झारखंड गठन हुए लगभग 23 वर्ष गुजर चुके हैं मगर अभी तक झारखंड में साहित्य अकादमी का गठन नहीं हुआ है।

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आज दिनांक 18.1.2024 को झामुमो सांसद और साहित्यकार डॉ. महुआ माजी ने कला संस्कृति मंत्री श्री हफीजुल हसन जी से मुलाकात करके उन्हें एक ज्ञापन सौंपा जिसमें अविलंब साहित्य अकादमी के गठन की मांग की गई। इससे पहले भी डॉ.महुआ माजी ने माननीय मुख्यमंत्री जी को झारखंड राज्य में साहित्य अकादमी, ललित कला अकादमी, संगीत नाट्य अकादमी आदि के गठन हेतु ज्ञापन सौंपा था । कला संस्कृति मंत्री ने इस अवसर पर ज्ञापन स्वीकार करते हुए बताया कि तीनों संस्थानों के गठन हेतु प्रयास किया जा रहा है और कोशिश रहेगी कि एक महीने के अंदर या उससे पहले ही गठन की प्रक्रिया पूरी कर ली जाए। महुआ माजी द्वारा पत्र में लिखा गया है कि-
” झारखंड गठन हुए लगभग 23 वर्ष गुजर चुके हैं मगर अभी तक झारखंड में साहित्य अकादमी का गठन नहीं हुआ है। जैसा कि विदित है कि साहित्य संस्कृति का समाज के निर्माण व विकास में महत्वपूर्ण योगदान होता है और दुनिया के तमाम उन्नत देशों में साहित्य संस्कृति को विशिष्ट स्थान दिया जाता है, भारत में भी केन्द्रीय साहित्य अकादमी के अलावा लगभग सभी राज्यों की अपनी-अपनी साहित्य अकादमियां अथवा साहित्य संबंधी अन्य संस्थाएं हैं। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि कई-कई भाषाओं और संस्कृतियों का संगम होने के बावजूद झारखंड में अभी तक ऐसी कोई साहित्य अकादमी नहीं है जो साहित्य और कला के सांस्कृतिक मूल्यों के विकास और संवर्धन में जरूरी भूमिका निभा सके।
एक साहित्यकार होने के नाते मैं इस अभाव को शिद्दत से महसूस करती हूं और दिल्ली, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बंगाल, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल जैसे विभिन्न प्रदेशों की तरह अपने झारखंड में भी साहित्य अकादमी के अविलंब गठन के लिए अनुरोध करती हूं। ताकि यहां के साहित्यकारों एवं इस क्षेत्र में रुचि रखने वाले युवाओं को साहित्य के क्षेत्र में कार्य करने के लिए उचित माहौल और सुविधा मिल सके। उम्मीद है आप जल्द से जल्द इस दिशा में पहल करेंगे और साहित्य प्रेमियों के हित में साहित्य अकादमी का गठन सुनिश्चित करेंगे। इसके लिए साहित्य जगत हमेशा आपका आभारी रहेगा।”

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