मणिपुर : बिष्णुपुर में फिर भड़की हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़, मैतेई समुदाय के तीन लोगों की हत्या

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मणिपुर में 3 मई को भड़की हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. एक बार फिर मैतेई और कुकी समुदाय के लोगों में हिंसक झड़प हुई है. ताजा मामला बिष्णुपुर का है. जहां देर रात एक ही परिवार के तीन लोगों की हत्या कर दी गयी है. सभी मैतेई समुदाय के बताये जा रहे हैं. इसके बाद उपद्रवियों ने कुकी समुदाय के लोगों के घरों में आगजनी और तोड़फोड़ भी की है. बिष्णुपुर पुलिस के अनुसाार, हिंसा को देखते हुए बिष्णुपुर जिले के क्वाक्टा इलाके से दो किमी से आगे तक केंद्रीय बलों ने बफर जोन बनाया है. लेकिन कुछ लोग बफर जोन को पार करके मैतेई इलाकों में आये और फायरिंग, आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाओं को अंजाम दिया. मौके पर पुलिस पहुंच गयी है और मामले की जांच कर रही है.

3 अगस्त को अनियंत्रित भीड़ ने आईआरबी यूनिट की चौकियों पर किया था हमला

बता दें कि इंफाल और बिष्णुपुर हिंसा का केंद्र बना हुआ है. 3 अगस्त को भी बिष्णुपुर में कई जगहों पर फायरिंग हुई थी. इस दौरान सुरक्षाकर्मियों और अनियंत्रित भीड़ के बीच हिंसक झड़प भी हुई. हालात को काबू करने के लिए सुरक्षा बलों ने हवाई फायरिंग और आंसू गैस के गोले भी छोड़े. इस झड़प के बाद यहां फिर से स्थिति तनावपूर्ण हो गया है. दरअसल अनियंत्रित भीड़ ने बिष्णुपुर जिले में दूसरी आईआरबी यूनिट की चौकियों पर हमला किया और और गोला-बारूद समेत करीब 300 हथियार लूटकर ले गये. जिसके बाद सुरक्षाकर्मियों और उपद्रवियों के बीच गोलीबारी भी हुई. इस गोलीबारी में कई सुरक्षाकर्मी घायल हो गये. एक बंदूकधारी के हमले में एक पुलिसकर्मी की मौत भी हो गयी.

आदिवासी एकजुटता मार्च के बाद शुरू हुई हिंसक झड़पें

गौरतलब है कि मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच दो महीने से तनाव चल रहा है. अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को आदिवासी एकजुटता मार्च निकाली गयी थी. जिसके बाद हिंसक झड़पें शुरू हो गयी थीं. मणिपुर में 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है. आदिवासियों-नगा और कुकी समुदाय की आबादी 40 प्रतिशत है और यह मुख्यत: पर्वतीय जिलों में बसती है.

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