डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय (डीएसपीएमयू) के कुलपति डॉ. तपन कुमार शांडिल्य मनमाने ढंग से करोड़ों रुपये खर्च कर रहे हैं. वीसी बनने के बाद से अब तक वह करीब 12 करोड़ रुपये मनमाने तरीके से खर्च कर चुके हैं. कथित तौर पर निजी फायदे वाली योजनाओं पर मोटी रकम खर्च की जा रही है. विवि के सीनेट को जानकारी दिए बिना ही डॉ. शांडिल्य ने करोड़ों रुपये खर्च कर डाले हैं. खर्च का ऑडिट भी नहीं करा रहे हैं. यानी चलेगी कुलपति की मर्जी. बता दें कि विवि के विभिन्न संकायों में वोकेशनल कोर्स की पढ़ाई होती है. वोकेशनल कोर्स के छात्रों से हर साल फीस व अन्य मदों में तकरीबन 20 करोड़ रुपये लिए जाते हैं, जो विवि के खाते में जमा कराए जाते हैं. विवि प्रशासन वोकेशनल कोर्स के फंड से अपने पास मात्र 20 प्रतिशत रख सकता है लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. विवि प्रशासन ने मनमाने ढंग से वोकेशनल कोर्स की शत-प्रतिशत राशि पर न सिर्फ मनमाने ढंग से कब्जा जमा लिया है, बल्कि कथित तौर पर कुलपति मनमाने ढंग से निजी लाभ के लिए उन पैसों को खुले हाथों खर्च भी कर रहे हैं.
करोड़ों खर्च से छात्रों को कम, जिम्मेवारों को ज्यादा फायदा
डॉ. तपन कुमार शांडिल्य के कुलपति बनने के बाद छात्रों से वोकेशनल कोर्स के नाम पर वसूले गए फंड से कोटेशन के तहत करोड़ों की खरीदारी कर भुगतान किया जा रहा है. इस फंड में तकरीब 30 करोड़ रुपये जमा थे. वीसी बनने के बाद डॉ. शांडिल्य ने करीब 12 करोड़ रुपये खर्च कर दिए. कोई चिट्ठी पत्री भी जारी नहीं की गयी. कुलपति ने इस फंड से महंगे मोबाइल, कार्टन, सोफा आदि की खरीदारी की, मगर सीनेट की बैठक में खर्च की विस्तृत जानकारी नहीं रखी. इसी फंड से कुलपति ने अपने किराये के मकान के लिए भी कई महंगे-महंगे सामान खरीदे हैं, जिसकी शिकायत केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) से की गई है. शिकायतकर्ता ने विवि प्रशासन द्वारा किए गए करोड़ों के खर्च का ऑडिट कराने का आग्रह किया है. इसका फायदा छात्रों को कम, जिम्मेवारों को ज्यादा मिल रहा है.
लाखों के पाथ-वे का नहीं हुआ ऑडिट
विवि कैंपस के फाइन आर्ट्स बिल्डिंग के परीक्षा भवन में पाथ-वे बना है. यह पाथ-वे (सड़क) पेवर्स ब्लॉक से बना है. इसे बनवाने में कुल 44.39 लाख रुपये खर्च किए गए हैं. पाथ-वे का एस्टीमेट 45,09,504.98 रुपये का था. विवि में इंजीनियरिंग विंग नहीं है. मगर जिम्मेवारों ने अपने फायदे के लिए अपने स्तर से ही पाथ-वे का एस्टीमेट तैयार कर बनवा लिया. इसे बनवाने के बाद भी किसी इंजीनियरिंग विंग से जांच नहीं करायी गयी और न ही इस खर्च का ऑडिट कराया गया. टेक्निकल और फाइनांशियल बिड के तहत एल-वन हुई कंपनी मेसर्स एश्री इंटरप्राइजेज को पाथ-वे का काम सौंपा गया.
पीआईडीपीआई के तहत करें शिकायत
आप भी भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा सकते हैं. इसकी शिकायत कर सकते हैं. शिकायत करने वालों का नाम गोपनीय रखा जाता है. यह शिकायत आप पीआईडीपीआई के तहत कर सकते हैं. सीवीसी से केंद्र सरकार या किसी केंद्रीय अधिनियम द्वारा किसी भी सरकारी संस्थान के भ्रष्टाचार या कार्यालय के दुरुपयोग से संबंधित लिखित शिकायत कर सकते हैं. शिकायत में यथासंभव पूर्ण विवरण होना चाहिए और इसके साथ सहायक दस्तावेज या अन्य सामग्री भी होनी चाहिए.
बंद सुरक्षित लिफाफे में करें शिकायत
पीआईडीपीआई शिकायत एक बंद/सुरक्षित लिफाफे में होनी चाहिए. इसे सचिव, केंद्रीय सतर्कता आयोग, सतर्कता भवन, ब्लॉक-ए, जीपीओ कॉम्प्लेक्स, आईएनए, नई दिल्ली-110023 को संबोधित किया जाना चाहिए. लिफाफे पर स्पष्ट रूप से जनहित प्रकटीकरण के तहत शिकायत या पीआईडीपीआई लिखा होना चाहिए. लिफाफे पर शिकायतकर्ता का नाम और पता नहीं लिखा होना चाहिए.