संथाल परगना के चार जिले के 74 गांव कालाजार से प्रभावित

jharkhand News
Spread the love

2023 तक भारत सरकार ने कालाजार उन्मूलन का रखा है लक्ष्य

Ranchi : भारत सरकार ने 2023 तक राष्ट्र से कालाजार उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया है. हालांकि बदलते चिकित्सा विज्ञान के इस दौर में झारखंड के संथाल परगना के 4 जिले (दुमका, गोड्डा, पाकुड़, साहेबगंज) के अति प्रभावित 74 गांव अब भी कालाजार की चपेट में हैं. इनमें से कई ऐसे गांव हैं, जो दुर्गम क्षेत्र में अवस्थित हैं. जहां स्वास्थ्य सेवाएं सीमित है. एक बार फिर झारखंड के इन चार जिले से कालाजार का शत प्रतिशत उन्मूलन सुनिश्चित करने को लेकर स्वास्थ्य महकमा तैयारियों में जुटा हुआ है. ऐसे गांव में चलंत ग्राम क्लिनिक की स्थापना कर कालाजार के रोगियों की पहचान की जाएगी.

कालाजार एक वेक्टर जनित रोग

रिम्स के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि पोस्ट कालाजार डर्मल लीशमैनियासिस (पिकेडीएल) एक चर्म रोग है, जो कालाजार से ठीक हो जाने की वजह से कुछ रोगियों को हो जाता है. धूप में निकलने पर कालाजार से ठीक हुए मरीजों के शरीर में लाल दाने निकल जाते हैं. वहीं विसेरल लीशमैनियासिस (वीएल) जिसे इंडियन कालाजार भी कहते हैं.

गौरतलब है कि कालाजार एक वेक्टर जनित रोग है. जिसका संक्रमण बालू मक्खी से फैलता है. यह रोग बालू मक्खी द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलता है. कालाजार एक जानलेवा बीमारी है, लेकिन समय पर समुचित इलाज से यह ठीक हो सकती है.

कालाजार का इलाज नहीं हुआ तो हो सकता है घातक

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, अगर कालाजार के मरीजों को बिना इलाज के छोड़ दिया जाए तो 95 प्रतिशत से अधिक मामलों में यह घातक हो सकता है. इस बीमारी से संक्रमित लोग को अनियमित बुखार आना, वजन घटना, प्लीहा और यकृत बढ़ने जैसे लक्षण व एनीमिया की शिकायत होती है.

जिले का नाम गांव की संख्या

दुमका 13

गोड्डा 19

पाकुड़ 30

साहेबगंज 12

कुल 74

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *