झारखंड के रामगढ़ विधानसभा चुनाव में मात्र अब 2 दिन का समय रह गया है। चुनाव में यूपीए और एनडीए के दिग्गज नेता मोर्चा संभाल चुके हैं। राज्य के मुख्यमंत्री से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री तक चुनावी मैदान में ताल ठोकते नजर आ रहे हैं। धीरे-धीरे अब स्थितियां सामने आने लगी है। चुनावी मौसम में जातीय समीकरण भी ताल ठोक रहे हैं। ऐसे में जाति के कथित नेता अपने जाति के वोट को लेकर उछल कूद मचा रहे हैं। हालांकि जाति की राजनीति करने वाले नेता इस चुनाव में कितना सफल होंगे कहना मुश्किल है।
रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव में कुछ जाति के नेता तो फतवा तक जारी कर रखा है। जिससे चुनाव में जातीय समीकरण बनते बिगड़ते देख रहे हैं। जातीय समीकरण को तोड़ने के लिए रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र के बड़े जाती को अपने तरफ करने के लिए जाति के नेता मैदान में उतर चुके हैं। रामगढ़ विधानसभा में पिछले 7 दिनों में चुनाव प्रचार और जनसंपर्क अभियान में काफी तेजी आई है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अब तक दो चुनावी सभा को संबोधित कर चुके हैं। जिसमें हजारों लोगों की उपस्थिति देखी गई है।वही रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव को लेकर कुर्मी जाति के वोटों में सेंध लगाने की जोरदार कोशिशें चल रही है। माना जाता है कि रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में
कुर्मी जाति की आबादी काफी है। यहां मतदान में कुर्मी जाति जीत हार का फैसला भी करती है। वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में इस जाति का वोट एक पार्टी को एक तरफा गया था। लेकिन इस उपचुनाव में ऐसा होता नहीं दिख रहा है। किस बार कुर्मी जाति का बोध तीन राजनीतिक दलों में बटता दिख रहा है। कुर्मी जाति के वोटों के लिए कॉन्ग्रेस, आजसू और झापा के प्रत्याशी हाथ पैर मारते दिख रहे हैं। ये तीनों प्रत्याशी कुर्मी जाति से ही आते हैं। इसलिए इन तीनों राजनीतिक दलों के कुर्मी जाति के नेता पूरे प्रदेश से पहुंचकर कैंप कर रहे हैं। खास कर यह नेता कुर्मी बहुल क्षेत्र में ही जनसंपर्क अभियान और वोट मांग रहे हैं। कांग्रेस उम्मीदवार बजरंग महतो के लिए
शैलेन्द्र महतो, खीरु महतो, मथुरा महतो, जलेश्वर महतो, योगेंद्र महतो, सबिता महतो, जगन्नाथ महतो आदि दिग्गज कुर्मी नेताओं का रामगढ़ उपचुनाव में काँग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में महजुटान संयोग मात्र नहीं है। ममता देवी को षड्यंत्र के तहत जेल भिजवाने की घटना को कुर्मी समाज अपने इज्जत – बेटी/बहू के साथ घटित अत्याचार के रूप में ले रही है। दुधमुंहे बच्चे से अलग आज ममता देवी जेल में रहने को विवश है, ऐसे में समाज की पुकार ने इन नेताओं को आजसू के खिलाफ एकजूट कर दिया है। रामगढ़ उपचुनाव में तो महतो समाज आजसू से खफा हो ही गयी है कहीं ऐसा न हो कि चन्द्र प्रकाश चौधरी आजसू के महतो वोट बैंक के लिए आगे भी नफरत के कारण बने रहें।
इस बार का रामगढ़ उपचुनाव पहले के चुनावों से एकदम अलग है। ममता देवी का जेल जाना, वह भी तब जब 4 माह का बच्चा उनके गोद में था, ने इस चुनाव का पूरा समीकरण बदल कर रख दिया है। जिस कुर्मी समाज का एकतरफा समर्थन आजसू उम्मीदवार को मिलता था, उन्हें इस बार अपने ही समाज के लोगों के द्वारा नफरत की नजर से देखा जा रहा है। मतदाता तो यहां तक कहने लगे हैं कि आजसू, महतो समाज की पार्टी नहीं, सिर्फ दो महतो नेता की पार्टी बन के रह गयी है। कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में कुर्मी जाति के कई दिग्गज नेता मैदान में उतरे दिख रहे हैं।