डुमरी उपचुनाव रिजल्ट ने 2024 में होने वाले लोकसभा और विशेषतौर पर विधानसभा चुनाव की दशा-दिशा तय कर दी है। यह उपचुनाव दिवंगत नेता जगरनाथ महतो के निधन के कारण हुई थी। झामुमो प्रत्याशी की जीत के बाद राजनीतिक विश्लेषक अब डुमरी उपचुनाव से सामने आए छह परिणामों पर बात कर रहे हैं। इन छह परिणामों का चुनावी साल 2024 में असर जरूर दिखेगा।
पहला – झारखंड में INDIA गठबंधन को मजबूती केवल हेमंत सोरेन ही दे सकते हैं।
INDIA गठबंधन बनने के बाद झारखंड में पहला चुनाव डुमरी सीट पर हुआ। इस उपचुनाव में INDIA गठबंधन प्रत्याशी के पक्ष में सभी नेताओं ने जनसंपर्क अभियान चलाया। लेकिन अंतिम दिन हेमंत सोरेन के चुनावी रोड शो का बड़ा असर दिखा। रिजल्ट ने साबित किया कि INDIA गठबंधन को झारखंड में नेतृत्व हेमंत सोरेन ही दे सकते हैं।
दूसरा – हेमंत सोरेन से सामना करने के लिए भाजपा के पास कोई चेहरा नहीं, बाबूलाल मरांडी के प्रदेश अध्यक्ष बनते ही एनडीए की पहली हार।
बाबूलाल मरांडी के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद झारखंड की राजनीति में पहला चुनाव डुमरी में हुआ। चुनाव में भाजपा सहित आजसू नेताओं ने तबाड़तोड़ रैलियां की, लेकिन चुनावी परिणाम INDIA गठबंधन के पक्ष में रहा। ऐसे में कहा जा सकता है कि हेमंत सोरेन से सामना करने के लिए भाजपा के पास फिलहाल कोई चेहरा नहीं है।
तीसरा – भाजपा की बी टीम का अघोषित दर्जा प्राप्त औवेसी फैक्टर भी नहीं आएगा काम।
डुमरी उपचुनाव में एआईएमआईएम नेता और भाजपा की बी टीम का अघोषित दर्जा पाए असुद्दीन औवेसी का फैक्टर नहीं काम आया। अल्पसंख्यकों ने पूरी तरह से हेमंत सोरेन के नेतृत्व पर भरोसा किया।
चौथा – स्थानीयता की मांग रहेगी अहम, 1985 पर 1932 भारी।
डुमरी उपचुनाव की जीत ने स्थानीयता की मांग को 2024 के लिए तैयार कर दिया। डुमरी सीट से विधायक रहे दिवंगत नेता जगरनाथ महतो हमेशा से 1932 की स्थानीयता को तरजीह देते रहे। वहीं, भाजपा ने अपने शासन में 1985 को स्थानीयता का आधार बनाया। डुमरी उपचुनाव रिजल्ट परिणाम ने 1985 पर 1932 की मांग को प्रमुखता से स्थापित किया।
पांचवां – सरना धर्म कोड, आरक्षण विधेयक पर भी भाजपा को देना होगा साथ।
डुमरी उपचुनाव रिजल्ट में हेमंत सरकार के लाए सरना धर्म कोड और ओबीसी, एसटी, एससी आरक्षण बढ़ाने के विधेयक की मांग भी अहम भूमिका निभाई। रिजल्ट ने 2024 का आधार तय कर दिया। चुनावी परिणाम ने बता दिया कि भाजपा को भी अब इन मांगों पर साथ देना होगा, नहीं तो आदिवासी-मूलवासी इनका सूपड़ा साफ करने में भी देर नहीं करेगी।
छठा – हेमंत सरकार के जनहितकारी कामों पर जनता का मिला पूरा साथ।
डुमरी उपचुनाव परिणाम को भले सहानुभूति वोट फैक्टर माना जा रहा है, लेकिन इससे ज्यादा हेमंत सरकार के विकास कामों पर जनता ने पूरा साथ दिया। 2019 के वोट बैंक को देखें तो झामुमो को 71,128 और भाजपा+आजसू गठबंधन को 72,853 वोट मिला था। 2023 के उपचुनाव में INDIA गठबंधन के झामुमो प्रत्याशी को 1,00,231 और NDA गठबंधन के आजसू प्रत्याशी को 83,075 वोट मिला। यानी सहानुभूति से ज्यादा डुमरी की जनता ने राज्य सरकार के विकास कामों को ज्यादा तरजीह दी। चुनावी साल 2024 में भी विकास काम ही हावी रहेगा।