*पूर्व मुख्यमंत्री जानते हैं कि भले झारखंड राज्य का गठन भाजपा के समय हुआ लेकिन झारखंड को अलग राज्य बनाने की वास्तविक लड़ाई तो शिबू सोरेन के नेतृत्व में आदिवासी- मूलवासी ने ही लड़ी थी।*
*बाबूलाल ने जिस भाजपा शासन को 14 साल से अधिक समय तक अपमानित किया, उसी शासन ने झारखंड को कर्ज में डुबाया दिया, हेमंत सोरेन सरकार में झारखंड तो गुजरात से भी आगे निकल गया।*
*रांची।*
पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने अपने संकल्प यात्रा के दौरान कहा है कि अलग झारखंड राज्य बनाने का काम भाजपा ने किया था। इस बात से किसी को संदेह नहीं है कि सभी के लिए सम्मानित नेता और तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी छोटे राज्यों के पक्षधर थे। उनके कार्यकाल में ही झारखंड राज्य का गठन हुआ, लेकिन यह कहना कि भाजपा ने झारखंड राज्य का निर्माण किया, अधूरा बयान है। बाबूलाल मरांडी को ऐसी बातों को कहने के साथ उन्हें यह भी बताना चाहिए कि क्या वे एक भी ऐसे भाजपा या आरएसएस नेता का नाम वे बता सकते हैं, जिन्होंने झारखंड राज्य की लड़ाई लड़ी हो। वास्तविकता यही है कि वे ऐसा एक भी नाम नहीं बता सकते, क्योंकि ऐसा कोई नाम मिलेगा ही नहीं। इतिहास में तो नाम उसी का होता है, जो वास्तव में लड़ाई लड़ता है। अलग झारखंड राज्य की लड़ाई भी वास्तव में शिबू सोरेन के नेतृत्व में भी आदिवासी-मूलवासी लोगों ने लड़ी थी।
*शिबू सोरेन का जिक्र किए बिना झारखंड राज्य गठन की चर्चा पूरी नहीं हो सकती।*
दिशोम गुरु यानी शिबू सोरेन का जिक्र के बिना झारखंड राज्य गठन की चर्चा पूरी नहीं हो सकती। आदिवासियों के बड़े नेता के रूप में अपनी पहचान बना चुके शिबू सोरेन ने पहले सूदखोरी और शराबबंदी के खिलाफ अभियान चलाया, फिर झारखंड को अगल राज्य बनाने की लंबी लड़ाई लड़ी। हुआ। साल 1969 में शिबू सोरेन द्वारा सोनत सांथाल समाज संगठन की स्थापना की गयी। फिर 25 साल तक कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य रहे बिनोद बिहारी महतो ने शिबू सोरेन के साथ मिलकर 1972 में झारखंड मुक्ति मोर्चा बनाया। झारखंड मुक्ति मोर्चा के बैनर तले झारखंड अलग राज्य के लिए कई आंदोलन हुए। 1978 में कोल्हान में जंगल आंदोलन हुआ, जिसमें देवेंद्र मांझी, शैलेन्द्र महतो, मछुआ गगराई, सूला पूर्ति, लाल सिंह मुंडा, भुवनेश्वर महतो और बहादुर उरांव शामिल थे।
*15 साल की भाजपा की सत्ता में झारखंड की क्या दुर्दशा हुई, सभी जानते हैं।*
केवल अलग झारखंड राज्य बनाने से किसी राज्य का विकास नहीं हो सकता। बाबूलाल जानते हैं कि 22 सालों में करीब 15 साल की भाजपा की सत्ता में झारखंड की क्या दुर्दशा हुई। इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर केवल लूट हुई। जाति को जाति से, धर्म को धर्म से लड़ा, विधायकों की खरीद-फरोख्त कर सत्ता लिया गया। 14 साल से अधिक समय तक तो खुद बाबूलाल ने भाजपा को कोसने का काम किया। रघुवर सरकार ने जब सत्ता छोड़ी (दिसंबर 2019), तब झारखंड सरकार पर इस वक्त 85 हजार 234 करोड़ का कर्ज था। 2014 में जब रघुवर दास ने सरकार संभाली थी तब राज्य पर 37 हजार 593 करोड़ का कर्ज था। 14 साल की सरकारों ने 37593.36 करोड़ कर्ज लिया, वहीं रघुवर सरकार ने 5 साल में ही 47640.14 करोड़ का कर्ज ले लिया। आज हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झारखंड ने गुजरात राज्य से बड़ी विकास की लंबी लाइन खींच दी है।
*शिबू सोरन के बेटे हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झारखंड का तो तेजी से विकास और हर वर्ग के अधिकारों को पूरा करने का प्रयास हो रहा है।*
बाबूलाल जी को यह भी बताना चाहिए कि केवल राज्य गठन करने से ही किसी की तारीफ नहीं की जा सकती है। शिबू सोरन ने एक लंबी लड़ाई लड़ी तो उनके बेटे हेमंत सोरेन ने हमेशा झारखंडियों के हित में काम करने की कोशिश की। आज हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झारखंड का तो तेजी से विकास होने के साथ हर वर्ग के अधिकारों को पूरा करने का प्रयास हो रहा है। ऐसी कई योजनाएं हैं जिसका लाभ सभी वर्ग ले रहे हैं। जैसे…..
– आरक्षण का दायरा बढ़ाने का काम केवल अनुसूचित जनजाति ही नहीं बल्कि एससी, ओबीसी वर्गों के लिए किया। जबकि भाजपा ने ओबीसी वर्ग के आरक्षण को 27 से 14 प्रतिशत किया।
– विदेश में उच्च शिक्षा दिलाने के लिए मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना का लाभ एसटी, एससी, ओबीसी, अल्पसंख्यक सभी को मिला रहा है।
– पेंशन योजना का लाभ सभी वर्गों को मिल रहा है। सबसे बड़ी बात है कि पहली बार ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को पेंशन के रूप में प्रतिमाह 1000 रुपये दिए जा रहे हैं।
– 100 यूनिट तक बिजली मुफ्त देने का लाभ सभी वर्गों को मिल रहा है।