राज्य परियोजना निदेशक के पत्र ने बढ़ाई गर्ल्स स्कूल की परेशानी, अभिभावक जता रहे आपत्ति

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 राज्य परियोजना निदेशक किरण पासी के जारी आदेश पत्र से हजारीबाग बिहारी बालिका मिडिल-हाई स्कूल की परेशानी बढ़ा दी है. उस कैंपस में संचालित नेताजी सुभाषचंद्र बोस समर्थ विद्यालय की बच्चियों को हटाए जाने से बिहारी बालिका मिडिल-हाई स्कूल में छात्राओं का नामांकन प्रभावित हो रहा है. दरअसल गर्ल्स स्कूल के कैंपस में ब्वॉयज हॉस्टल रहने से यहां बच्चियों के नामांकन के लिए आए अभिभावक आपत्ति जता रहे हैं. दरअसल बिहारी बालिका विद्यालय के कैंपस में तीन भवन एक मिडिल स्कूल, दूसरा हाई स्कूल और तीसरा समर्थ विद्यालय संचालित है. मिडिल स्कूल में करीब 200 छात्राएं और हाई स्कूल में 282 छात्राएं पढ़ती हैं. वहीं समर्थ विद्यालय में करीब 111 बच्चों में 50% छात्राएं हैं. राज्य परियोजना निदेशक के पत्र के अनुसार जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को आदेश दिया गया है कि समर्थ विद्यालय की छात्राओं को दूसरी जगह कस्तूरबा ओरमांझी और पश्चिमी सिंहभूम में नामांकित कराने को कहा गया है. ऐसे में समर्थ विद्यालय में सिर्फ छात्र रहेंगे. यहां समर्थ विद्यालय फिलहाल आवासीय है. ऐसे में अभिभावकों का कहना है कि गर्ल्स कैंपस में छात्रों का रहना सही नहीं है. अच्छा होता छात्रों को यहां से अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया जाता और छात्राओं को यहां रखा जाता.

गर्ल्स स्कूल कैंपस में छात्र रहेंगे, तो बेटी का नामांकन नहीं कराएंगे : अभिभावक

फिलहाल बैक टू स्कूल कैंपेन रूआर कार्यक्रम चल रहा है. इसके तहत बच्चों का स्कूलों में नामांकन हो रहा है. बिहारी बालिका स्कूल आए अभिभावक एनुल हसन और अबु बकर ने कहा कि गर्ल्स स्कूल कैंपस में छात्र रहेंगे, तो वे अपनी बेटियों का नामांकन यहां नहीं कराएंगे. ऐसे कई अभिभावकों ने यही आपत्ति जताई है. इससे बिहारी बालिका स्कूल में छात्राओं का नामांकन प्रभावित होना लाजिमी बताया जा रहा है.

अच्छा होता समर्थ स्कूल के बालकों को दूसरी जगह भेजा जाता : प्राचार्या

बिहारी गर्ल्स हाई स्कूल की प्राचार्या रूपा वर्मा कहती हैं कि अच्छा होता समर्थ स्कूल के बालकों को दूसरी जगह भेजा जाता. इससे एक कैंपस में तीनों भवन में छात्राएं ही रहतीं. समर्थ विद्यालय से छात्राओं को हटाकर छात्रों को रहने देने से उनके स्कूल की बच्चियां असहज अनुभव करती हैं. दूसरे जिलों में भी गर्ल्स कैंपस में समर्थ विद्यालय के बच्चियों को ही रखा गया है. यहां पहले से को-एजुकेशन रहता, तो अलग बात थी. उन्होंने पूछे जाने पर स्वीकार किया कि कुछ अभिभावक छात्रों के रहने पर बेटियों के नामांकन पर आपत्ति जता रहे हैं.

यह अस्थायी भवन है, कुछ हल निकालेंगे : डीईओ

पूरे मामले पर डीईओ उपेंद्र नारायण ने कहा कि वैसे तो सरकार का आदेश है, तो वह उसका अनुपालन ही कर सकते हैं. वैसे बिहारी बालिका गर्ल्स स्कूल में समर्थ विद्यालय का अस्थायी भवन है. जब स्थायी भवन मिलेगा, तो छात्रों को वहां से हटाने का प्रयास किया जाएगा. वैसे फिलहाल समर्थ विद्यालय के छात्रों के लिए दूसरा विकल्प तलाशा जा रहा है. उस पर बात कर हल निकालने का प्रयास किया जाएगा.

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