बच्चे स्कूल बैग के साथ देखकर हर किसी का दिल दुखी हो जाता है. स्कूल बैग के वजन से कई बार बच्चों के कंधे तक झुक जाते हैं. बैग टांगने भर से बच्चे थक जाते हैं. बच्चों का यह बोझ कम करने के लिए भारत सरकार ने स्कूल बैग पॉलिसी तैयार की है.
स्कूल बैग पॉलिसी के तहत तय किया गया है किस बच्चे के कंधे पर कितने किलो का बैग लटकाया जा सकता है. इसका निर्णय बच्चे की क्लास और वजन के हिसाब से लिया जाएगा. स्कूल बैग पॉलिसी के लागू हो ज से बच्चों को काफी राहत मिलेगी. फिर उन पर एक्सट्रा किताबों या कॉपियों का दबाव नहीं डाला जा सकेगा.
झारखंड की हेमंत सोरेन सरकारी राज्य के स्कूलों में पढ़ रहे 40 लाख बच्चों को राज्य सरकार बैग देगी। इसी बैग में बच्चे कॉपी- किताब रखकर स्कूल आएंगे। वहीं, वित्तीय वर्ष 2022-23 में जिन अभिभावकों ने स्कूल किट की राशि से अपने बच्चे के लिए जूते नहीं खरीदे हैं उन्हें वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए स्कूल किट की राशि नहीं दी जाएगी। स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। शिक्षा विभाग ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में 40,98,934 छात्र- छात्राओं को स्कूल बैग देने का निर्णय लिया है। बच्चों को अभ्यास पुस्तिका व लेखन सामग्री के साथ स्कूल बैग दिया जाएगा। सरकारी स्कूलों के बच्चों को स्कूल बैग दो सालों में एक बार दिया जाता है। इससे पहले 2021 में उन्हें स्कूल बैग दिये गये थे।
क्लास के आधार पर बच्चों को छोटे व बड़े स्कूल बैग दिये जाएंगे। इसी आधार पर इसकी कीमत तय की गई है। वहीं, स्कूल किट के लिए भी 85 रुपये से लेकर 305 रुपये तक बच्चों को दिये जाने हैं। सरकार ने यह भी तय किया है कि जिन छात्र- छात्राओं के माता-पिता ने विगत वर्ष अनुदान की राशि से जूते नहीं खरीदे थे, उन्हें इस वर्ष इस मद की राशि से वंचित किया जा सकता है। इसके लिए जिलों से रिपोर्ट मांगने की भी तैयारी की जा रही है। जिलों के रिपोर्ट आने के बाद उस पर मंथन होगा। या शैक्षणिक सत्र शुरू होगा। इसके बाद ही स्कूल किट से संबंधित राशि वितरण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। 202 अगला अगस्त में स्कूल किट की राशि जारी की गई थी।