हर बच्चे के लिए उसका स्कूल एक तरह से उसका दूसरा घर होता है। दूसरे घर में जो बच्चे पढ़ते हैं, उनका भविष्य संवारने में उसके शिक्षक की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। शिक्षकों का सही तरीके से शिक्षित होना बच्चों के बेहतर पढ़ाई के लिए जरूरी होता है। लेकिन झारखंड के सरकारी स्कूलों के बच्चों को जो पारा शिक्षक पढ़ा रहे हैं, उनका शिक्षा का स्तर कैसा होगा, इसकी जांच आज तक किसी भी सरकार ने की। नतीजा, बच्चों के बेहतर शिक्षा पर असर पड़ता गया। हेमंत सोरेन ने जहां पारा शिक्षकों को हर तरह की सुविधा दी, वहीं इनके मानदेय बढ़ाने से पहले आकलन परीक्षा लेने का काम किया। इसके पीछे का उद्देश्य शिक्षकों की स्थिति को जांचना था। आश्चर्य है कि आकलन परीक्षा में शामिल शिक्षकों में 25 प्रतिशत फेल हो गए। सोचिए कि जब शिक्षक ही स्वंय फेल हो रहे हैं, तो बच्चों का हाल क्या होता होगा।
25 प्रतिशत पारा शिक्षक आकलन परीक्षा में फेल।
दरअसल झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) ने प्रशिक्षित सहायक अध्यापकों (पारा शिक्षकों) की आकलन परीक्षा का परिणाम शुक्रवार को जारी किया था। परीक्षा में 41453 पारा शिक्षक बैठे थे। इसमें से केवल 75 प्रतिशत यानी 30953 ही पास हो पाए, जबकि 10,500 असफल रहे। यानी 25 प्रतिशत फेल हो गए। यानी अब केवल पास करने वाले शिक्षकों का हेमंत सरकार मानदेय का 10 प्रतिशत बढाएगी।
एनडीए शासन में पारा शिक्षकों की नियुक्ति, लेकिन पहली बार आकलन परीक्षा हेमंत सरकार में।
भाजपा ने कभी भी पारा शिक्षकों की आकलन परीक्षा से वस्तुस्थिति जानने की कोशिश नहीं की।
पारा शिक्षकों के नियुक्ति का फैसला एनडीए शासन 1999-मई 2004 के बीच हुआ था। उस समय मुरली मनोहर जोशी मानव संसाधन शिक्षा मंत्री थे। झारखंड में भी भी इसी समय पारा शिक्षकों की नियुक्ति हुई। तब मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी थे। छिटपुट पार्टियों के शासन को छोड़ दें, तो उसके बाद से लंबे समय तक भाजपा ही सत्ता में रही। लेकिन किसी ने भी पारा शिक्षकों की आकलन परीक्षा लेकर वस्तुस्थिति जानने की कोशिश नहीं की। हेमंत सरकार सरकारी स्कूलों के बच्चों के बेहतर शिक्षा को लेकर दृढ़संकल्पित है।
हेमंत सोरेन सरकार ने तो वादा निभाया, लेकिन हकीकत तो यही कई पारा शिक्षक अयोग्य निकले।
हेमंत सोरेन ने पारा शिक्षकों को मुख्यमंत्री बनने से पहले आश्वासन दिया था कि वो उनकी समस्याओं को दूर कर देंगे। दिवंगत नेता सह पूर्व शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो से लंबी बातचीत के बाद वादों को पूरा किया गया। पारा शिक्षकों की यह भी मांग थी कि बिहार सरकार ने पारा शिक्षकों को आकलन परीक्षा लेकर 60 वर्ष तक स्थायी कर दिया है और वेतनमान भी तय कर दिया है। झारखंड में भी ठीक वैसा हो और ये परीक्षा पास करना अनिवार्य कर दिया जाए। हेमंत सरकार ने मांगों के अनुरूप वैसा ही किया। नतीजा सामने हैं। यानी हेमंत सोरेन का यह फैसला सराहनीय है कि पास करने वाले शिक्षकों का ही मानदेय बढ़ेगा।