बाबूलाल मरांडी बीजेपी में शामिल होने के बाद भूल गए झाविमो के 6 विधायकों का दल बदल मामला

झारखण्ड
Spread the love

2014 में जेवीएम से बीजेपी में शामिल हुए छह विधायकों पर दल-बदल मामले को लेकर पिछले कई सालों से स्पीकर कोर्ट में चल रही सुनवाई में आज फैसला आया है. विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव ने फैसला सुनाते हुए सभी छह विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग को अमान्य ठहराया है. साथ ही जेवीएम के बीजेपी में विलय की बात को सही ठहराया गया है. जेवीएम प्रमुख बाबूलाल मरांडी और प्रदीप यादव की याचिका खारिज कर दी.
ज्ञात हो कि 2014 विधानसभा चुनाव के बाद जेवीएम के छह विधायक बीजेपी में शामिल हो गये थे. इसमें हटिया से नवीन जयसवाल, चंदनक्यारी से अमर कुमार बाउरी, सिमरिया से गणेश गंजू, डाल्टनगंज से आलोक कुमार चौरसिया, सारठ से आर सिंह और बरकट्ठा से जानकी यादव शामिल हैं.
ज्ञात हो कि जेवीएम के विधायकों ने पार्टी बदलने पर दलील है कि पार्टी की अनुमति से पूरे जेवीएम का बीजेपी में विलय हुआ है. वहीं जेवीएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी का कहना है कि ऐसा नहीं है. विधायक अपने फायदे की वजह से दल-बदल कर गलत तरीके से बीजेपी में शामिल हुए हैं. 2015 में इनकी सदस्यता रद्द करने की मांग की गई थी. मामले की सुनवाई विधानसभा की खुली इजलास में हो रही है. 97 सुनवाई के बाद दोनों पक्षों के वकीलों की बहस पूरी हो गयी है. सुनवाई कर रहे विधानसभा के अध्यक्ष दिनेश उरांव ने 22 दिसंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया है.
स्पीकर कोर्ट में दल-बदल मामले को लेकर मार्च 2015 में पहली सुनवाई हुई थी. 12 दिसंबर 2018 को अंतिम सुनवाई हुई. भाजपा की ओर से 57 नेता-कार्यकर्ताओं ने गवाही थी. जबकि, झाविमो की ओर से आठ नेता-कार्यकर्ताओं ने गवाही थी. छह विधायकों के दल-बदल को लेकर झारखंड विकास मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष से 10 और 11 फरवरी 2015 को 10वीं अनुसूचि के तहत दल-बदल के मामले में कार्रवाई करने की मांग की थी. स्पीकर के कोर्ट में तीन साल दस महीने तक चली इस मामले की सुनवाई पिछले साल 12 दिसंबर को पूरी हुई थी. इसके बाद स्पीकर ने फैसला सुरक्षित रखा था.
ये छह विधायक भाजपा में हुए थे शामिल :
चंदनकियारी से अमर बाउरी : अमर बाउरी ने 2014 में पहली बार चुनाव जीता. इससे पहले वह 2009 में भी झाविमो के टिकट पर चुनाव लड़कर आजसू पार्टी से हार गये थे. 2014 में उन्होंने पूर्व मंत्री उमाकांत रजक को हराया. भाजपा में शामिल होने के बाद सरकार में उन्हें भूमि सुधार राजस्व मंत्री बनाया गया.
सारठ से रणधीर सिंह : रणधीर सिंह सरकार में कृषि मंत्री हैं. 2014 में पहली दफा चुनाव जीते. इससे पहले 2009 के चुनाव में वह सारठ विधानसभा क्षेत्र से लोकतांत्रिक समता दल से चुनाव लड़े थे. इस चुनाव में झामुमो के शशांक शेखर भोक्ता को जीत मिली थी. साल 2014 में रणधीर सिंह झाविमो के टिकट पर चुनाव जीते.
हटिया से नवीन जायसवाल : दल-बदल के घेरे में आये नवीन जायसवाल ने आजसू पार्टी से राजनीति की शुरुआत की. 2009 में हटिया विधानसभा चुनाव में तीसरे नंबर पर थे. कांग्रेस के विधायक गोपाल शरण नाथ शाहदेव के निधन के बाद हटिया की रिक्त सीट पर 2012 में हुए उपचुनाव में नवीन जायसवाल आजसू पार्टी से चुनाव जीते. 2014 में नवीन जायसवाल ने झाविमो का दामन थामा और चुनाव लड़े. नवीन जायसवाल ने भाजपा की सीमा शर्मा को हराकर दोबारा इस सीट पर जीत हासिल की. चुनाव जीतने के बाद झाविमो छोड़कर भाजपा में शामिल हो गये.
बरकट्ठा से जानकी यादव : बरकट्ठा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते. 2005 के चुनाव में वह राजद के टिकट से चुनाव लड़े थे. 2009 के चुनाव में वह झाविमो के टिकट पर चुनाव लड़े और वह दूसरे नंबर थे. 2104 में झाविमो ने जानकी यादव को फिर चुनाव लड़ाया. इस बार चुनाव जीतने के बाद वह भाजपा में शामिल हो गये. फिलहाल जानकी यादव आवास बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं.
सिमरिया से गणेश गंझू : सिमरिया विधानसभा क्षेत्र से गणेश गंझू 2014 में पहली बार झाविमो के टिकट से चुनाव जीते. चुनाव जीतने के बाद वह भी भाजपा में शामिल हो गये. बाद में सरकार ने गणेश गंझू को मार्केटिंग बोर्ड का अध्यक्ष बनाया. 2009 में गणेश गंझू झामुमो के टिकट से चुनाव लड़े थे और वह दूसरे नंबर पर थे.
डालटनगंज से आलोक चौरसिया : आलोक चौरसिया भी पहली बार चुनाव जीतनेवालों में शामिल हैं. 2014 में झाविमो के टिकट से चुनाव लड़कर उन्होंने कांग्रेस के पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी को हराया. भाजपा में शामिल होने के बाद सरकार ने आलोक चौरसिया को वन विकास निगम का अध्यक्ष बनाया.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *