झारखंड सेंट्रल यूनिवर्सिटी में कुर्सी की बोली लगती है. जिसकी बोली ज्यादा होती है, उसे कुर्सी पर बैठा दिया जाता है. तभी तो विवि के जिम्मेवार नियुक्ति में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नियमों का पालन तक नहीं करते हैं. विवि में हुई ज्यादातर नियुक्तियों पर सवाल खड़े हो गए है. हाईकोर्ट में नियुक्ति से संबंधित मामले की सुनवाई चल रही है. यूजीसी ने भी विवि को साफ शब्दों में कहा है कि कैडर रिक्रूटमेंट रूल (सीआरआर, नियुक्ति नियमावली) स्वीकृत कराए बिना नियुक्ति नहीं करनी है. इसके बाद भी विवि के जिम्मेवार अपने चहेतों को मलाईदार कुर्सी पर बैठा कर लाखों के वारे न्यारे कर रहे हैं.
तीन अलग-अलग पद पर नियुक्ति हुई
राष्ट्रपति, केंद्र सरकार और यूजीसी को लिखे पत्र में बताया गया है कि विवि के कुलपति अपने परिचितों को बाहर से लाकर, नियम विरुद्ध तरीके से महत्वपूर्ण पदों पर बैठा रहे हैं. सीयूजे में तीन अलग-अलग पद पर नियुक्ति हुई है. सभी नियुक्तियां अगस्त 2023 में हुई हैं. अब इन तीनों नियुक्तियों पर सवाल खड़े हो गए है. पहली नियुक्ति लोकपाल (ऑम्बूड्सपर्सन) की हुई है. दूसरी नियुक्ति सांख्यिकी (स्टेटिस्टिक्स) और तीसरी नियुक्ति डिप्टी रजिस्ट्रार के पद पर हुई है. इन तीनों पदों पर विवि कुलपति के करीबी विराजमान हैं.
जाने किसकी और कैसे हुई पदों पर नियुक्ति
1. बिना सर्च कमेटी और विज्ञापन के लोकपाल नियुक्ति
सीयूजे में लोकपाल के पद पर प्रो. कैलाश चंद्र शर्मा की नियुक्ति हुई है. यह नियुक्ति विवि द्वारा 7 अगस्त 2023 को की गई. जिसमें बताया गया कि इनकी नियुक्ति तीन वर्ष के लिए या 70 साल के उम्र होने तक के लिए हुई है. प्रो. शर्मा इससे पहले कुरुक्षेत्र विवि के कुलपति रहे, उसके बाद हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद के उपाध्यक्ष रहे. लोकपाल की नियुक्ति के लिए सीयूजे द्वारा कोई विज्ञापन नहीं निकाला गया था. सर्च कमेटी भी नहीं बनाई गई थी. बिना विज्ञापन आमंत्रण के ही लोकपाल नियुक्त कर दिया गया.
क्या है नियम : विनियमन 2023 के तहत विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को छात्रों की शिकायतों के निवारण के लिए समिति बनाने और लोकपाल को नियुक्त करना होगा. लोकपाल की नियुक्ति सर्च कमेटी करेगी. इसके चेयरमैन यूजीसी के प्रतिनिधि होंगे. विज्ञापन करके लोकपाल पद के लिए आवेदन आमंत्रित करना है.
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2. पहले प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के पद पर हुई नियुक्त, चार महीने में बदल गया प्रोफाइल
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सीयूजे में स्टेटिस्टिक्स पद पर प्रोफेसर कुंज बिहारी पांडा की नियुक्ति हुई है. प्रो. पांडा की यह नियुक्ति तीन वर्ष के लिए हुई है. ये कुलपति के करीबी बताए जाते हैं. सीयूजे से पहले यह ओड़िशा के एक विवि में प्रोफेसर पद से रिटायर हुए हैं. इसके बाद कुलपति की मेहरबानी से प्रो. पांडा सीयूजे में पहले प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस (संविदा) के पद पर 8 अप्रैल 2023 को नियुक्त हो जाते हैं. जबकि प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के पद पर गेस्ट फैकेल्टी या कॉरपोरेट के लोगों से काम लेने का नियम है. इतना ही नहीं, चार माह बाद 18 अगस्त 2023 को ही सीयूजे के जिम्मेवारों ने प्रो. पांडा को तीन साल के लिए स्टेटिस्टिक्स डिपाटमेंट का प्रमुख बना दिया. जबकि इस पद पर स्थाई नियुक्ति का प्रावधान है.
ऐसे मिला करीबी होने का फायदा
विवि में प्रो. पांडा को लाना था, इसलिए पहले इनकी नियुक्ति अस्थाई रूप से करते हुए जगह बनाई गई, फिर बाद में नियमों को दरकिनार कर तीन साल के लिए नियुक्त कर दिया गया. मजेदार बात है कि नियुक्ति में प्रो. पांडा की उम्र का ख्याल रखा गया. ओडिशा से 62 साल में रिटायर होकर रांची पहुंचे, यहां प्रोफेसर 65 साल में रिटायर होते हैं, इसे ध्यान में रखते हुए विवि के जिम्मेवारों ने महज तीन साल के लिए प्रो. पांडा को नियुक्त किया. जिससे वह 65 की उम्र में पुन: सेवानिवृत्त हो सकें.
नियुक्ति में नियमावली की अनदेखी : सीयूजे ने 13 जनवरी 2023 को 10 विभागों में नियुक्ति से संबंधित विज्ञापन जारी किया था. क्रम संख्या 19 में स्टेटिस्टिक्स पद है. उक्त विज्ञापन के अनुसार 10 प्रोफेसर, 18 एसोसिएट प्रोफेसर और 15 असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर स्थाई नियुक्ति होनी थी. वहीं स्टेटिस्टिक्स डिपार्टमेंट में एक प्रोफेसर और दो असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति स्थाई (रेगुलर बेसिस) रूप से करने की बात कही गई थी. यूजीसी गाइडलाइन के अनुसार रिटायर कर्मी की नियुक्ति संविदा पर नहीं करनी है. इसके बाद संविदा पर प्रो. पांडा की नियुक्ति हुई.
3. नौकरी करते हुए पूरा कर लिया एलएलबी का कोर्स
सीयूजे में अब्दूल हलीम की नौकरी हिंदी अफसर के पद पर रेगुलर नियुक्ति हुई थी. विवि जिम्मेवारों के इतने करीबी थे कि इन्हें 24 अप्रैल 2018 को डिप्टी रजिस्ट्रार बना दिया गया. डिप्टी रजिस्टार के साथ-साथ यह डिस्वर्सिग अफसर(डीडीओ) का भी काम देखते आ रहे हैं. इनके काम से खुश होकर विवि प्रशासन अब इनकी प्रोन्नति रजिस्ट्रार के पद पर करने की तैयारी में जुट गया है. मजेदार बात यह है कि अब्दूल हलीम विवि में रेगुलर पद पर नियुक्त हुए. यह लगातार विवि में अपनी सेवा दे रहे हैं. विवि में सेवा देने के साथ-साथ इन्होंने आईसीएफसीआई विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढाई पूरी कर ली. वह भी रेगुलर एलएलबी का कोर्स किया, यानी एलएलबी की पढाई के दौरान तीन साल तक क्लास किया.
विवि ने आरटीआई से उपलब्ध कराए दस्तावेज
आईसीएफसीआई से आरटीआई से मिली सूचना के अनुसार इन्होंने सेमेस्टर वन 30.07.2019 से 15.01.2020 तक, सेमेस्टर टू 24.01.2020 से 25.09.2020 तक, सेमेस्टर थ्री 12.10.2020 से 03.03.2021 तक, सेमेस्टर फोर 12.03.2021 से 13.07.2021 तक, सेमेस्टर-5 30.07.2021 से 07.02.2022 तक और सेमेस्टर-6 10.02.2022 से 30.05.2022 तक पूरा किया. विवि द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेज के अनुसार अब्दूल हलीम ने वर्ष 2019 से 2022 के सेशन में एलएलबी की पढाई पूरी की है. इन्होंने फुल टाइम कोर्स किया है. एलएलबी में सुबह आठ बजे से दिन के दो बजे तक क्लास होते थे. ऐसे में अब्दूल हलीम ने सीयूजे में नौकरी करते हुए एलएलबी का फुल टाइम कोर्स कैसे पूरा कर लिया, यह अपने आप में बड़ा सवाल है.
क्या है नियम : बार काउंसिल ऑफ इंडिया का नियम है कि एलएलबी की परीक्षा में वही बैठ सकता है, जिसने फुल टाइम कोर्स करते हुए 75 प्रतिशत उपस्थिति दर्ज कराई हो. अगर अब्दूल हलीम ने एलएलबी की पढाई के दौरान 75 प्रतिशत क्लास किया है, तो सीयूजे में रेगुलर अपनी सेवा कैसे देते रहे. विवि ने इस दौरान उन्हें करीब 62 लाख रुपए वेतन का भुगतान भी किया है.