झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के में नियोजन नीति का मुद्दा गरम रहा। इस दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि नियोजन नीति रद्द होने के कारण छात्र धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन उनके भविष्य की मुझे चिंता है। हर हाल में विधि सम्मत, संवैधानिक रूप से बेहतर रास्ते पर सरकार आगे बढ़ेगी। नौजवान जो चाहेंगे उसी के अनुरूप नियोजन नीति बनेगी। बहुत जल्द निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि नियोजन नीति के खिलाफ शिकायत करने वाले दूसरे राज्यों के लोग थे। बौद्धिक विकास की दिशा में सरकार कर रही काम सीएम ने कहा कि नियोजन नीति रद्द होने की खबर मिलते ही चर्चा शुरू हो गई। कई बातें आ रही हैं। फॉर्म भरने से लेकर उम्र सीमा तक पर बात होगी। पहले एक हजार में फॉर्म भरे जाते थे, अब पचास-सौ रुपये में भरे जा रहे हैं। राज्य के लोग शिक्षित हों, अपने पैरों पर खड़े हों, उनका बौद्धिक विकास हो, इस दिशा में सरकार काम कर रही है।
सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार का प्रयास है कि सूबे में तृतीय और चतुर्थ वर्गीय पदों पर शत-प्रतिशत नौकरी मूलवासी, आदिवासी को मिले। अब पीछे मुड़कर देखने से कुछ नहीं होगा। राज्य के सवा तीन करोड़ लोगों के प्रति हमलोग कमिटेड हैं और इसके लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। पूर्व सरकार में हुई शिक्षक बहाली में बाहरी आ गए शिक्षक बहाली में बाहरी लोगों का हुआ नियोजन मुख्यमंत्री ने नियोजन नीति को लेकर विपक्ष पर भी निशाना साधा। आरोप लगाया कि विपक्ष ने झारखंड जड़ में दीमक लगाने का काम किया। भाजपा वाले छात्रों को गलत बताया नियोजन नीति पर भड़का रहे हैं। शिक्षक बहाली में बाहरी लोग आ गए। जिन्हें यहां की संस्कृति और भाषा का ज्ञान नहीं था। सीएम ने कहा कि सरकार का ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों पर ध्यान है। ये बच्चे रेल, आर्मी, बैंक की बहाली में शामिल होते हैं। मेरिट के बदौलत नौकरी पाते हैं। लेकिन, केंद्र ने क्या किया सभी ने देखा। मजबूरन बेरोजगारी का दवाब राज्य पर पड़ा।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन नियोजन नीति में किए गए संशोधन को जन भावनाओं के अनुरूप सरकार के द्वारा उठाया गया कदम मान रहे हैं. विधानसभा में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विपक्ष के द्वारा उठाए जा रहे सवाल पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि इस संशोधन से पहले सरकार ने यहां के युवाओं की राय जानी थी, जिसके बाद सरकार ने बेहतर निर्णय लिए हैं.
गौरतलब है कि राज्य में अब तक तीन बार नियोजन नीति बनी है, जो लगातार हाई कोर्ट के द्वारा और संवैधानिक करार दिए जाने के कारण रद्द होता रहा है. ऐसे में 2021 में बनी हेमंत सरकार की नियोजन नीति को रद्द किए जाने के बाद राज्य सरकार की मजबूरी बन गई कि हाईकोर्ट के निर्देश और सुझाव के अनुरूप झारखंड से मैट्रिक और इंटर पास होने की अनिवार्यता और क्षेत्रीय भाषाओं के साथ हिन्दी, संस्कृत और अंग्रेजी को इसमें जोड़ा जाये. राज्य में ठप्प पड़े नियुक्ति प्रक्रिया को शुरू करना सरकार की मजबूरी है क्योंकि अगले साल लोकसभा और विधानसभा चुनाव होने हैं. विपक्ष लगातार सरकार पर युवाओं को सरकारी नौकरी देने में फेल होने का आरोप लगाती रही है. युवा नौकरी की मांग को लेकर सड़कों पर हैं,
सत्ता पक्ष इसके पीछे नियोजन नीति पर भाजपा पर लोगों को भड़काने का आरोप लगा रही है।
जेएमएम महासचिव सुप्रिया भट्टाचाय ने कहा है कि अब झारखंड को 11 और 13 जिलों में नहीं बांटा जाएगा। सभी 24 जिलों के लिए एक ही नियोजन नीति होगी। UP और बिहार के लोग आकर तृतीय और चतुर्थ वर्ग के पदों पर नौकरी नहीं पा सकेंगे। उन्होंने कहा कि रघुवर सरकार ने युवाओं की भावानाओं के साथ छल किया है जो हेमंत सरकार नहीं होगा ।