सिंह का निधन हो गया। नवंबर 2020 म हुए उपचुनाव में राजेंद्र सिंह के बेटे अनूप सिंह उर्फ कुमार जयमंगल सिंह ने बीजेपी के योगेश्वर महतो ‘बाटुल’ को 14,236 मतों से हराया। नवंबर 2020 में ही दुमका में भी उपचुनाव हुआ। हेमंत सोरेन द्वारा विधायकी छोड़ने की वजह से यह सीट खाली हुई थी।इन चुनावों में सीएम हेमंत के छोटे भाई बसंत सोरेन ने बीजेपी की डॉ. लुईस मरांडी को 6,512 वोट से हराया। अप्रैल-मई 2021 में मधुपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ। झामुमो के वरिष्ठ नेता हाजी हुसैन अंसारी के निधन से खाली हुई इस सीट पर उनके बेटे हफीजुल हसन अंसारी ने बीजेपी के गंगा नारायण सिंह व हराया। बीजेपी ने यहां भी पूरी ताकत झोंकी थी। जून 20 में मांडर उपचुनाव में कांग्रेस की शिल्पी नेहा तिर्की ने बीजेपी गंगोत्री कुजूर को 23,517 वोट के बड़े अंतर से हराया। मांडर उपचुनाव में भी बीजेपी ने पूरी ताकत झोंकी थी। प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश और वरीय नेता बाबूलाल मरांडी ने यहां पूरी ताकत झोंकी। जनसभाएं की। रैलियां निकाली। गांव-गांव जाकर जनसंपर्क अभियान चलाया। लेकिन, महागठबंधन की युवा प्रत्याशी को नहीं रोक पाए।
परिवारवाद को नहीं भुना पाए बीजेपी नेता गौर किए जाने लायक बात यह भी है कि चारों उपचुनावों में झामुमो अथवा कांग्रेस के पूर्व नेताओं के बेटे, भाई या बेटी ने जीत हासिल की। बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव कहते हैं कि यह सच है कि उन सभी सीटों पर परि ऐप पर पढ़ें ता। बीजेपी इसे जनता के बीच भुना नहीं पाई। वो कहते हैं कि हमने सभी चुनाव पूरी गंभीरता से लड़े हैं। वो सभी सीटें महागठबंधन की परंपरागत सीटें थी। हालांकि, जीत का मार्जिन कम था। पहले जो भी उपचुनाव हुए वह सभी सरकार गठन के तत्काल बाद हुए लेकिन अब 3 साल बीत चुका है।
रामगढ़ उपचुनाव में किसके हाथ लगेगी जीत खैर, रामगढ़ उपचुनाव की अभी रणभेरी ही बजी है। सभी उपचुनाव में महागठबंधन की एक और जीत उनकी उपलब्धियों के दावे पर मुहर लगा देगी वहीं यदि एनडीए यहां बाजी मार ले जानें के लिए जरुरी है आजसू को अपने एनडीए गठबंधन के साथी भाजपा का पूर्ण सहयोग की जरूरत होगी, लेकिन लग नही रहा है कि भाजपा के झारखंड बड़े नेता रामगढ़ में चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं। बीजेपी के बड़े नेताओं का रामगढ़ में अब तक कोई कार्यक्रम नहीं हुआ और ना ही आने वाले समय में भी उनका कोई बड़ा कार्यक्रम रामगढ़ उपचुनाव में दिख रहा है।