ग्रामीण अर्थव्यवस्था के मजबूती के लिए राज्य के 50 पंचायतों को बनाया जाएगा मॉडल

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झारखंड के 50 पंचायत मॉडल बनेंगे। प्रदेश की हेमंत सोरेन सरकार ने इस काम के लिए केरला इंस्टीट्यूट ऑफ लोकल ने एडमिनिस्ट्रेशन (कीला) की मदद लेने का फैसला किया है। पंचायती राज विभाग और कीला के बीच इस संबंध में एमओयू होने वाला है। बताया जा रहा है कि सरकार ने ड्राफ्ट भी तैयार कर लिया है। विभाग इसमें झारखंड सिविल सोसायटी का भी सहयोग लेने पर विचार कर रहा है। गौरतलब है कि केरला इंस्टीट्यूट ऑफ लोकल एडमिनिस्ट्रेशन पंचायतों को बकायदा सर्टिफिकेट भी देता है।
दरअसल, केंद्र सरकार ने पत्र लिखकर सभी राज्यों से आग्रह किया था कि पंचायतों को आइएसओ प्रमाणित किया जाए। इसके लिए हाल ही में प्रदेश के कई विधायकों और सीएसओ फोरम के मेंबर्स ने केरल का दौरा किया था। वहीं जाकर इन्होंने पंचायती राज व्यवस्था की जानकारी ली थी। इस दौरान कीला के अधिकारियों से भी मुलाकात हुई थी। बता दें कि केंद्र सरकार ने इस काम के लिए कीला को अधिकृत किया है।
कीला जनप्रतिनिधियों के लिए प्रशिक्षण कोर्स और मॉड्यूल अगला डिजाइन करेगा। साथ ही आकलन किया जाएगा कि पंचायत की प्राथमिक सुविधा कैसी है। वहां क्या होना चाहिए। इसमें डाटा कलेक्शन, पेयजल उपलब्धता, स्वास्थ्य तथा आंगनबाड़ी केंद्र के बारे में जानकारी ली जाएगी। साथ ही सुधार कैसे किया जाए इस बारे में जनप्रतिनिधियों को बताया जाएगा। बेहतर विकास के लिए क्षमता निर्माण हेतु संयुक्त रूप से कार्यशाला, से ऐप पर पढ़ें फैकल्टी विकास कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। चुनिंदा जनप्रतिनिधियों और अदिकारियों को एक्सपोजर विजिट का मौका मिलेगा। कीला, पंचायतों में जल संरक्षण, आजीविका, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग करेगा।
इस काम के लिए प्रति पंचायत 30 हजार रुपये फीस भी लेता है। आइएसओ प्रमाण पत्र 3 साल के मान्य होगा। पंचायतों की पूरी व्यवस्था चाक-चौबंद होगी। पंचायतों में जो सुविधाएं हैं उन्हें सुदृढ़ किया जाएगा। ऑफिस में व्यवस्थाएं दुरुस्त की जाएगी। फाइलें सुरक्षित हो इसका उपाय किया जाएगा। फिलहाल 50 पंचायतों को इस काम के लिए चुना गया है। गौरतलब है कि हालिया बजट सत्र में पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास विभाग के लिए बजट आवंटित करते समय पंचायतों के सुदृढिकरण की बात कही गई थी। इसमें पंचायतों में एलईडी टीवी लगाने का भी प्रावधान किया गया है।
हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड राज्य में हमारी सरकार बनने पर दो साल तक कोरोना के कारण काम नहीं हुए। महंगाई आसमान छू रही है। रोजी-रोजगार पर आफत है। ऐसे में सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का काम किया है। जिला प्रशासन की ओर से सरकार की संचालित योजनाओं की किताब प्रकाशित कराई गई है। सरकार क्य काम कर रही है वह राज्यभर के पंचायत स्तर के प्रतिनिधि को जानकारी होनी चाहिए। इस तरह की किताब से उन्हें जानकारी मिलेगी। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों का जो कार्य प्रणाली था वह सिर्फ कागज में ही सिमट कर था। हमारी सरकार धरातल पर भी योजनाओं का लाभ पहुंचाने का काम कर रही है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि हम 10 साल में ऐसी ग्रामीण अर्थव्यवस्था बनायेंगे कि गांव का हर व्यक्ति अपना राशन कार्ड फाड़कर फेंक देगा. उन्होंने कहा कि महंगाई बढ़ी हुई है. इस पर हमारी नजर है. कोरोना जैसी चुनौती को हमने पार किया है.

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