जिले के बड़कागांव में एनटीपीसी की पंकरी-बरवाडीह कोल परियोजना में लाइफलाइन दुमुहानी नाला को नष्ट कर 100 एकड़ से अधिक क्षेत्र में अवैध रूप से कोयला खनन मामले में केंद्र ने सख्त रुख अख्तियार किया है. एनटीपीसी की एमडीओ त्रिवेणी-सैनिक माइनिंग कंपनी द्वारा 37.20 हेक्टेयर (100 एकड़ से अधिक) एरिया में अवैध खनन के मामले में हजारीबाग के तत्कालीन डीएफओ आरएन मिश्रा द्वारा दो तरह की रिपोर्ट तैयार की गयी थी. मामले को गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सहायक वन महानिरीक्षक सुनीत भारद्वाज ने झारखंड सरकार के प्रधान सचिव (वन) को डीएफओ पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. साथ ही की गयी कार्रवाई से संबंधित प्रतिवेदन मंत्रालय में प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया है. ज्ञात हो कि अवैध खनन की पुष्टि होने के बावजूद राज्य स्तर पर मामले की लीपापोती की जा रही थी यानि मामले को दबा दिया गया था. लेकिन सामाजिक कार्यकर्ता मंटू सोनी की शिकायत पर केंद्र ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए अवैध खनन के दोषियों को बचाने वाले डीएफओ पर कार्रवाई का निर्देश दिया है.
एनटीपीसी की पंकरी बरवाडीह कोल परियोजना में लाइफलाइन दुमुहानी नाला को नष्ट कर करीब 100 एकड़ में अवैध खनन किया गया है. जांच रिपोर्ट में इसकी पुष्टि भी की गयी है. लेकिन अवैध खनन मामले में हजारीबाग के तत्कालीन डीएफओ आरएन मिश्रा द्वारा दो अलग-अलग रिपोर्ट तैयार की गयी थी. एक रिपोर्ट में अवैध खनन की पुष्टि करते हुए एनटीपीसी पर जुर्माना लगाने की अनुशंसा की गयी. लेकिन बाद में डीएफओ ने जो दूसरी रिपोर्ट तैयार कर वन विभाग के आला अधिकारियों को भेजी, उसमें 100 एकड़ में अवैध खनन किए जाने का उल्लेख तो किया गया, लेकिन इसके लिए किसी को जिम्मेवार नहीं ठहराया गया. मामले में डीएफओ ने उच्चाधिकारियों को विरोधाभासी गोलमोल रिपोर्ट सौंप कर गुमराह किया.
डीएफओ की पहली रिपोर्ट
हजारीबाग के तत्कालीन पश्चिमी वन प्रमंडल पदाधिकारी आरएन मिश्रा ने मार्च 2022 में वन संरक्षक, प्रादेशिक अंचल हजारीबाग को सौंपी गयी पहली रिपोर्ट में तीन बिंदुओं पर कार्रवाई की अनुशंसा की थी. पहले बिंदु में 100 एकड़ एरिया में अवैध खनन के लिए पांच गुना एनपीवी वसूलने, दूसरे बिंदु में सौ एकड़ एरिया के पांच गुना दंड क्षतिपूर्ति पौधरोपण करने और तीसरे बिंदु में एनटीपीसी के कार्यकारी निदेशक प्रशांत कश्यप, विक्रम चंद्र दुबे, अपर महाप्रबंधक (खनन) और रंजीत प्रसाद उप महाप्रबंधक (खनन) पर वन संरक्षण अधिनियम के तहत दो धाराओं में कार्रवाई की अनुशंसा की गयी थी.
हजारीबाग के तत्कालीन पश्चिमी वन प्रमंडल पदाधिकारी आरएन मिश्रा ने दूसरी रिपोर्ट में अवैध माइनिंग किये जाने को लेकर मार्च महीने में लिखी पहली रिपोर्ट को बदल दिया. जून 2022 में दूसरी रिपोर्ट में 100 एकड़ एरिया में अवैध खनन किए जाने की पुष्टि तो की, लेकिन इसके लिए किसी भी अधिकारी को दोषी नहीं बताया. सिर्फ जितने एरिया में अवैध खनन हुआ था, उससे पांच गुना एनपीवी वसूलने और सौ एकड़ एरिया में अवैध खनन के पांच गुना दंड क्षतिपूर्ति पौधरोपण की अनुशंसा की थी.
राज्य सरकार ने भी अवैध खनन की बात स्वीकारी
झारखंड विधानसभा में सरकार ने झामुमो-कांग्रेस विधायक द्वारा उठाए गए सवाल पर एनटीपीसी की पंकरी बरवाडीह कोल परियोजना के दोमुहानी नाला की 100 एकड़ एरिया में अवैध खनन की बात स्वीकार की है. यह भी बताया कि अवैध खनन मामले से केंद्र को भी अवगत कराया जा चुका है.
जांच पर जांच, जिला प्रशासन ने भी बनाई कमेटी
एनटीपीसी की पंकरी-बरवाडीह रोल परियोजना में अवैध खनन पर सवाल उठे, तो हजारीबाग जिला प्रशासन की भी तंद्रा भंग हुई. दो-दो, तीन-तीन दफा की जांच में अवैध खनन की पुष्टि के बाद अब जिला प्रशासन ने फिर से मामले की जांच कराने के लिए एडिशनल कमिश्नर के नेतृत्व में जांच कमेटी का गठन तो कर दिया, लेकिन एक माह बीतने के बावजूद कमेटी की जांच रिपोर्ट नहीं आ सकी है.