बहरागोड़ा प्रखंड स्थित मौदा गांव में जर्जर आंगनबाड़ी केंद्र भवन में अपनी जान को जोखिम में डालकर 30 मासूम पढ़ने के लिए अभिशप्त हैं. केंद्र में पेयजल की भी व्यवस्था नहीं है. केंद्र के आसपास झाड़ियां और कचरे की भरमार है. मगर देखने वाला कोई नहीं है. आंगनबाड़ी केंद्र में मासूमों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. आंगनबाड़ी केंद्र में कुल 30 बच्चे नामांकित है. सेविका निरुमला प्रधान तथा सहायिका रुना बाला का कहना है कि यह भवन लगभग 20 साल पुराना है. फर्श उखड़ गया है. खिड़की और दरवाजा टूट चुके हैं. छत से बारिश का पानी कमरों में प्रवेश करता है. जर्जर भवन कभी भी ध्वस्त हो सकता है.
विडंबना है कि इस आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों का मध्यान भोजन बनाने के लिए तथा बच्चों के पेयजल के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. दूर स्थित एक निजी घर से पानी ढोकर लाना पड़ता है. आंगनबाड़ी भवन से सटी खाली जमीन पर कचरे की ढेर लगी है. इससे बदबू फैल रही है. पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है. छोटे-छोटे बच्चे बदबू से परेशान रहते हैं. आंगनबाड़ी की दुर्दशा के संबंध में कई बार संबंधित विभाग के पदाधिकारियों को अवगत कराया गया है. परंतु आज तक इस दिशा में कोई पहल नहीं हुई है.