आज एक हेमन्त की वजह से बाबूलाल जी से लेकर सुदेश महतो तक को अपनी पहचान बचाने के लिए जमीर बेचकर भाजपा की शरण लेनी पड़ी

झारखण्ड
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भाजपा और आजसू आदिवासी-मूलवासी विरोधी मानसिकता वाली पार्टी है. भाजपा मीरजाफर है तो आजसू जयचंद है. भाजपा के एक नेता बाबूलाल मरांडी आदिवासी समाज से आते हैं, वहीं आजसू के एक नेता सुदेश महतो पिछड़े वर्ग से आते हैं, लेकिन इनलोगों ने झारखंडियों को उसकी पहचान नहीं दी. लेकिन दोनों ही नेता भाजपा के गोद में बैठे हुए हैं एक समय था ऐसा था जब बाबूलाल मरांडी झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष थे तब वह लगातार भाजपा के विरोध में बोलते थे ।लेकिन झारखंड विकास मोर्चा पार्टी में उनकी नहीं चली तो वह अंत में फिर भारतीय जनता पार्टी के शरण में आ गए।
गुरुजी पर आरोप लगाने से पहले
बाबूलाल मरांडी को बतलाना चाहिए कि उनके पास कुल
कितनी संपत्ति है. यदि बाबूलाल इसकी जानकारी नहीं देते
हैं, तब झामुमो इसकी जानकारी सामने लाएगा. विरोधी क्या कर रहे हैं ये वही समझें. मैं क्या कर रहा हूं वो हमारे लिए महत्वपूर्ण है और हम उसके अनुरूप ही काम कर रहे हैं. राज्य में जिला से लेकर पंचायत स्तर तक काम किया जा रहा है. विरोधी हमारे गढ़ की चिंता बहुत ज्यादा कर रहे हैं, वो थोड़ी सी अपनी चिंता कर लें तो बेहतर होगा.
पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी निजी स्वार्थ के लिए गलत रास्ते पर चल रहे हैं. देखिए झारखंड की जनता उन्हें कहां लेकर जाएगी. उनके पास जुमलेबाजी के सिवाय कुछ नहीं बचा है.
1932 के खतियान पर आधारित स्थानीय नीति कैबिनेट से पास होने से गली मुहल्लों में खुशी है. भाजपा की स्थानीय नीति से लोगों को लाभ नहीं मिल रहा था. उनकी नीति खून-खराबा वाली थी.

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