धोतीनुमा एक वस्त्र और सिर पर गमछानुमा पगड़ी धारण कर मन, वचन, कर्म से सादा जीवन जीने वाले उत्तर कर्नाटक के एक संत ने जुड़वा शहर हुब्बल्ली-धारवाड़ का जनजीवन स्तर ऊंचा कर दिया है। 1836 में ठीक रामनवमी के दिन बीदर जिले के चलकापुर में जन्मे संत सिद्धारूढ़ स्वामी ने 1880 के आसपास हुब्बल्ली में अपना स्थायी आश्रम बनाया। स्वामी को हुब्बल्ली आए कुछ वर्ष ही हुए थे कि 1886 में हुब्बल्ली को रेलवे स्टेशन की सौगात मिली।
हुब्बल्ली ही अब पूरे दक्षिण पश्चिम रेलवे का जोनल मुख्यालय है। मार्च 2023 में हुब्बल्ली स्टेेशन पर 1507 मीटर के साथ दुनिया का सबसे लंबा प्लेटफाॅर्म बना। रेलवे स्टेशन का नाम श्री सिद्धारूढ़ स्वामीजी हुब्बल्ली जंक्शन किया गया है। बीते 6 जुलाई को भारतीय डाक विभाग की ओर से सिद्धारूढ़ स्वामी पर स्मारक डाक टिकट जारी हुआ है। सिद्धारूढ़ मठ ट्रस्ट के पूर्व चेयरमैन महेंद्र एच. सिंघी और पूर्व चैयरमैन व ट्रस्टी बालू मगजिकोंडी कहते हैं कि स्वामी ने यहां श्रद्धा, समानता औैर समृदि्ध का जो साम्राज्य स्थापित किया, वह आज अनवरत रूप से वृदि्ध करता जा रहा है।
-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी धारवाड़-कर्नाटक इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस हुब्बल्ली
-कर्नाटक यूनिवर्सिटी धारवाड़-कर्नाटक लॉ यूनिवर्सिटी
-एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी धारवाड़-हुब्बल्ली-धारवाड़ के बीच बस रेपिड ट्रांजिट सिस्टम-हुब्बल्ली में दक्षिण पश्चिम रेलवे का जोनल हैडक्वार्टर-हुब्बल्ली हवाई अड्डा
श्रद्धा::: ऑटो-टैक्सी में नि:शुल्क यात्रा
-महाशिवरात्रि मेले में सिद्धारूढ मठ जाने वालों के लिए ऑटो-टैक्सी चालक स्वप्रेरणा से रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, बस अड्डे से नि:शुल्क सेवाएं देते हैं।
-कर्नाटक के अलावा महाराष्ट्र, गोवा, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु सहित उत्तर और पूर्वोत्तर राज्यों से भी आते श्रद्धालु।
-केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी, अभिनेत्री काजोल, कन्नड़ अभिनेता राजकुमार का परिवार यहां नियमित तौर पर श्रद्धानवत होते हैं।
-आम और खास लोग रोजाना मठ परिसर की सफाई करते हैं।