झारखंड में ग्रामीण विकास विभाग के चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम के खिलाफ हुई छापेमारी के बाद भाजपा विधायक दल के नेता व पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने सीएम हेमंत सोरेन सरकार से कई सवाल पूछे हैं। उन्होंने सीएम को पत्र लिखते हुए वीरेंद्र राम को संरक्षण दिए जाने से लेकर कई सवाल उठाए हैं। इस पत्र की प्रतिलिपि उन्होंने ईडी के निदेशक को भी दिया है। जिसमें उन्होंने लिखा है कि ग्रामीण कार्य निर्माण के चर्चित मुख्य अभियन्ता वीरेंद्र राम के सभी ठिकानों पर प्रवर्त्तन निदेशालय द्वारा छापेमारी में लगभग अरबों रूपये की अवैध सम्पत्ति का पता चला है। आज देश के सभी अखबारों में प्रमुखता से यह खबर प्रकाशित हुई है। झारखंड में इस विवादास्पद एवं पूर्व से ही आरोपी मुख्य अभियंता के काले कारनामें एवं आपके नेतृत्व में चल रही सरकार द्वारा संरक्षण एवं सहयोग देने की ओर आकृष्ट कराना चाहूंगा।
ऐसे में यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या ईडी वीरेन्द्र कुमार के सहारे इस सरकार और इसके पहले की सरकारों में मौजूद उसके राजनीतिक आकाओं पर भी अपनी हाथ डालेगी. बहरहाल इस सवाल के लिए अभी ईडी की आगे की पूछताछ का इंतजार करना पड़ेगा. झारखण्ड की जनता को इस भ्रष्टाचारी इंजीनियर विरेंद्र राम के काले कारनामों का पता चल सके। इस षडयंत्र में शामिल लोगों की भी पहचान हो सके, साथ ही सभी बिंदुओं की जांच कराएंगे ताकि दोषी बच नहीं सके। विरेंद राम का मनोबल बढ़ता गया और ग्रामीण विकास विभाग में (निविदा से ऊंची दर पर घूस लेकर मनचाहे ठेकेदारों को उपकृत करते रहे। इस तरह वीरेन्द्र राम के द्वारा सरकार के संरक्षण में राज्य के राजस्व की भी लूट की गई और सरकार में शामिल लोग इन्हें सहयोग करते रहे। एसीबी के संकल्प के मुताबिक, पी . ई दर्ज करने की कार्रवाई गुप्त रखी जाती है। एक तरफ सरकार के संरक्षण में वीरेंद्र राम जैसे लोगों के खिलाफ पी . ई दर्ज करने की अनुमति नहीं दी जाती, वहीं संकल्प के प्रावधानों के खिलाफ एसीबी का दुरूपयोग सरकार कर रही है। राजनीतिक फायदे के लिए राज्य के विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ कार्रवाई के लिए एसीबी का दुरूपयोग किया जा रहा है। ग्रामीण कार्य विभाग के मुख्य अभियंता वीरेंद्र कुमार राम के पॉलिटिकल कनेक्शन बहुत ऊंचे हैं. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत इकट्ठा करने के बाद दबिश डाली है. पिछली सरकार में कई सीटिंग विधायकों का टिकट काटने वाले कोल्हान के एक बड़े नेता की वीरेंद्र राम पर खूब मेहरबानी रही है. वीरेंद्र राम ने उस नेता के बेटे से संपर्क बनाया और धीरे-धीरे सरकार के करीब पहुंच गया. उसी के प्रभाव में वीरेंद्र राम की पत्नी फुलकुमारी राम के लिए 2019 के विधानसभा चुनाव में लॉबिंग की गई. जुगसलाई और कांके विधानसभा सीट से राजकुमारी ने दावेदारी की, लेकिन वीरेंद्र राम के ठिकानें पर छापेमारी के बाद गेम पलट गया. फुलकुमारी की दावेदारी खारिज हो गई. इसके बाद 2019 में एसीबी का छापा और फिर मनी लाउंड्रिंग का गंभीर आरोप होने के बाद भी उन पर सरकार मेहरबान रही. हेमंत सरकार के आने के बाद वीरेंद्र राम ने इस सरकार में अपना कनेक्शन सीधे सीएमओ से बनाया. ईडी को अपनी जांच में वीरेंद्र राम के पॉलिटिकल कनेक्शन के पुख्ता सबूत मिले हैं. फोन सर्विलांस से मददगारों के खिलाफ भी पर्याप्त सबुत ईडी के हाथ लगे हैं.