झारखण्ड : दिव्यांगता के मामले बढ़ रहे मामले को रोकने का आदेश

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झारखंड सरकार झारखंड के नागरिकों के लिए समय समय पर कहीं योजनाओं को शुरू करती रहती है, ताकि देश का हर एक लाभार्थी इन योजनाओं का लाभ लेकर आर्थिक रूप से मजबूत / सुदृढ़ हो सकें। झारखण्ड सरकार द्वारा भी राज्य के दिव्यांगों के लिए झारखंड विकलांग पेंशन योजना की शुरुआत की है, इस योजना के द्वारा झारखंड सरकार ने राज्य के विकलांगों को प्रति माह कुछ सहायता राशि पेंशन के रूप में दी जा रही है। राज्य सरकार की इस योजना से राज्य के हजारों दिव्यांग लाभान्वित हो रहे है। इस योजना से झारखण्ड के 40 फीसदी या इससे अधिक के विकलांगता और दिव्यांगता वाले लोगों को राज्य सरकार प्रतिमाह 1000 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करेगी। जिससे वे अपना जीवनयापन सम्मानपूर्वक कर सकें, सरकार के द्वारा मिलने वाली इस सहायता राशि से उन्हें अब किसी पर आश्रित रहने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
झारखण्ड सरकार द्वारा विकलांग पेंशन योजना को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य राज्य के विकलांग लोगों को पेंशन राशि द्वारा आर्थिक सहायता प्रदान करना है ताकि विकलांगजनों को किसी पर आश्रित रहने की आवश्यकता न पड़ें। विकलांग लोगों के साथ काफी भेदभाव किया जाता है उन्हें अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए भी दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है इन्ही बातों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस योजना को शुरू किया है ताकि वे आत्मनिर्भर बन सके।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग द्वारा संचालित योजनाओं की भी समीक्षा की. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के कुछ क्षेत्रों में दिव्यांगता के मामले बढ़ रहे हैं. ऐसे में दिव्यांगता क्यों बढ़ रही है और किन-किन इलाकों दिव्यांगता के केसेज ज्यादा आ रहे हैं, इसकी मैपिंग उपायुक्त अपने स्तर पर कराएं, ताकि इसे रोकने की दिशा में आवश्यक कदम उठाया जा सके. बैठक में बताया गया कि राज्य में 95 दिव्यांगों को दिव्यांगता पेंशन से आच्छादित किया जा चुका है। सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना के तहत नौ लाख बच्चियों को इसका लाभ सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा गया है, जिनमें 7 लाख 29 हज़ार बच्चियों को इस योजना से अब तक जोड़ा जा चुका है।

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